हरियाणा में प्राइवेट नौकरी में 75 फीसदी वाला आरक्षण, कानूनी चुनौतियों का सामना करने के लिए कितना तैयार?

Haryana reservation
अभिनय आकाश । Mar 8 2021 7:49PM

हरियाणा की प्राइवेट नौकरियों में अब 75 फीसदी रोजगार सिर्फ हरियाणा के लोग ही पाएंगे। यानी हर 4 में से 3 निजी नौकरी हरियाणा के लोगों के लिए होगी। हर 4 में आखिरी बची एक प्राइवेट नौकरी ही बाहर राज्य के लोगों को मिल पाएगी।

हरियाणा में प्राइवेट कंपनी की 75 फीसदी नौकरी को शर्तों के साथ अब हरियाणा के ही लोगों को देनी होगी। हरियाणा सरकार के उस विधेयक को राज्यपाल की मंजूरी मिल गई है। जो कहता है कि हरियाणा की प्राइवेट नौकरियों में अब 75 फीसदी रोजगार सिर्फ हरियाणा के लोग ही पाएंगे। यानी हर 4 में से 3 निजी नौकरी हरियाणा के लोगों के लिए होगी। हर 4 में आखिरी बची एक प्राइवेट नौकरी ही बाहर राज्य के लोगों को मिल पाएगी। मतलब बाकी के 25 फीसदी में बिहार से रख लीजिए, मणिपुर, बंगाल, महाराष्ट्र से रख लीजिए या इंग्लैंड, अमेरिका और जर्मनी वाला रख लीजिए। तो सवाल है कि निजी क्षेत्र में भी नौकरी का पैमाना योग्यता होगा या किसी तरह का कोई आरक्षण?

तो सवाल हुआ कि क्या गूगल, माइक्रोसॉफ्ट, टीसीएस, जेनपैक्ट जैसी बड़ी कंपनियों को अब हरियाणा के नियम के मुताबिक हरियाणा के ही लोगों को अपनी कंपनी में 75 फीसदी नौकरी देनी होगी। तो जवाब है हां। 

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आरक्षण के नियम

75 फीसदी आरक्षण हरियाणा के लोगों को ही निजी नौकरी में देने का विधेयक नई स्थापित होने वाली और हरियाणा में पहले से चल रहे उन कंपनियों, सोशायटी, ट्रस्ट और फर्म पर लागू होगा जिनमें 10 से ज्यादा कर्मचारी हैं। हरियाणा के लोगों को आरक्षण का ये फॉर्मूला 50 हजार रूपये मासिक वेतन तक वाली नौकरियों में मिलेगा। सभी प्राइवेट कंपनियों हरियाणा सरकार के पोर्टल पर 3 महीने में रजिस्ट्रेशन कराना होगा। सभी निजी कंपनी को तीन महीने में ये बताना होगा कि 50 हजार तक की तनख्वाह वाले कितने पद हैं और हरियाणा से कितने लोग उनकी कंपनी में काम कर रहे हैं। अगर किसी ने हरियाणा के लोगों को ही 75 फीसदी नौकरी देने का नियम नहीं माना तो जुर्माने के साथ कंपनी का लाइसेंस और रजिस्ट्रेशन तक रद्द हो सकता है। जो कि कंपनी हरियाणा सरकार की निजी नौकरी में आरक्षण को पूरी तरह ईमानदारी से लागू करेगी उसे सरकार प्रोत्साहन राशि देगी। 

क्या इस तरह का कानून बनाया जा सकता है?

जवाब है हां, संविधान के अनुच्छेद 16 (3) संसद को राज्य या केंद्र शासित प्रदेश के तहत स्थानीय या किसी अन्य प्राधिकरण के साथ सार्वजनिक रोजगार और नौकरियों में डोमिसाइल के आधार पर आरक्षण प्रदान करने का अधिकार देती है। साल 1957 में इसी का प्रयोग करते हुए केंद्र सरकार द्वारा राज्य या केंद्र शासित प्रदेश में मौजूद सभी कानूनों को निरस्त करने के लिए सार्वजनिक रोजगार अधिनियम रोजगार अधिनियम पारित किया। 

चुनाव में जेजेपी ने किया था वादा

स्थानीय लोगों को निजी क्षेत्र में 75 फीसदी आरक्षण का मामला पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव से जुड़ा हुआ है। तब जननायक जनता पार्टी के नेता दुष्यंत चौटाला ने चुनाव प्रचार के दौरान इसका वादा किया था। चौटाला राज्य के मुख्यमंत्री के साथ ही उद्योग, श्रम और रोजगार मंत्री भी हैं। 

 सीधे कानून पारित करने की शक्ति राज्य के पास? 

डोमिसाइल आधारित आरक्षण पर सीधे कानून पारित करने की कोई शक्ति राज्य सरकार के पास नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने कई फैसलों में इस चलन को कम किया। ग्रामीण क्षेत्रों के अभ्यर्थियों के पक्ष में मेडिकल कॉलेजों में कुछ प्रतिशत सीटों के उत्तर प्रदेश के आरक्षण को आर्थिक विचारों पर उचित ठहराया गया तो सुप्रीम कोर्ट ने याचिका खारिज कर दिया था।  

स्थानीय आरक्षण का वादा सियासी रणनीति बनती जा रही 

हमारे देश में बरसों से जातियों की दीवार तोड़ने की राजनीति हो रही है। धर्मों और भाषाओं की दीवार तोड़ने की राजनीति हो रही है। लेकिन हर चुनाव में एक नई दीवार खड़ी हो जाती है। इससे पहले आंध्र प्रदेश में जगनमोहन रेड्डी सीएम बने तो उन्होंने कानून बना दिया कि आंध्र प्रदेश की प्राइवेट कंपनियों में राज्य के लोगों के लिए 75 फीसदी नौकरियां आरक्षित होंगी। राजनीतक दलों की ओर से युवाओं को नौकरी में स्थानीय आरक्षण का वादा करना नई सियासी रणनीति बनती जा रही है। राजनीति दलों द्वारा ये क्षेत्रीय भावना को उभारने की नीति है या देश में बढ़ती बेरोजगारी को अंकित करने का संदेश। लेकिन राजनीति का नया ट्रेंड ऐसे ही जारी रहा तो इसके असर से देश में युवाओं के लिए एक दीवार खड़ी हो जाएगी।

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