राजनाथ सिंह का मोरक्को में दिया बयान, PoK में क्या बड़ा होने वाला है? पाकिस्तान की आर्मी ने अचानक क्यों लगाया लॉकडाउन

PoK
AI Image
अभिनय आकाश । Sep 29 2025 2:37PM

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के बयान पर गौर करें तो पता चलेगा कि पाक सेना पीओके की जनता पर जुल्म कर रही है। बिजली, पानी, सड़क, स्कूल को लेकर आए दिन पीओके के लोगों और आर्मी के बीच जंग छिड़ी रहती है। अब उसी कड़ी में पीओके को लेकर एक बड़ी खबर सामने आ रही है। कहा जा रहा है कि पीओके में कुछ बड़ा होने वाला है।

पीओके है जिसे लेकर देश की संसद से लेकर संयुक्त राष्ट्र तक भारत शपथ ले चुका है। भारत साफ कर चुका है कि पीओके खाली करो। पूरा कश्मीर भारत का था और अब भारत का होगा। बीजेपी नीत राज्य के मुख्यमंत्री हो या देश के रक्षा मंत्री, गृह मंत्री या फिर प्रधानमंत्री समय समय पर कहते रहते हैं कि पीओके वापस लेकर रहेंगे। अभी बीते हफ्त की ही बात है जब मोरक्को में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से जब पूछा गया कि पीओके भारत का हिस्सा बनेगा? जिस पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने जवाब दिया था कि पीओके भारत का हिस्सा है और भारत सरकार इसे जम्मू कश्मीर राज्य में मानती है। रहा सवाल इसे भारत में मिलाने का तो वो खुद ब खुद हो जाएगा। पीओके की जनात भारत में मिलने के लिए तैयार हैं। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के बयान पर गौर करें तो पता चलेगा कि पाक सेना पीओके की जनता पर जुल्म कर रही है। बिजली, पानी, सड़क, स्कूल को लेकर आए दिन पीओके के लोगों और आर्मी के बीच जंग छिड़ी रहती है। अब उसी कड़ी में पीओके को लेकर एक बड़ी खबर सामने आ रही है। कहा जा रहा है कि पीओके में कुछ बड़ा होने वाला है। 

इसे भी पढ़ें: ड्रोन से बीच समुंदर उड़ाया जहाज, इजरायल का पाकिस्तान पर पहला तगड़ा हमला, भारत भी चौंक गया

ट्रंप को लुभाने में लगे शहबाज, पीओके की जनता कर रही पाक को बेनकाब

खबरों की मानें तो पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में हालात एक बार फिर गंभीर होते जा रहे हैं। नीलम वैली से लेकर मुजफ्फराबाद तक जनता का गुस्सा सातवें आसमान पर है। जिस पीओके को लेकर 70 सालों से देश और दुनिया को पाकिस्तान की सरकार बेवकूफ बनाती रही। वहां की जनता अब पाकिस्तान की करतूत को बेनकाब कर रही है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को लुभाने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन शायद उन्हें अपने गिरेबान में झाँकना चाहिए, जहाँ मुसीबतें उनके और उनके प्रशासन के लिए मुसीबत बन सकती हैं। खबरों की माने तो पीओके की जनता की वही बुनियादी सुविधा की मांग हो रही है, जो हरेक इंसान की जरूरत होती है। 

इसे भी पढ़ें: पाकिस्तान को उसी की भाषा में देना चाहिए जवाब, पीएम मोदी के पुराने इंटरव्यू का जिक्र कर उद्धव ने साधा निशाना

पीओके में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन

29 सितंबर को नागरिक समाज गठबंधन, अवामी एक्शन कमेटी (एएसी) ने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन का आह्वान किया गया। एएसी के एक प्रमुख नेता शौकत नवाज मीर ने मुजफ्फराबाद में कहा कि हमारा अभियान किसी संस्था के खिलाफ नहीं है, बल्कि उन मौलिक अधिकारों के लिए है जो 70 से ज़्यादा सालों से हमारे लोगों को वंचित रखे गए हैं। अब बहुत हो गया। या तो अधिकार दिलाओ या जनता के गुस्से का सामना करो। र ने कहा कि सोमवार का लॉकडाउन वर्षों से चली आ रही सरकारी उपेक्षा और भ्रष्टाचार के साथ-साथ राजनीतिक संरक्षण और रिश्वतखोरी पर क्षेत्र के संसाधनों की बर्बादी का सीधा जवाब है। विरोध प्रदर्शनों को व्यापक समर्थन मिल रहा है, वकीलों और अन्य नागरिक समाज संगठनों ने बंद का समर्थन करते हुए इसे एक वैध लोकतांत्रिक अधिकार बताया है। कारोबार, बाज़ार और परिवहन सेवाएँ प्रभावित होने की आशंका है। 

आसिम मुनीर की सेना क्यों कर रही मार्च

पीओके में हड़ताल और बंद कोई नई बात नहीं है। लेकिन जानकारों की माने तो पीओके की जनता अब बौखला उठी है। जो हालात नजर आ रहे हैं उसके हिसाब से ये लोगों का सालों से दबा पड़ा गुस्सा है जो अब सड़क पर फूट पड़ा है। पाकिस्तान की सरकार और सेना ने हालात बिगड़ने से पहले ही अपनी मंशा साफ कर दी। सुरक्षाबलों ने फ्लैगमार्च किया। गली-गली जवानों की मौजूदगी ने जनता के डर को और ज्यादा बढ़ा दिया। जानकारो का कहना है कि पाकिस्तान का पुराना तरीका यही रहा है कि कश्मीर के लोगों की आवाज को गोलियों से दबाओ। प्रदर्शन को खून से कुचल दो। लेकिन इस बार हालात कुछ अलग हैं। इस बार कुछ मुट्ठी भर लोग नहीं बल्कि पूरा इलाका उठ खड़ा हुआ है। 

इसे भी पढ़ें: आतंकवाद पर पाक का दोहरा चेहरा बेनकाब, UN में भारत का वार! 'पाकिस्तान सेना ने गिड़गिड़ाकर की थी युद्धविराम की अपील'

पीओके में अशांति का इतिहास

पीओके में सोमवार को हुए विरोध प्रदर्शन इस क्षेत्र में पहली बार नहीं होंगे। दरअसल, यह क्षेत्र लंबे समय से अशांति का केंद्र रहा है और स्थानीय लोग वर्षों से उपेक्षा और व्यवस्थागत भ्रष्टाचार का आरोप लगाते रहे हैं। पिछले मई में इस क्षेत्र में सब्सिडी वाले आटे और बिजली जैसी मांगों को लेकर कई बंद और प्रदर्शन हुए थे। उस समय, प्रदर्शनकारियों ने कहा था कि पीओके के लोगों को बिजली की कीमत पर बिजली मिलनी चाहिए क्योंकि यह स्थानीय स्तर पर, पीओके के मीरपुर जिले में स्थित मंगला बांध के माध्यम से उत्पन्न होती है। उन विरोध प्रदर्शनों के बाद, भारत ने कहा था कि ये आंदोलन इस्लामाबाद द्वारा उस क्षेत्र के संसाधनों की व्यवस्थित लूट की निरंतर नीति का एक स्वाभाविक परिणाम हैं, जो उसके जबरन और अवैध कब्जे में है। विशेषज्ञों के अनुसार, पीओके में मौजूदा अशांति 2023 से शुरू हुई है, जब लोगों ने बिजली की दरें बढ़ाने और गेहूं पर सब्सिडी वापस लेने को लेकर पाकिस्तान सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन शुरू किया था। 2022 में भी पाकिस्तान सरकार द्वारा अधिकृत क्षेत्र की संवैधानिक स्थिति को ठीक करने के लिए 15वां संशोधन लाने की योजना के खिलाफ बड़े पैमाने पर प्रदर्शन हुए थे। उस समय, प्रदर्शनकारियों ने अपना गुस्सा जाहिर करने के लिए टायर जलाए और राजमार्गों को जाम किया। उन्होंने पाकिस्तान में शामिल होने, संवैधानिक संशोधन के खिलाफ नारे लगाए और पाकिस्तान से आज़ादी की मांग की।

पीओके में विरोध प्रदर्शनों को लेकर पाकिस्तान चिंतित

हिंसा बढ़ने की आशंका के चलते, पाकिस्तान सरकार ने कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए इस्लामाबाद से 1,000 से ज़्यादा पुलिसकर्मियों और पंजाब प्रांत से अर्धसैनिक रेंजरों की अतिरिक्त टुकड़ियों को तैनात किया है। इसके अलावा, आधी रात से पीओके में इंटरनेट बंद कर दिया गया है, जिसे मानवाधिकार समूहों का कहना है कि यह डिजिटल लामबंदी को दबाने का एक प्रयास है। सोशल मीडिया पर ऐसे वीडियो वायरल हो रहे हैं जिनमें सुरक्षा बलों के काफिले क्षेत्र में घुसते दिखाई दे रहे हैं, जिससे कड़ी कार्रवाई की अटकलें तेज़ हो गई हैं। पाकिस्तान प्रशासन को डर है कि पीओके में विरोध प्रदर्शन का व्यापक प्रभाव हो सकता है। शहबाज शरीफ सरकार को डर है कि ये विरोध प्रदर्शन पाकिस्तान से आजादी की व्यापक मांग में बदल सकते हैं।

All the updates here:

अन्य न्यूज़