मिनरल डिप्लोमेसी का अनोखा सीन, पाकिस्तान के लिए आपस में क्यों भिड़ रहे अमेरिका-चीन, शहबाज-मुनीर ने ऐसा कौन सा खजाना दबा रखा है?

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अभिनय आकाश । Jul 30 2025 2:22PM

बलूचिस्तान की सुरक्षा खतरे को लेकर इंवेस्टर्स फिलहाल किसी भी बड़ी इंवेस्टमेंट से बच रहे हैं। ये सबकुछ एक नए ग्रेट गेम की तरफ इशारा करता है। जहां चीन, अमेरिका और पाकिस्तान अपने अपने राजनीतिक और आर्थिक फायदे के लिए बलूचिस्तान को कंट्रोल करना चाहते हैं। लेकिन इनके लिए सबसे बड़ी चुनौती बलूच समुदाय का विरोध है। बलूच अपने अधिकार और रिसोर्स पर अपना हक चाहता है।

नक्शे पर ये इलाका तो बड़ा है लेकिन इस जगह के लोगों को हमेशा छोटा दिखाया गया है। इस जगह की जमीन के नीचे गैस, तेल, सोना है। लेकिन ऊपर रहने वालों के हिस्से धुआं, डर और लाशें आया है। आज बलूचिस्तान का एमआरआई स्कैन करेंगे। पाकिस्तान के सबसे संसाधन संपन्न और तनावग्रस्त इलाका बलूचिस्तान अब अमेरिका और चीन की दुश्मनी का नया अखाड़ा बन बन गया है। गांव बसा नहीं कि लुटेरे पहले आ गए। चीन ग्वादर पोर्ट को सीपीईसी का हब बनाकर मिनिरल एक्सपोर्ट को अपने सप्लाई चेन में संघटित करना चाहता है और अब अमेरिका भी इसमें कूद पड़ा है। अप्रैल 2025 में अमेरिका के सेंट्रल एशिया मामलों की ब्यूरो के सीनियर अधिकारी एरिक मेयर ने पाकिस्तान के 6 ट्रिलियन डॉलर मिनिरल रिजर्व पर डील फाइनल की। अमेरिका इससे चीन के डोमिनेंस को काउंटर करना चाहता है। चीन अभी फिलहाल 69% रेयर अर्थ मिनिरल कंट्रोल करता है। लेकिन बलूचिस्तान की सुरक्षा खतरे को लेकर इंवेस्टर्स फिलहाल किसी भी बड़ी इंवेस्टमेंट से बच रहे हैं। ये सबकुछ एक नए ग्रेट गेम की तरफ इशारा करता है। जहां चीन, अमेरिका और पाकिस्तान अपने अपने राजनीतिक और आर्थिक फायदे के लिए बलूचिस्तान को कंट्रोल करना चाहते हैं। लेकिन इनके लिए सबसे बड़ी चुनौती बलूच समुदाय का विरोध है। बलूच अपने अधिकार और रिसोर्स पर अपना हक चाहता है। 

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कोल्ड वॉर 2.0

हम सभी ने 1980 के दशक में सोवियत संघ और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच हुए शीत युद्ध को देखा है। हालाँकि, क्या आप यकीन करेंगे अगर हम कहें कि एशिया में भी शीत युद्ध चल रहा है? पाकिस्तान तेज़ी से एक भू-राजनीतिक केंद्र बनता जा रहा है क्योंकि संयुक्त राज्य अमेरिका और चीन जैसी वैश्विक महाशक्तियाँ इन देशों के संसाधनों पर कब्ज़ा करने और प्रभाव के लिए प्रतिस्पर्धा करने की कोशिश कर रही हैं। चीन और अमेरिका द्वारा पाकिस्तान पर अपनी उपस्थिति बढ़ाने की कोशिशों के साथ, आर्थिक रूप से लगभग दिवालिया हो चुका यह देश अब संसाधनों से जुड़ी एक नई रणनीतिक प्रतिद्वंद्विता के केंद्र में खड़ा है।

खनिज संसाधनों से भरपूर है बलूचिस्तान

पाकिस्तान की सरकार की तरफ से बलूचों के दमन की न जाने कितनी खबरें हमेशा आती रहती है। पाकिस्तान पर भेदभाव, सैन्य सोशन और आर्थिक दमन का आरोप लगते रहे हैं। पाकिस्तान की सरकार बलूचिस्तान से बलूचों को खदेड़ने के लिए बार-बार सैन्य कार्रवाई करती रही है। इस कार्रवाई की दो बड़ी वजह हैं। पहली- बलूचिस्तान की भौगोलिक स्थिति, जो इसे दुनिया के कुछ सबसे अमीर स्थानों में खड़ा कर देती है। दरअसल, यह इलाका पाक के दक्षिण-पश्चिम में है, जिसके क्षेत्रफल में ईरान और अफगानिस्तान की भी जमीनें शामिल हैं। यह 3.47 लाख वर्ग किमी में फैला है। इस हिसाब से यह पाक का सबसे बड़ा प्रांत है। देश का 44% भूभाग यहीं है, जबकि इतने बड़े क्षेत्र में पाक की कुल आबादी के सिर्फ 3.6% यानी 1.49 करोड़ लोग ही रहते हैं। इस जमीन के नीचे मौजूद तांबा, सोना, कोयला, यूरेनियम और अन्य खनिजों का अकूत भंडार। इससे यह पाक का सबसे अमीर राज्य भी है। यहां की रेको दिक खान दुनिया की सोने और तांबे की खदानों में से एक है। यह चगाई जिले में है, जहां 590 करोड़ टन खनिज होने का अनुमान है। इसके प्रति टन भंडार में 0.22 ग्राम सोना और 0.41% तांबा है। इस हिसाब से इस खान में 40 करोड़ टन सोना छिपा है। जिसकी अनुमानित कीमत 174.42 लाख करोड़ रुपए तक हो सकती है। 

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बलूचिस्तान में मिनरल डिप्लोमेसी 

जैसा की हमने आपको बताया कि पाकिस्तान के पास खरबों डॉलर के संसाधन हैं और इस संभावित संसाधन शक्ति का केंद्र बलूचिस्तान है। बलूचिस्तान पाकिस्तान का एक संसाधन-समृद्ध लेकिन अस्थिर प्रांत है, जिसके बारे में माना जाता है कि इसमें 6 ट्रिलियन डॉलर (भारतीय मुद्रा में लगभग 50100000 करोड़ रुपये) से 8 ट्रिलियन डॉलर मूल्य के खनिज भंडार हैं, जिनमें डिस्प्रोसियम, टर्बियम और यिट्रियम जैसे दुर्लभ मृदा तत्व शामिल हैं - जो इलेक्ट्रॉनिक्स, हरित ऊर्जा और रक्षा के लिए महत्वपूर्ण हैं। इन खनिजों के लिए वैश्विक होड़ को खनिज शीत युद्ध कहा जा रहा है। 

अमेरिका चीन के प्रॉक्सी वार में फंस जाएगा बलूचिस्तान

गौर करने वाली बात ये है कि बलूचिस्तान में अस्थिरता के कारण अमेरिका सतर्क है, वहीं चीन ने बड़े निवेश, खासकर 62 अरब डॉलर के चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (सीपीईसी) के ज़रिए, वहाँ आक्रामक रूप से प्रवेश किया है। हालाँकि, इन परियोजनाओं का बलूच विद्रोहियों द्वारा कड़ा विरोध किया जा रहा है, जो इन्हें शोषक मानते हैं। दुर्लभ मृदा संसाधनों तक पहुँच को लेकर बढ़ती अमेरिका-चीन प्रतिद्वंद्विता ने पाकिस्तान को एक प्रमुख खिलाड़ी बना दिया है, हालाँकि क्षेत्रीय अशांति के कारण खनन अभी भी अत्यधिक जोखिम भरा बना हुआ है।

चुनौतिया भी हैं कई

अमेरिका और चीन के बीच दुर्लभ मृदा खनिजों पर नियंत्रण की रेस ने पाकिस्तान को महत्वपूर्ण बना दिया है। वर्तमान में आरईई की ग्लोबल मार्केट पर चीन हावी है, जबकि पश्चिमी देश वैकल्पिक स्रोतों की तलाश कर रहे हैं। पाकिस्तान इस नए भू-राजनीतिक समीकरण में बलूचिस्तान के संसाधनों का लाभ उठाने की कोशिश में है। लेकिन यहां पर सुरक्षा संबंधी चिंताएं हैं। खासकर बलूच अलगाववादी समूहों से जो स्थानीय संसाधनों के विदेशी दोहन के विरोध में हैं। क्षेत्र में जारी हिंसा के बीच यहां पर खनन जोखिम भरा है।

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