आतंकवाद पर पाक का दोहरा चेहरा बेनकाब, UN में भारत का वार! 'पाकिस्तान सेना ने गिड़गिड़ाकर की थी युद्धविराम की अपील'

भारत ने स्पष्ट किया कि ऑपरेशन सिंदूर के बाद युद्धविराम पाकिस्तान सेना की 'विनती' से हुआ, तीसरे पक्ष की भूमिका नहीं। पाकिस्तानी प्रधानमंत्री के अमेरिकी मध्यस्थता दावे को भारत ने खारिज किया। भारत की जवाबी कार्रवाई में आतंकी व हवाई ठिकानों के ध्वस्त होने पर पाकिस्तान संघर्ष विराम की गुहार लगाई।
भारत ने दोहराया है कि इस साल मई में ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान के साथ हुए युद्धविराम में किसी तीसरे पक्ष की कोई भूमिका नहीं थी। संयुक्त राष्ट्र महासभा में भारत ने कहा कि पाकिस्तानी सेना ने उससे लड़ाई रोकने की "विनती" की थी और नई दिल्ली और इस्लामाबाद के बीच किसी भी मुद्दे में किसी तीसरे पक्ष के हस्तक्षेप की कोई गुंजाइश नहीं है। संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन में प्रथम सचिव, पेटल गहलोत ने शुक्रवार को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के इस दावे पर प्रतिक्रिया दी कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दोनों देशों के बीच तनाव कम करने में मदद की थी। पहलगाम हमले के बाद पाकिस्तान के खिलाफ भारत की जवाबी कार्रवाई, ऑपरेशन सिंदूर, कश्मीर के पहलगाम में दो आतंकवादियों द्वारा पर्यटकों पर की गई गोलीबारी में 26 लोग मारे गए थे।
'पाक सेना ने गिड़गिड़ाकर की थी युद्धविराम की अपील'
संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) में भारत के जवाब देने के अधिकार का इस्तेमाल करते हुए संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन की प्रथम सचिव पेटल गहलोत ने कहा, “इस सभा में आज सुबह पाकिस्तान के प्रधानमंत्री का बेतुका बयान सुनने को मिला। शरीफ ने एक बार फिर आतंकवाद का महिमामंडन किया, जो उनकी विदेश नीति के केंद्र में है।”
गहलोत ने कहा कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने हालिया संघर्ष को लेकर एक “अजीब” कहानी पेश की, जबकि भारत ने 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले में 26 आम नागरिकों की मौत के जवाब में ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया था। इस हमले की जिम्मेदारी पाकिस्तान के आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े समूह द रेजिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) ने ली थी।
द्विपक्षीय मुद्दे में तीसरा पक्ष नहीं! UN में भारत ने पाकिस्तान को लताड़ा
भारत ने कहा, ‘‘नौ मई तक पाकिस्तान भारत पर और हमले करने की धमकी दे रहा था। लेकिन 10 मई को उसकी सेना ने सीधे हमसे संघर्ष रोकने की अपील की। इस बीच भारतीय सेना ने पाकिस्तान के कई एयरबेस नष्ट कर दिए थे। उस तबाही की तस्वीरें सार्वजनिक रूप से उपलब्ध हैं।” भारत ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में शुक्रवार सुबह प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के भाषण के बाद पाकिस्तान की कड़ी आलोचना की। शरीफ ने अपने भाषण में दावा किया कि हालिया संघर्ष में उनका देश “युद्ध जीत गया।”
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उन्होंने संघर्ष रोकने को अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मध्यस्थता का परिणाम बताया और साथ ही कश्मीर मुद्दा भी उठाया। शरीफ ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ का उल्लेख करते हुए यह भी दावा किया कि मई में चार दिन तक चले संघर्ष के दौरान “भारत के सात विमान क्षतिग्रस्त हुए थे।” भारत ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “अगर तबाह हुए रनवे और राख में बदल चुके हैंगर (हवाई जहाज रखने की जगह) पाकिस्तान को जीत लगते हैं, जैसा कि उसके प्रधानमंत्री ने दावा किया है, तो पाकिस्तान खुश हो सकता है।”
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गहलोत ने कहा, “ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारतीय सेनाओं द्वारा बहावलपुर और मुरिदके में स्थित आतंकी ठिकानों में मारे गए आतंकवादियों की कई तस्वीरें सामने आई हैं।” उन्होंने यह भी कहा, “जब पाकिस्तान के वरिष्ठ सैन्य और नागरिक अधिकारी खुलेआम इन कुख्यात आतंकवादियों का महिमामंडन करते हैं और उन्हें श्रद्धांजलि देते हैं, तो इस सरकार की मानसिकता पर कोई शक रह ही नहीं जाता।” गहलोत ने बताया कि ऑपरेशन सिंदूर के बाद एक तस्वीर वायरल हुई थी, जिसमें लश्कर-ए-तैयबा का आतंकी हाफिज अब्दुल रऊफ मुरिदके में स्थित लश्कर मुख्यालय पर हुए हमलों में मारे गए लोगों के जनाजे में नमाज अदा करवा रहा था।
शहबाज शरीफ का दावा झूठा
इस जनाजे में पाकिस्तान सेना के सदस्य भी मौजूद थे। उन्होंने कहा, “याद दिला दें कि पाकिस्तान ने एक दशक तक ओसामा बिन लादेन को पनाह दी, जबकि वह आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में साझेदार बनने का दिखावा करता रहा। इसके मंत्रियों ने हाल ही में खुद स्वीकार किया है कि वे दशकों से आतंकी शिविर संचालित कर रहे हैं।” भारत ने दोहराया कि दिल्ली और इस्लामाबाद के बीच के मुद्दों में किसी तीसरे पक्ष के हस्तक्षेप की कोई जगह नहीं है।
गहलोत ने कहा, “भारत और पाकिस्तान लंबे समय से इस बात पर सहमत हैं कि उनके बीच के किसी भी लंबित मुद्दे को द्विपक्षीय तरीके से सुलझाया जाएगा। इस प्रक्रिया में किसी तीसरे पक्ष के लिए कोई स्थान नहीं है।” भारत लगातार यह कहता आया है कि संघर्षविराम पर सहमति दोनों देशों की सेनाओं के सैन्य संचालन महानिदेशकों (डीजीएमओ) के बीच सीधी बातचीत के बाद बनी थी।
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