आरक्षण की नई श्रेणियों को लेकर अस्पष्टता, विपक्षी दलों ने स्पष्टता न होने का दिया हवाला

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विपक्ष के नेता सिद्धारमैया ने चुनाव के लिए इस कदम को “राजनीतिक हथकंडा” बताते हुए कहा कि सरकार द्वारा अभी तक कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है।

वोक्कालिगा और लिंगायत के लिए दो नई ओबीसी श्रेणियां बनाने और 10 प्रतिशत ईडब्ल्यूएस कोटा के एक हिस्से का उपयोग करके उनकी आरक्षण मांग को पूरा करने के कर्नाटक सरकार के फैसले को लेकर विपक्ष ने स्पष्टता की कमी का हवाला दिया है। विपक्ष के नेता सिद्धारमैया ने चुनाव के लिए इस कदम को “राजनीतिक हथकंडा” बताते हुए कहा कि सरकार द्वारा अभी तक कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है। जद (एस) नेता एच डी कुमारस्वामी ने पूछा कि बृहस्पतिवार को कैबिनेट के फैसले के नतीजे से किसी समुदाय को और किस तरह से फायदा हुआ है।

निर्णय के अनुसार, अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) सूची की श्रेणी 3ए के अंतर्गत आने वाले वोक्कालिगा को अब नई श्रेणी 2सी में रखा जाएगा, जबकि वीरशैव-लिंगायत, जो अभी श्रेणी 3बी के अंतर्गत हैं, को श्रेणी 2डी में रखा जाएगा। मौजूदा कैटेगरी 3ए और 3बी को खत्म किया जाएगा। हालांकि, उसने पिछड़ा वर्ग आयोग की अंतिम रिपोर्ट आने तक 2सी और 2डी श्रेणियों के लिए आरक्षण की मात्रा के संबंध में निर्णय को टाल दिया है।

इन समुदायों से कोटा में बढ़ोतरी की मांगों को पूरा करने के लिए, सरकार 10 प्रतिशत दुर्बल आय वर्ग (ईडब्ल्यूएस) कोटा से निकालने की योजना बना रही है जो ब्राह्मणों, जैनियों, आर्य वैश्यों, नागरथों और मुदलियारों पर लागू होगा। ऐसा रिपोर्ट के बाद किए जाने की संभावना है, जो ईडब्ल्यूएस कोटे के लायक जातियों और जनसंख्या का निर्धारण करेगी। वोक्कालिगा और लिंगायत दोनों क्रमशः दक्षिण और उत्तर कर्नाटक क्षेत्रों में संख्यात्मक रूप से प्रमुख समुदाय हैं, और राजनीतिक रूप से भी मजबूत हैं।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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