Trump का पीस प्लान मोदी के बिना नहीं होगा मुमकिन, गाजा को बसाने में 2 स्टेट सॉल्यूशन का हिमायती भारत ही कर सकता है मदद

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अभिनय आकाश । Oct 1 2025 1:53PM

इजरायल और फिलिस्तीन के बीच लंबे समय से चले आ रहे विवाद को खत्म करने के लिए एक पीस प्लान तैयार कर दिया है। इसको लेकर वो इजरायल और हमास के बीच एक मीडिएटर की तरह काम करेंगे जिससे की शांतिहो जाए। लेकिन ये काम जितना आसान सुनने में लग रहा है, उतना क्या वाकई में है? क्योंकि इजरायल और फिलिस्तीन का इतिहास हजारों साल पुराना है।

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ड़सा गया हूँ मै लेकिन इलाज जानता हूँ, ये सांप है तो मेरी आस्तीन के पाले हुए।

भागती दौड़ती दुनिया के बीच भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का एक पोस्ट आता है, जिसे पढ़कर लोगों को कुछ नहीं समझ आता है क्योंकि ट्वीट ऊर्दू में लिखी थी। फिर खबर आई की पीएम मोदी ने डोनाल्ड ट्रंप को अपनी शुभकामनाएं देते हुए कहा है कि गाजा में शांति बहाल करने के लिए उन्होंने जो फॉर्मूला अपनाया है, वो उसके लिए बधाई के पात्र हैं। भारत हमेशा से शांति का पक्षधर रहा है और अगर ये सफल होता है तो पूरे वेस्ट एशिया के लिए अच्छा होगा। अब देखते ही देखते सबने कहा कि ट्रंप ने अब ये क्या कर दिया। पता चला कि उन्होंने इजरायल और फिलिस्तीन के बीच लंबे समय से चले आ रहे विवाद को खत्म करने के लिए एक पीस प्लान तैयार कर दिया है। इसको लेकर वो इजरायल और हमास के बीच एक मीडिएटर की तरह काम करेंगे जिससे की शांतिहो जाए। लेकिन ये काम जितना आसान सुनने में लग रहा है, उतना क्या वाकई में है? क्योंकि इजरायल और फिलिस्तीन का इतिहास हजारों साल पुराना है। 

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पिछले साल अमेरिका का चुनाव जीतते ही डोनाल्ड ट्रंप ने कहा था कि वो कुर्सी पर बैठते ही सारी लड़ाईयां रुकवा देंगे। अब रूस और यूक्रेन पर तो उनका बस चला नहीं तो उन्होंने इजरायल-फिलिस्तीन जंग की तरफ अपनी नजरें घुमा ली हैं। करीब दो साल से चल रही जंग के बीच ट्रंप ने गाजा के लिए एक रोडमैप दिया। ट्रंप ने इसे बोर्ड ऑफ पीस के जरिए लागू करने की कोशिश की है। फिलिस्तीन के प्रति भारत की नीति लंबे समय से चली आ रही है और इसे सभी दलों का समर्थन प्राप्त है। भारत अभी तक इसपर अडिग रहा है। भारत ने हमेशा एक संप्रभु, स्वतंत्र और व्यवहार्य फिलिस्तीन राज्य की स्थापना के लिए बातचीत के माध्यम से द्वि-राज्य समाधान का समर्थन किया है, जो कि सुरक्षित और मान्यता प्राप्त सीमाओं के भीतर इजराइल के साथ शांतिपूर्वक रह सके।

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यूएन में फिलिस्तीन पर भारत का रूख 

संयुक्त राष्ट्र में भारत का रुख सालों से एक जैसा रहा है। सरकारी सूत्रों के मुताबिक फिलिस्तीन के मुद्दे पर उनकी नीति न तो बदली है और न ही डगमगाई। पिछले 10 सालों में संयुक्त राष्ट्र में आए 175 प्रस्तावों में भारत ने किसी भी प्रस्ताव के खिलाफ वोट नहीं दिया। यह दिखाता है कि फिलिस्तीन को लेकर भारत का साथ लगातार बना हुआ है।

भारत बहुत पहले से फिलिस्तीन के स्वतंत्र राज्य का समर्थन करता आ रहा है

भारत उन पहले गैर-अरब देशों में से एक था जिसने 1974 में पीएलओ को फिलिस्तीन के लोगों के एकमात्र और वैध प्रतिनिधि के रूप में मान्यता दी और 1988 में फिलिस्तीन राज्य को मान्यता देने वाले पहले देशों में से एक बना। भारत ने इस बात पर जोर दिया है कि इजराइल और फिलिस्तीन को करीब लाने से प्रत्यक्ष शांति वार्ता की शीघ्र बहाली के लिए परिस्थितियां बनाने में मदद मिलेगी।

कितनी मदद पहुंचाई गई?

भारत फलस्तीनी शरणार्थियों के लिए संयुक्त राष्ट्र राहत और कार्य एजेंसी (यूएनआरडब्लूए) के जरिए से मानवीय मदद करता है। सूत्रों के मुताबिक भारत यूएनआरडब्लूए को 5 मिलियन डॉलर का सालाना योगदान देता है। 2014 से भारत ने फलस्तीन को अब तक करीब 80 मिलियन डॉलर की मदद दी है, जो पिछले 65 सालों में दी गई कुल मदद (करीब 42 मिलियन डॉलर) से लगभग दोगुनी है। इसके अलावा लगभग 40 मिलियन डॉलर के नए प्रोजेक्ट भी चल रहे हैं, जिन पर काम शुरू हो चुका है। पीएम नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत, फिलिस्तीनी लोगों के लिए इस समय एक से ज्यादा प्रोजेक्ट पर काम कर रहा है।

गाजा बसाने में भारत कर सकता है मदद

अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के पीस प्रपोजल पर इजरायल के भारत में राजदूत रूवेन अनार ने कहा कि हमें उम्मीद है कि हमास प्रस्ताव को मान लेगा। साथ ही कहा कि अगर हमास इसे नहीं मानता है तो हमारा मिलिट्री अभियान जारी रहेगा और हम तब तक अपनी सैन्य मुहिम जारी रखेंगे जब तक हमस गाजा से बहर नहीं हो जाता। अनार ने पीएम मोदी को इस प्रपोजल को समर्थन देने कि लिए धन्यवाद दिया। साथ ही कहा, युद्ध खत्म होने के बाद भारत गाजा में पुनर्निर्माण में बहुत मदद कर सकता है। इजरायल फिलिस्तीन के पुनर्निर्माग के लिए भारत के किसी भी प्लान का स्वागत करता है। भारत दुनिया का नया निर्माता (New builder of the world) है। हम भारत के शुक्रगुजार है कि वह रीजन में शांति को सपोर्ट करता है। अजार ने कहा कि ट्रंप के प्लान को अगर हमास मान लेता है और पूरी तरह लागू होता है तब स्थितियां बताएंगी कि फिलिस्तीन स्टेट को मान्यता देना रियलिस्टिक है या नहीं। इस पर तभी बात हो सकती है। 

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