1 साल, तीन किरदार, छात्र दरकिनार, बांग्लादेश में असल खेल तो अब शुरू होगा, भारत पलट देगा पूरी बाजी?

भारत में भले ही 5 अगस्त 2024 की घटनाओं को शक के नजर से देखा जाए। लेकिन बांग्लादेश में एक बड़ा तबका है जो इसे क्रांत का नाम देता है। जो कि हजारों छात्रों के खून से आई। चूंकि बांग्लादेश हमारा पड़ोसी है इसलिए वहां की घटनाओं से हम अछूते नहीं रह सकते। इसलिए आज बात करेंगे कि इस एक साल में बांग्लादेश में क्या क्या बदला। उसका असर हिंदुस्तान पर क्या पड़ा?
5 अगस्त को भारत अनुच्छेद 370 हटाए जाने के पांच साल पूरे होने के अवसर पर जम्मू कश्मीर के हालात और जश्न की खबरों में डूबा ही था कि दिन भर की गहमा गहमी के बीच एक कोड AJAX 1431 सामने आया। ये बांग्लादेश की राजधानी धाका से उड़े सी-130 हर्कुलेस एयरक्रॉफ्ट का कॉल साइन था। बांग्लादेश की राजधानी ढाका लाखों की भीड़ प्रधानमंत्री शेख हसीना के सरकारी आवास गोणोभवन की तरफ बढ़ती है। पुलिस और सेना के जवान उन्हें रोकते नहीं है। जब तक भीड़ प्रधानमंत्री आवास के करीब पहुंचती है। सेना का देश के प्रधानमंत्री को पौन घंटे का अल्टीमेटम सामने आता है। लाखों की भीड़ प्रधानमंत्री आवास की तरफ कूच कर रही है। आपके पास 45 मिनट है चाहे तो आप देश छोड़कर भाग सकती हैं। हम आपकी सुरक्षा अब नहीं कर पाएंगे। शेख हसीना मामला समझ जाती हैं। कुछ ही देर में प्रधानमंत्री का इस्तीफा होता है। दरअसल, प्रधानमंत्री आवास की ओर बढ़ती भीड़ और सेना के अल्टीमेटम के बीच ढाका से सेना का ही एक विमान उड़ता है और शेख हसीना को लेकर भारत के हिंडन एयरबेस पर लैंड होता है। बांग्लादेश में सरकार सेना के हवाले हो गई। सेना के ही नियंत्रण में अंतरिम सरकार का गठन कर नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस को बांग्लादेश में अंतरिम सरकार का नेतृत्व करने का जिम्मा सौंपा गया। तब से लेकर अब तक पूरा एक बरस बीत चुका है। शेख हसीना भारत में ही हैं। बांग्लादेश सलाहकारों के भरोसे हैं। मोहम्मद युनूस काम वही करते हैं जो प्रधानमंत्री के होते हैं, लेकिन खुद को चीफ एडवाइजर कहते हैं। इसी तरह आतंरिक सुरक्षा होम एडवाइजर के भरोसे है। अर्थव्यवस्था इकोनॉमिक एडवाइजर के भरोसे है। ये लोग उन्हीं बंगले में रहते हैं, उसी दफ्तर में काम करते हैं। लेकिन नाम के आगे मंत्री या मिनिस्टर नहीं लगाते हैं क्योंकि ये कोई चुनाव जीतकर नहीं आए हैं। बांग्लादेश की सेना जो तख्तापलट दर तख्तापलट के बाद बड़ी मुश्किल से बैरकों में लौटी थी। वो रह रहकर देशभक्ति मोड में आ जाती है। सेना प्रमुख वकार उर जमान बीच बीच में याद दिलाते रहते हैं कि हम हैं। बीते साल जो हुआ उससे भारत अब भी उबर ही रहा है। रह रहकर सवाल खड़ा होता है कि जिस बांग्लादेश को भारत ने 1971 में आजाद करवाया उसके लिए हिंदुस्तान से हजारों शहादतें हुई। वो हमारे खिलाफ कैसे हो गया और इतना कैसे बदल गया।
इसे भी पढ़ें: Prabhasakshi NewsRoom: 'सल्तनत-ए-बांग्ला’ संगठन ने ग्रेटर बांग्लादेश के मानचित्र में भारत के हिस्से दिखाये, Jaishankar बोले- राष्ट्रीय हितों की रक्षा करेंगे
भारत में भले ही 5 अगस्त 2024 की घटनाओं को शक के नजर से देखा जाए। लेकिन बांग्लादेश में एक बड़ा तबका है जो इसे क्रांत का नाम देता है। जो कि हजारों छात्रों के खून से आई। चूंकि बांग्लादेश हमारा पड़ोसी है इसलिए वहां की घटनाओं से हम अछूते नहीं रह सकते। इसलिए आज बात करेंगे कि इस एक साल में बांग्लादेश में क्या क्या बदला। उसका असर हिंदुस्तान पर क्या पड़ा?
हसीना का वर्तमान ठिकाना
भारत आने के कुछ दिनों बाद, हसीना को गाजियाबाद स्थित हिंडन एयरबेस से नई दिल्ली के लुटियंस बंगला ज़ोन स्थित एक सुरक्षित स्थान पर ले जाया गया। विदेश मंत्रालय ने आधिकारिक तौर पर हसीना के भारत प्रवास के बारे में कोई भी जानकारी देने से इनकार कर दिया है। हालाँकि, सूत्रों ने मीडिया को बताया है कि पूर्व बांग्लादेशी प्रधानमंत्री को उन्हीं इलाकों में रहने की व्यवस्था की गई है जहाँ सांसद और अन्य वरिष्ठ अधिकारी रहते हैं। इसके अलावा, उन्हें कड़ी सुरक्षा व्यवस्था दी गई है, जहाँ सादे कपड़ों में चौबीसों घंटे सुरक्षाकर्मी उनकी सुरक्षा में तैनात रहते हैं। उल्लेखनीय है कि उनकी बेटी साइमा वाजेद, जो विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र की क्षेत्रीय निदेशक थीं, जब तक कि उन्हें बांग्लादेश में अदालती मामलों के कारण अनिश्चितकालीन अवकाश पर जाने के लिए नहीं कहा गया, वह भी दिल्ली में रहती हैं।
बांग्लादेश से बाहर निकलने के बाद हसीना क्या कर रही हैं?
उन्होंने कई मौकों पर अंतरिम सरकार की आलोचना की है और ढाका में समर्थकों के लिए एक लाइव "रैली" को भी संबोधित किया है। 5 फ़रवरी को दिए गए एक संबोधन में, उन्होंने उन लोगों की निंदा की जिन्होंने उनके पारिवारिक घर और उनके पिता शेख मुजीबुर रहमान के धानमंडी स्थित स्मारक संग्रहालय पर हमला किया था और संग्रहालय के अधिकांश अंदरूनी हिस्से को जला दिया था। उन्होंने कहा किसी इमारत को गिराने से केवल एक ढाँचा नष्ट हो सकता है, इतिहास नहीं मिट सकता। मई में, उन्होंने यूनुस सरकार पर देश को अमेरिका के हाथों बेचने का आरोप लगाया। उन्होंने अपनी अवामी लीग पार्टी पर प्रतिबंध की भी निंदा की और इसे असंवैधानिक बताया। उन्होंने आरोप लगाया कि यूनुस ने सरकार की बागडोर आतंकवादियों को सौंप दी, जिनके खिलाफ उनकी सरकार लड़ रही थी। मेरे पिता सेंट मार्टिन द्वीप के लिए अमेरिका की माँगों से सहमत नहीं थे। इसके लिए उन्हें अपनी जान देनी पड़ी। और यही मेरी नियति थी क्योंकि मैंने सत्ता में बने रहने के लिए देश बेचने के बारे में कभी नहीं सोचा था। उन्होंने आगे कहा कि आज कैसा दुर्भाग्य है। एक ऐसा व्यक्ति सत्ता में आया, एक ऐसा व्यक्ति जिसे पूरे देश की जनता बेहद प्यार करती है, एक ऐसा व्यक्ति जिसे पूरी दुनिया प्यार करती है, और आज सत्ता में आने पर उस व्यक्ति के साथ क्या हुआ? उन्होंने आतंकवादियों की मदद से सत्ता हथिया ली है, यहाँ तक कि उन आतंकवादियों की भी जो विभिन्न अंतरराष्ट्रीय मंचों पर प्रतिबंधित हैं, जिनसे मेरी सरकार ने बांग्लादेश के लोगों की रक्षा की। सिर्फ़ एक आतंकवादी हमले के बाद, हमने कड़े कदम उठाए। कई लोगों को गिरफ़्तार किया गया। अब जेलें खाली हैं। उन्होंने सबको रिहा कर दिया। अब बांग्लादेश में उन आतंकवादियों का राज है।
बांग्लादेश अभी भी उनके प्रत्यर्पण का इंतज़ार कर रहा है
दूसरी ओर, बांग्लादेश अभी भी शेख हसीना को ढाका प्रत्यर्पित करने पर भारत की प्रतिक्रिया का इंतज़ार कर रहा है, जहाँ उन पर भ्रष्टाचार, मानवाधिकार उल्लंघन और यहाँ तक कि युद्ध अपराधों के आरोपों में मुकदमा चलाया जा रहा है। दरअसल, बांग्लादेश के विदेश सलाहकार मोहम्मद तौहीद हुसैन ने कहा कि बांग्लादेश ने भारत को एक पत्र भेजकर हसीना की वापसी का अनुरोध किया है। लेकिन, इस संबंध में भारत की ओर से कोई सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं मिली है। मीडिया को दिए गए उनके बयान के हवाले से बताया गया इस बारे में कोई नई जानकारी नहीं है। बांग्लादेश ने भारत से शेख हसीना को मुकदमे का सामना करने के लिए वापस भेजने का अनुरोध किया है। भारत की ओर से कोई सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं मिली है। बांग्लादेश इंतज़ार कर रहा है। इस बीच, शेख हसीना के खिलाफ मुकदमे की कार्यवाही शुरू हो चुकी है। कोई पेश हो या न हो, मुकदमा रुकता नहीं है। हसीना के प्रत्यर्पण के बांग्लादेश के अनुरोध ने भारत को संतुलन बनाने पर मजबूर कर दिया है। भारत सरकार को यह एहसास है कि हसीना की उपस्थिति ढाका में नए अंतरिम प्रशासन के साथ मजबूत राजनयिक संबंध और व्यापारिक संबंध बनाने के उसके प्रयासों में बाधा डाल सकती है, लेकिन हसीना ने भी अपने कार्यकाल के दौरान भारत के साथ उत्कृष्ट संबंध बनाए थे।
बांग्लादेश की जीडीपी ग्रोथ रेट 2% गिरी
वर्ल्ड बैंक की ग्लोबल फिन्डेक्स रिपोर्ट के अनुसार यूनुस सरकार के एक साल के दौरान बांग्लादेश की जीडीपी ग्रोथ 6% से गिरकर 4% रह गई है। उधर, बांग्लादेश यूनिटी काउंसिल के अनुसार पिछले अगस्त से जून 2025 तक अल्पसंख्यकों पर हमलों की 2,442 घटनाएं हुई, जो दोगुनी से भी ज्यादा हैं।
अल्पसंख्यकों पर हमले दोगुने
54 साल में पहली बार बांग्लादेश अब पाकिस्तान का चावल खा रहा है। बांग्लादेश ने 54 साल में पहली बार पाकिस्तान से 50,000 टन चावल आयात किया। पाक परस्ती की ओर बढ़ते हुए बांग्लादेश ने पाक नागरिकों को बीसा प्रतिबंधों में भी छूट दी है।
भारत के बिना बेपटरी रहेगा बांग्लादेश
बांग्लादेश का जन्म ही भारत के सहयोग से हुआ है। पिछले पांच दशक से भले ही भारत के साथ संबंधों में उतार चढ़ाव आया, लेकिन वैसी तनातनी कभी नहीं रही, जैसी अभी है। वर्तमान सरकार दूसरे देशों जैसे पाकिस्तान अथवा चीन से आस लगाए बैठी है, लेकिन ये बेमानी ही साबित होने वाली है। इन दोनों देशों के हित ज्यादा हैं। पाक और चीन का बांग्लादेश को सहयोग से ज्यादा भारत विरोध की भावना है। एक और अहम बात है कि बांग्लादेश में चुनी हुई सरकार नहीं है। बांग्लादेश में चुनाव की तारीख का जल्द ऐलान होना चाहिए। लेकिन सेना के रवैए को देखते हुए जल्द चुनाव मुश्किल हैं। आर्मी चीफ वकार जमान अब तक अपने डबल गेम में सफल रहे। वकार ने छात्र आंदोलन का साथ देने के नाम पर आम जनता का विश्वास जीता और फिर कठपुतली यूनुस को सत्ता में बैठाकर सत्ता की असल डोर अपने हाथ में ले ली। अब छात्र नेताओं की मांग के बावजूद सेना नए चुनाव की तारीखों पर चुप्पी साधे हुए है।
अन्य न्यूज़











