भारत के इस दोस्त से इतना क्यों डरते हैं ट्रंप? जेलेंस्की को हटा अब किसे कुर्सी पर बिठाने वाला है अमेरिका

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अभिनय आकाश । Feb 14 2025 2:26PM

दोनों के बीच करीब 60 मिनट तक बातचीत हुई इसके बाद ट्रंप ने बताया कि पुतिन की तरह ही जेलेन्स्की भी जंग रोकने के लिए तैयार है। दोनों फोन कॉल के बाद ट्रम्प ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की।

Hello! This is white house calling. प्रेसिडेंट ट्रम्प इज ऑन द लाइन। कैन यू प्लीज कनेक्ट टू द प्रेसिडेंट पुतिन। ये सुनते ही मॉस्को के एक कमरे में मौजूद लोगों के चेहरे पर मुस्कुराहट तैरने लगी। रूस के राष्ट्रपति पुतिन को पिछले तीन बरसों से इस कॉल का इंतेजार था। यूक्रेन वॉर शुरू होने के बाद से अमेरिका से उनकी बातचीत बंद थी। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 12 फरवरी के रात दो लोगों को फोन लगाया। पहला फोन रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को और दोनों के बीच करीब 90 मिनट तक बातचीत हुई इसके बाद ट्रंप बोले की पुतिन जंग रोकने के लिए बातचीत को तैयार हैं और हम मिलकर इसपर काम करेंगे। ट्रम्प का अगला फोन  यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलडोमिर जेलेन्स्की को गया। दोनों के बीच करीब 60 मिनट तक बातचीत हुई इसके बाद ट्रंप ने बताया कि पुतिन की तरह ही जेलेन्स्की भी जंग रोकने के लिए तैयार है। दोनों फोन कॉल के बाद ट्रम्प ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की।

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यूक्रेन युद्ध के 3 सालों में पहली बार क्या हुआ नया? 

ट्रंप ने कहा कि मैं और पत्नी जल्दी सऊदी अरब में मिलने वाले लेकिन जब ट्रम्प से पूछा गया कि क्या यूक्रेन भी जाएंगे तो कहा कि अभी ऐसा कोई प्लान नहीं है। इसके साथ ही ये भी कहा कि यूक्रेन को नाटो के सदस्यता मिलना प्रैक्टिकल नहीं है। ट्रंप के इन बयानों को कुछ जानकार पुतिन की कूटनीतिक जीत के तौर पर देख रहे हैं। गौर करने वाली बात यह है कि रूस यूक्रेन युद्ध के 3 साल के दौरान अमेरिका कभी भी रूस की तरफ मध्यस्थता का हाथ बढ़ाते नहीं दिखा। इन तीन सालों में अधिकतर जो बाइडेन राष्ट्रपति रहे। मार्च 2023 में बाइडेन ने पुतिन को मर्डर्स डिक्टेटर तक कह दिया था। बड़े ने सारे कूटनीतिक संबंध भी खत्म कर दिए थे। यूक्रेन को सबसे ज्यादा हथियार अमेरिका ही दे रहा था। उसने रूस पर लंबे चौड़े आर्थिक प्रतिबंध भी लगाए।  दूसरी ओर यूक्रेन को अमेरिका का साथ मिलता रहा। ऐसे में पुतिन के अमेरिका जाने का तो सवाल उठता ही नहीं था। लेकिन जनवरी 2025 में कहानी पलट गई और अमेरिका में सत्ता परिवर्तन हो गया। बाइडेन के अप्रोच के ठीक उलट ट्रंप नई चुनावी कैंपेन में यूक्रेन को मिलने वाली अमेरिकी मदद की आलोचना की थी। अब जब वह राष्ट्रपति है तो खुलकर बनी बनाई व्यवस्था के विपरीत जा रहे हैं।

रूस यूक्रेन जंग का भविष्य

ये तो साफ है कि रूस 2014 वाली स्थिति से पीछे नहीं जाएगा। 2014 में रूस ने क्रीमिया पर कब्जा किया था। 2022 की जंग में उसने यूक्रेन के चार नए प्रांतों डोनेट्स्क, खेरसॉन, लुहान्स्क और जापोरिजिया को अपना हिस्सा बनाया। अंतरराष्ट्रीय समुदाय से इन्हें मान्यता नहीं दी गई है। यूक्रेन का कहना है कि रूस कब्जाए इलाकों को वापस करे। जेलेंस्की ने द गार्जियन अखबार को दिए एक इंटरव्यू में कहा कि वे रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को रूस के कुर्स्क क्षेत्र को वापस देने की पेशकश करेंगे। हालांकि उन्होंने यह नहीं बताया कि वे बदले में कौन से क्षेत्र मांगेंगे। उन्होंने कहा कि ये कुछ तय नहीं है। हमारे लिए सभी क्षेत्र महत्वपूर्ण हैं और हमारी कोई प्राथमिकता नहीं है। हम एक इलाके के बदले दूसरा इलाका देंगे। आपको बता दें कि यूक्रेन ने छह महीने पहले रूस के कुर्स्क क्षेत्र में कब्जा कर लिया था। रूस लाख कोशिशों के  बावजूद यूक्रेन को वहां से हटा नहीं पाया है। 

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20% यूक्रेन को कब्जा चुका रूस

रूस अब तक 20% यूक्रेन के हिस्सों को कब्जा चुका। क्रीमिया पर 2014 में कब्जा। डोनेस्क, खार्किव, खेरसॉन, लुहान्सक और जापोरिळ्या ओब्लास्ट पर भी कब्जा कर चुका है।12,456 लोगों की जंग में मौत। वहीं, 28,382 लोग घायल हुए। यूक्रेन के अनुसार रूस के 4,30790 सैनिकों की मौत हुई है। हालांकि, रूस ने इससे इनकार किया है। स्वतंत्र स्रोतों के अनुसार जंग में एक लाख सैनिकों की मौत हुई है। इसमें यूक्रेन के 40 हजार सैनिक भी शामिल हैं। यूक्रेन चाहता है कि कब्जा की गई जमीन उसे वापस मिले और 2014 वाली बॉन्ड्री रिस्टोर कर दी जाए। यूक्रेन इन सब के अलावा नाटो की सदस्यता भी चाहता है। लेकिन सबसे बड़ा सवाल ये है कि ट्रंप जंग रुकवाते हुए ये सब सुनिश्चित कर पाएंगे। क्या वो यूक्रेन को 2014 वाली बॉन्ड्री वापस दिला पाएंगे। 

क्या है ट्रंप का पीस प्लान

एक चीज आपको साफ नजर आएगी कि ट्रंप ने पुतिन को गौर से सुना और जेलेंस्की को अपनी बात सुनाई। अमेरिका की ट्रंप सरकार पुतिन के समर्थन में ज्यादा दिखती है। यूक्रेन वॉर का पीस प्लान रूस और अमेरिका मिलकर तय करेंगे। यूक्रेन इसमें थर्ड पार्टी की तरह होगा। यूक्रेन एक प्लेयर है लेकिन वो अब खेल को प्रभावित करने की स्थिति में अब नहीं रहा। जो इलाके रूस ने कब्जाएं हैं उनमें से ज्यादातर या एक बड़ा हिस्सा रूस के पास रह सकता है। कम से कम रूस औऱ अमेरिका का प्लान तो ऐसा ही लगता है। यूक्रेन को नाटो की मेंबरशिप नहीं मिलेगी। उसे अपनी सुरक्षा का ध्यान खुद रखना पड़ेगा। बेल्जियम में नाटो मुख्यालय में अमेरिकी रक्षा मंत्री पीट हेगसेथ ने साफ कर दिया कि अमेरिका अब यूक्रेन को पहले की तरह बड़ी आर्थिक और सैन्य सहायता नहीं देगा। उन्होंने यह डी कहा कि यथार्थवादी शांति योजना के तहत ट्रम्प युक्रेन की नाटो में सदस्यता का समर्थन नहीं करते हैं। हेगसेथ ने कहा कि यूक्रेन के लिए 2014 से पहले की सीमाओं पर लौटना अब असंभव है। ट्रंप ने भी कहा है कि वो यूक्रेन के नाटो मेंबरशिप का समर्थन नहीं करता है। उन्होंने कहा है कि ये प्रैक्टिकल नहीं है। आपको याद होगा जुलाई 2024 में नाटो की 75वीं सालगिरह के मौके पर जेलेंस्की की मौजूदगी थी। तब कहा गया था कि यूक्रेन की नाटो मेंबरशिप अकाट्य है और इसे रोका नहीं जा सकता है। लेकिन इससे ठीक उलट ट्रंप ने साफ कर दिया है कि उनके पीस प्लान में ऐसा कुछ नहीं है और रूस के बुनियादी शर्तों में से ही है। 

यूरोपीय देशों को सताया किस बात का डर

युद्ध को लेकर प्रस्तावित समझौते में यूक्रेन का जिक्र नहीं होने से पूरे यूरोप में हलचल है। यूरोपीय देशों को डर है कि ट्रम्प और रूस के राष्ट्रपति पुतिन कहीं अपनी शतों पर यह समझौता न कर लें। उनका मानना है कि ट्रम्प प्रशासन रूस को बड़ी रियायतें दे सकता है, जिससे यूरोप की सुरक्षा खतरे में पड़ सकती है। यदि ऐसा होता है तो इसमें यूक्रेन व पूरे यूरोप को धक्का लगेगा। इस बीच यूरोपीय देशों ने स्पष्ट किया है कि यूक्रेन को शामिल किए बिना शांति वार्ता मंजूर नहीं है। नाटो  महासचिव मार्क रुटे ने कहा कि यूक्रेन को उसके भविष्य  पर होने वाली हर वार्ता में शामिल करना जरूरी है। वरना समझौता करना बेमानी होगा। हालांकि, विश्लेषकों का  मानना है कि न तो यूरोप और न ही बेलेंस्की के पास  ज्यादा विकल्प हैं। उन्हें ट्रम्प की प्रस्तावित वार्ता का समर्थन करना ही होगा, भले ही वे इस पर भरोसा न करें।

ब्रिटेन और सहयोगी का यूक्रेन को समर्थन जारी रहेगा 

ब्रिटेन ने कहा है कि वह स्थायी शांति होने तक यूक्रेन को मदद जारी रखेगा। ब्रिटेन ने कहा कि हमारा लक्ष्य अमेरिका और यूरोपीय देशों के साथ मिलकर यूक्रेन को बेहतर स्थिति में लाना है, ताकि किसी भी बातचीत में उसकी भूमिका मजबूत हो। यूक्रेन की मजबूत सुरक्षा गारंटी दी जानी चाहिए ताकि वह भविष्य में किसी भी खतरे से सुरक्षित रहे। ब्रिटेन के इस बयान पर जर्मनी, फ्रांस, पोलैंड, इटली, स्पेन ने भी समर्थन जताया है। 

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जाने वाली है जेलेंस्की की कुर्सी 

जेलेंस्की 2019 से राष्ट्रपति की कुर्सी पर हैं। 2024 में कार्यकाल खत्म हुआ लेकिन मार्शल लॉ का हवाला देते हुए चुनाव टाला गया। जेलेंस्की पर चुनाव कराने का दबाव है। जंग तो चलती ही रहेगी तो ऐसे में क्या कभी चुनाव नहीं होंगे। पुतिन से उनकी निजी दुश्मनी सी हो गई है। उन्होंने जेलेंस्की के औचित्य पर ही सवाल खड़े किए थे। चर्चा है कि ट्रंप के पीस प्लान में जेलेंस्की को कुर्सी छोड़ने के लिए भी कहा जा सकता है। इससे रूस को समझौते के लिए तैयार करना छोड़ा आसान हो जाएगा। 

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