साइबर धोखाधड़ी के सभी मामलों की जांच होगी, चाहे रकम छोटी ही क्यों न हो: पुलिस महानिदेशक

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अधिकारी ने बताया कि 2023 में 57 नए साइबर थानों की स्थापना के साथ, सभी प्रकार की ऑनलाइन धोखाधड़ी, चाहे वह कितनी भी छोटी क्यों न हो जांच के दायरे में होगी।

उत्तर प्रदेश पुलिस प्रमुख ने ऑनलाइन धोखाधड़ी के मामलों में प्राथमिकी दर्ज करने के लिए पांच लाख रुपये की सीमा को हटाने सहित साइबर अपराध से निपटने के लिए बुधवार को कई सुधारों की घोषणा की।

पुलिस महानिदेशक राजीव कृष्ण ने यहां राष्ट्रीय साइबर अपराध हेल्पलाइन नंबर 1930 के लिए एक कॉल सेंटर के उद्घाटन के दौरान इन बदलावों का जिक्र किया। इस कॉल सेंटर के जरिये वित्तीय साइबर अपराधों के पीड़ितों को चौबीसों घंटे सहायता प्रदान की जाएगी।

यहां कांस्टेबलों से लेकर निरीक्षकों तक कुल 94 पुलिसकर्मी तैनात किए गए हैं, जिनमें 50 कॉलर पाली में काम करेंगे। कृष्ण ने संवाददाताओं को बताया कि कॉल सेंटर पर प्राप्त शिकायतें भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र, साइबर अपराध मुख्यालय और जिला पुलिस इकाइयों के मंचों पर वास्तविक समय में दिखाई देंगी।

उन्होंने यह भी बताया कि केवल पांच लाख रुपये से अधिक की साइबर धोखाधड़ी में ही प्राथमिकी दर्ज करने के नियम को रद्द कर दिया गया है। अधिकारी ने बताया कि 2023 में 57 नए साइबर थानों की स्थापना के साथ, सभी प्रकार की ऑनलाइन धोखाधड़ी, चाहे वह कितनी भी छोटी क्यों न हो जांच के दायरे में होगी।

इसके अलावा, राज्य पुलिस ने सरकार को आईटी अधिनियम में संशोधन का प्रस्ताव देते हुए पत्र लिखा है, जो उप-निरीक्षकों को साइबर अपराधों की जांच करने का अधिकार देगा। उन्होंने बताया, “वर्तमान में केवल निरीक्षकों को ही ऐसी जांच करने का अधिकार है, जिसके परिणामस्वरूप अक्सर प्राथमिकी दर्ज करने और मामले के निपटारे में देरी होती है।

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