सबरीमाला: 30 साल पुरानी वो तस्वीर जिससे शुरू हुआ पूरा फसाद

धर्म और आध्यात्म एक ऐसा विषय है जिसकी हर व्यक्ति को तलाश रहती है। भारत के प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है सबरीमाला का मंदिर। यहां हर दिन लाखों लोग दर्शन करने के लिए आते हैं। इस मंदिर को विश्व के सबसे बड़े तीर्थ स्थानों में से एक माना जाता है। इस मंदिर में महिलाओं का आना वर्जित है।
राम मंदिर बाबरी मस्जिद मामले में सुप्रीम कोर्ट अपना ऐतिहासिक फैसला सुना चुका है और जल्द ही केंद्र सरकार द्वारा राम मंदिर ट्रस्ट का गठन भी हो जाएगा। अयोध्या मामले पर फैसले के बाद देश एक अन्य बड़े मामले, सबरीमाला पर टकटकी लगाए देख रहा है और जानना चाहता है कि सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को लेकर कोर्ट क्या मत रखता है। सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस की अगुवाई वाली 9 सदस्यीय बेंच, जिसमें जस्टिस आर भानुमति, जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस एल नागेश्वर राव, जस्टिस एम एम शांतनगौडर, जस्टिस एस ए नजीर, जस्टिस आर सुभाष रेड्डी, जस्टिस बी आर गवई और जस्टिस सूर्यकांत शामिल हैं, मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को लेकर फैसला सुनाएगी। फैसला इस बात पर होगा कि महिलाएं मंदिर में प्रवेश करेंगी या नहीं। विभिन्न धर्मों की महिलाओं के साथ हो रहे भेदभाव को लेकर सुप्रीम कोर्ट की 9 सदस्यीय बेंच 10 दिन में सुनवाई करेगी।
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- पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के सलाहकार और मुख्य सचिव रह चुके थोट्टुवेल्ली कृष्णा पिल्लाई अय्यपन नायर ने भी सबरीमाला मंदिर को लेकर एक बड़ा खुलासा किया था। उन्होंने बताया था कि 1940 के दौरान उनका चोरुनु संस्कार (अन्नप्राशन) भी सबरीमाला मंदिर में ही हुआ था. उस दौरान उनकी मां भी मंदिर में मौजूद थीं।
- कन्नड फिल्मों की अभिनेत्री और बाद में राजनीति में आने वाली जयमाला ने भी दावा किया था कि जब वह 28 साल की थीं तो 1987 में वह सबरीमाला मंदिर के भीतर गई थीं। उनके इस बयान के बाद तो केरल सरकार ने मामले की जांच की आदेश तक दे दिए थे, लेकिन बाद में उस केस की छानबीन रोक दी गई।
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