हूती से हमदर्दी, हमास बना खास, सीरिया से सख्ती हटी, रूस को लाया पास, कुछ अंदाज से और कुछ नजरअंदाज से मंजिल को आसान बनाते ट्रंप

Houthis
White House/Freepik AI/ Prabhasakshi
अभिनय आकाश । May 14 2025 4:03PM

ट्रंप को अरबों-खरबों डॉलर की डील चाहिए और इसके लिए खाड़ी देश सबसे मुफीद है। खासकर सऊदी और अमेरिका के रिश्ते दशकों से पक्के सौदे पर टिके हैं। तेल सऊदी देगा और सिक्योरिटी अमेरिका देगा। ट्रंप इसे सौदे को फिर से ताजा करना चाहते हैं।

डोनाल्ड ट्रंप राष्ट्रपति बनने के बाद आधिकारिक दौरे पर निकले। इसके पहले वो पोप फ्रांसिस की शोक सभा में शामिल होने के लिए रोम गए थे। 13 मई को वो सऊदी अरब पहुंचे। उनके आगमन पर वहां के क्राउन प्रिंस मोहम्मद सलमान स्वागत के लिए पहुंचे। रियाद में गल्फ समिट में हिस्सा लेने के अलावा ट्रंप कतर जाएंगे। 15 मई को यूएई में ये दौरा खत्म होगा। वहां से तुर्की पहुंचने की संभावना जताई जा रही हैं। ट्रंप ने अपने पहले कार्यकाल की पहली विदेश यात्रा के लिए सऊदी अरब को चुना था। उस वक्त भी दुनिया चौंकी थी। अमेरिकी राष्ट्रपतियों की परंपरा होती है कि वो पहले कनाडा, ब्रिटेन या मैक्सिको जाते हैं। ट्रंप ये परंपरा दूसरी बार तोड़ रहे हैं। लेकिन मिलिनयन डॉलर का सवाल की उनके इस दौरे का मकसद क्या है? सबसे पहला मकसद पैसे का जुगाड़ है। अमेरिका की अर्थव्यस्था ने 2025 की पहली तिमाही में गिरावट दर्ज की है। तीन साल बाद ऐसा हुआ है। अब ट्रंप को अरबों-खरबों डॉलर की डील चाहिए और इसके लिए खाड़ी देश सबसे मुफीद है। खासकर सऊदी और अमेरिका के रिश्ते दशकों से पक्के सौदे पर टिके हैं। तेल सऊदी देगा और सिक्योरिटी अमेरिका देगा। ट्रंप इसे सौदे को फिर से ताजा करना चाहते हैं।

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20 जनवरी को ट्रंप फिर से व्हाइट हाउस लौटे। 23जनवरी को मोहम्मद बिन सलमान ने उन्हें फोन पर बधाई दी। इस फोन पर उन्होंने अगले चार साल में अमेरिका में 600 अरब डॉलर का निवेश करने का वादा भी किया। लेकिन ट्रंप तो ट्रंप हैं। वो इतने भर में कहां मानने वाले थे। सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने जब 600 अरब डॉलर के निवेश का वादा किया तो इस पर ट्रंप ने मज़ाक में कहा था कि ये रकम एक ट्रिलियन डॉलर होनी चाहिए थी। दुनिया के सबसे बड़े कारोवारी यहां हैं और वे ढेरों चेक लेकर वापस जाएंगे। इससे अमेरिका में 20 लाख नौकरियां पैदा होंगी।

142 अरब डॉलर की डिफेंस डील साइन

सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के बीच हुई बैठक में लगभग 142 अरब डॉलर की डिफेंस डील पर दस्तखत हुए। व्हाइट हाउस ने इसे इतिहास की सबसे बड़ी डिफेंस डील बताया है। इस समझौते में सऊदी अरब को C-130 ट्रांसपोर्ट विमान, मिसाइलें, रेडार सिस्टम और कई एडवांस हथियार दिए जाएंगे। ये लॉकहीड मार्टिन, वोइंग, और नॉर्थरॉप ग्रुम्मन जैसी अमेरिकी कंपनियों से मिलेंगे। वहीं, सऊदी कंपनी DataVolt अमेरिका में 20 अरब डॉलर का निवेश करेगी। यह निवेश AI डेटा सेंटर्स और ऊर्जा ढांचे के विकास में किया जाएगा, जिससे सऊदी अरव टेक्नॉलजी क्षेत्र में अग्रणी भूमिका निभाना चाहता है। यह ऐतिहासिक डील ऐसे समय पर हुई है जब मिडिल ईस्ट में ईरान के न्यूक्लियर प्रोग्राम और गाजा युद्ध को लेकर तनाव चरम पर है। ट्रंप की इस यात्रा का मकसद क्षेत्रीय, वैश्विक मुद्दों पर चर्चा करना है। ईरान के परमाणु कार्यक्रम को रोकना, गाजा में युद्ध खत्म करना, तेल की कीमतों को नियंत्रित करना, मीडिल ईस्ट में स्थिरता लाना। 

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अमेरिका-सऊदी अरब के बीच 142 बिलियन डॉलर के रक्षा सौदे में क्या-क्या शामिल है

व्हाइट हाउस ने पुष्टि की है कि हथियारों के पैकेज को पाँच प्राथमिक क्षेत्रों में संगठित किया गया है, जिनमें से प्रत्येक सऊदी अरब के रक्षा बुनियादी ढांचे के एक विशिष्ट खंड को मजबूत करने के लिए डिज़ाइन किया गया है:

वायु सेना और अंतरिक्ष क्षमताएँ: इसमें रॉयल सऊदी वायु सेना को आधुनिक बनाने के लिए अगली पीढ़ी की विमानन तकनीक की डिलीवरी शामिल है।

वायु और मिसाइल रक्षा: क्षेत्रीय खतरों से राज्य की रक्षा करने के उद्देश्य से, इन सौदों में संभवतः पैट्रियट मिसाइल रक्षा नेटवर्क जैसी प्रणालियों को अपग्रेड करना शामिल है, जो सऊदी अरब की लंबे समय से दिलचस्पी रही है।

समुद्री और तटीय सुरक्षा: समझौते सऊदी नौसेना के संचालन और समुद्री बुनियादी ढांचे का समर्थन करेंगे।

 थल सेना का आधुनिकीकरण और सीमा सुरक्षा: ये अनुबंध सऊदी ज़मीनी बलों की निगरानी, ​​गतिशीलता और क्षमता को बढ़ाने के लिए तैयार किए गए हैं।

सूचना और संचार प्रणाली: यह श्रेणी साइबर सुरक्षा संवर्द्धन, सुरक्षित संचार और डिजिटल कमांड बुनियादी ढांचे पर केंद्रित है।

भौतिक उपकरणों के अलावा, पैकेज में व्यापक प्रशिक्षण सेवाएँ भी शामिल हैं।

सीरिया से प्रतिबंध हटाने का ऐलान 

ट्रंप ने सीरिया पर लगे अमेरिकी प्रतिबंध भी हटाने का ऐलान किया। बुधवार को वह सऊदी में सीरियाई राष्ट्रपति अहमद अल-शराआ से मिलेंगे, जिन्होंने पिछले साल बशर असद को सत्ता से हटाकर कुर्सी संभाली थी। खाड़ी देश शराआ का समर्थन कर रहे हैं, ताकि सीरिया में ईरानी प्रभाव को रोका जा सके। 

हूती विद्रोहियों पर ऐक्शन पर रोक 

ट्रंप ने यमन के हृती विद्रोहियों पर दो महीने से चल रही अमेरिकी हवाई कार्रवाई रोकने का ऐलान किया। ट्रंप ने कहा कि हूती अब शिपिंग रूट्स पर हमले नहीं करेंगे। एक्सपर्ट का मानना है कि इस फैसले की अमेरिका-इस्राइल के रिश्तों में तनाव बढ़ सकता है। ट्रंप ने कहा कि ईरान समर्थित हूती विद्रोहियों ने संकेत दिया है कि वे अब और लड़ना नहीं चाहते’’ और उन्होंने (हूती विद्रोहियों) ने मालवाहक जहाजों के लिए महत्वपूर्ण समुद्री मार्ग पर हमला बंद करने का वादा दिया है। ओवल ऑफिस में कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी के साथ बैठक की शुरुआत में ट्रंप ने कहा कि हम हूती विद्रोहियों पर तुरंत प्रभाव से हमले बंद करने जा रहे हैं।’’ ट्रंप ने कहा कि हूतियों ने अमेरिकी अधिकारियों को संकेत दिया है कि ‘वे अब और लड़ना नहीं चाहते हैं। हम इसका मान रखते हुए हमले रोक देंगे।’’ 

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