150 साल पुरानी गरतांग गली सैलानियों के लिए फिर खुली, भारत-चीन युद्ध के बाद आवाजाही पर लगी थी रोक

Gartang Gali

प्राप्त जानकारी के मुताबिक भारत-तिब्बत व्यापार की गवाह रही गरतांग गली करीब 11,000 फुट की ऊंचाई पर बनी है।

देहरादून। उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले की नेलांग घाटी पर स्थित ऐतिहासिक गरतांग गली सैलानियों के लिए फिर से खोल दी गई है। आपको बता दें कि साल 1962 में हुए भारत-चीन युद्ध के बाद 150 साल पुरानी गरतांग गली पर सैलानियों की आवाजाही पर रोक लगा दी गई थी। 

इसे भी पढ़ें: उत्तराखंड दौरे पर जेपी नड्डा, साधु-संतों का लेंगे आशीर्वाद, पूर्व सैनिकों के साथ भी करेंगे बैठक 

प्राप्त जानकारी के मुताबिक भारत-तिब्बत व्यापार की गवाह रही गरतांग गली करीब 11,000 फुट की ऊंचाई पर बनी है। उत्तरकाशी के जिलाधिकारी मयूर दीक्षित के आदेश के बाद​ 150 मीटर लंबी सीढ़ियों वाली गरतांग गली को फिर से खोल दिया गया।

जिलाधिकारी मयूर दीक्षित ने बताया कि कोरोना प्रोटोकॉल और सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए एक बार में 10 पर्यटकों को ही पुल पर जाने दिया जा रहा है। पेशावर से आए पठानों ने 150 साल पहले इस पुल का निर्माण किया था। आजादी से पहले तिब्बत के साथ व्यापार के लिए उत्तकाशी में नेलांग वैली होते हुए तिब्बत ट्रैक बनाया गया था।

कैसे बनाई गई गरतांग गली ?

जिलाधिकारी मयूर दीक्षित से मिली जानकारी के मुताबिक भैरोंघाटी के नजदीक खड़ी चट्टान वाले हिस्से में लोहे की रॉड गाड़कर और फिर लकड़ी बिछाकर रास्ता तैयार किया गया था। इस गली के सहारे लोगों को बड़ी राहत मिली थी। ऊन, चमड़े से बने कपड़े और नमक तिब्बत से उत्तरकाशी के बाड़ाहाट पहुंचाया जाता था। 

इसे भी पढ़ें: साल में सिर्फ रक्षाबंधन के दिन खुलते हैं इस मंदिर के कपाट, जानिए क्या है इसका रहस्य 

बता दें कि गरतांग गली से नेलांग घाटी का बेहतरीन नजारा दिखाई देता है। वहीं साल 2015 से सैलानियों के लिए नेलांग घाटी तक जाने के लिए भारत सरकार की ओर से अनुमति दे दी गई थी। रिपोर्ट्स के मुताबिक प्रदेश के पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने बताया कि गरतांग गली ट्रैकिंग के शौकीन लोगों का एक मुख्य केंद्र बन रहा है और स्थानीय लोगों और साहसिक पर्यटन से जुड़े लोगों को इसका फायदा मिल रहा है।

We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़