पश्चिम बंगाल वोटर लिस्ट अपडेट: एसआईआर के बाद 58 लाख नाम हटे, चुनाव से पहले सियासत तेज

पश्चिम बंगाल में ड्राफ्ट वोटर लिस्ट जारी कर दी गई है, जिसमें 58.20 लाख नाम हटाए गए हैं। चुनाव आयोग के अनुसार इसके पीछे मृत्यु, पलायन और डुप्लीकेट एंट्री जैसे कारण प्रमुख रहे हैं। मतदाताओं को 15 जनवरी तक दावा-आपत्ति दर्ज कराने का मौका दिया गया है। इस बड़े बदलाव को लेकर राज्य में सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच राजनीतिक टकराव तेज हो गया है।
कुछ दिनों से पश्चिम बंगाल की राजनीति और प्रशासनिक हलकों में जिस मुद्दे को लेकर बेचैनी बनी हुई थी, उस पर अब चुनाव आयोग ने आधिकारिक स्थिति साफ कर दी है। बता दें कि मंगलवार को चुनाव आयोग ने विशेष गहन पुनरीक्षण यानी एसआईआर प्रक्रिया के बाद राज्य की मसौदा मतदाता सूची सार्वजनिक कर दी है, जिसमें बड़ी संख्या में मतदाताओं के नाम हटाए गए हैं।
मौजूद जानकारी के अनुसार, एसआईआर के बाद पश्चिम बंगाल की ड्राफ्ट वोटर लिस्ट में कुल 7 करोड़ 8 लाख 16 हजार 631 मतदाताओं के नाम दर्ज किए गए हैं। यह संख्या एसआईआर से पहले मौजूद 7 करोड़ 66 लाख 37 हजार 529 मतदाताओं से करीब 58 लाख 20 हजार कम है। आयोग के अनुसार, हटाए गए नामों में मृत्यु, स्थायी पलायन, डुप्लीकेट प्रविष्टि और गणना फॉर्म जमा न करने जैसे कारण प्रमुख रहे हैं।
गौरतलब है कि अगले साल की शुरुआत में राज्य में विधानसभा चुनाव होने की संभावना जताई जा रही है। ऐसे में चुनाव आयोग ने पारदर्शिता के तहत ड्राफ्ट सूची के साथ-साथ बूथ-वार हटाए गए मतदाताओं की सूची और नाम हटाने के कारण भी सार्वजनिक किए हैं। यह जानकारी मुख्य निर्वाचन अधिकारी पश्चिम बंगाल की वेबसाइट, आयोग के वोटर पोर्टल और ईसीआईनेट ऐप पर उपलब्ध कराई गई है।
चुनाव आयोग के वरिष्ठ अधिकारियों के अनुसार, जिन मतदाताओं के नाम ड्राफ्ट सूची से हटे हैं, उनके लिए सुनवाई की प्रक्रिया लगभग एक सप्ताह बाद शुरू की जाएगी। इस अंतराल का कारण नोटिस की छपाई, उन्हें संबंधित मतदाताओं तक पहुंचाना और डिजिटल रिकॉर्ड तैयार करना बताया गया है।
आयोग ने स्पष्ट किया है कि हटाए गए अधिकांश नाम उन मामलों से जुड़े हैं, जहां एसआईआर के दौरान गणना फॉर्म एकत्र नहीं हो पाए। इनमें ऐसे मतदाता शामिल हैं जिनकी मृत्यु हो चुकी है, जो स्थायी रूप से अपने पते से स्थानांतरित हो गए हैं, जो अपने पंजीकृत पते पर नहीं मिले या जिनके नाम एक से अधिक निर्वाचन क्षेत्रों में दर्ज पाए गए हैं।
मुख्य निर्वाचन अधिकारी कार्यालय की ओर से पहले जारी आंकड़ों के अनुसार, करीब 24 लाख मतदाता मृत पाए गए, लगभग 19 लाख 88 हजार मतदाता स्थायी रूप से स्थानांतरित हो चुके थे और 12 लाख से अधिक लोग अपने पते पर अनुपलब्ध या लापता पाए गए। इसके अलावा, करीब 1.38 लाख डुप्लीकेट मतदाता और लगभग 1.83 लाख तथाकथित ‘घोस्ट वोटर’ भी सूची से हटाए गए हैं।
चुनाव आयोग ने जोर देकर कहा है कि ड्राफ्ट सूची से नाम हटना अंतिम निर्णय नहीं है। प्रभावित मतदाता 16 दिसंबर 2025 से 15 जनवरी 2026 के बीच दावा और आपत्ति की अवधि में फॉर्म-6, घोषणा पत्र और आवश्यक दस्तावेज जमा कर सकते हैं। आयोग का कहना है कि यदि पात्रता सिद्ध होती है तो नाम अंतिम सूची में जोड़े जाएंगे।
इस बीच, विशेष रोल पर्यवेक्षक सुब्रत गुप्ता ने मतदाताओं से घबराने की जरूरत न होने की अपील की है। उन्होंने बताया कि करीब 30 लाख ऐसे मतदाता हैं जिनका विवरण पुराने रिकॉर्ड से मेल नहीं खा सका है और उन्हें सुनवाई का पूरा अवसर दिया जाएगा।
ड्राफ्ट सूची के प्रकाशन के बाद राज्य की राजनीति भी गरमा गई है। सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने चुनाव आयोग और भाजपा पर मिलकर डर का माहौल बनाने का आरोप लगाया है। पार्टी का दावा है कि बड़ी संख्या में सुनवाई की प्रक्रिया आम नागरिकों को भयभीत करने की कोशिश है। वहीं, भाजपा ने इन आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा है कि अंतिम सूची आने के बाद स्थिति और स्पष्ट होगी।
बता दें कि एसआईआर प्रक्रिया के दौरान कथित तनाव और अफवाहों को लेकर भी सियासी आरोप-प्रत्यारोप जारी हैं। तृणमूल कांग्रेस ने कुछ मौतों को एसआईआर से जुड़ी घबराहट से जोड़ने का दावा किया है, जबकि भाजपा ने इसे राजनीति से प्रेरित बताया है और इन आरोपों को बेबुनियाद करार दिया है।
चुनाव आयोग ने अंत में सभी मतदाताओं से अपील की है कि वे ऑनलाइन पोर्टल या स्थानीय बूथ लेवल अधिकारियों के माध्यम से अपने नाम की जांच करें और जरूरत पड़ने पर निर्धारित प्रक्रिया के तहत दावा-आपत्ति दर्ज कराएं ताकि अंतिम मतदाता सूची निष्पक्ष और त्रुटिरहित बनाई जा सके।
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