China के मन में क्यों उमड़ रहा है Indian Army के प्रति प्यार? Dragon की कोई नई साजिश है या भारत-चीन के संबंध हो रहे हैं सामान्य?

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हम आपको बता दें कि भारत और चीन ने शेष मुद्दों का समाधान करने और पूर्वी लद्दाख में सैनिकों को पूर्णत: पीछे हटाने के प्रस्तावों पर "रचनात्मक" कूटनीतिक वार्ता की है लेकिन इसमें कोई बड़ी सफलता प्राप्त होने का कोई स्पष्ट संकेत नहीं मिला है।

भारत और चीन ने संबंधों में तनाव घटाने के उद्देश्य से एक बार फिर बात की है लेकिन इससे कोई ठोस प्रगति नहीं हुई है। भारत चीन सीमा मामलों पर परामर्श और समन्वय के लिए बने कार्य तंत्र ढांचे की बैठक के बाद जारी भारतीय विदेश मंत्रालय के बयान को देखें तो एक बात साफ तौर पर उभर कर आती है कि दोनों पक्ष अपने अपने रुख पर अड़े हुए हैं। वहीं दूसरी ओर चीन के राष्ट्रीय रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता की ओर से दिया गया बयान भी दर्शा रहा है कि दोनों देशों के संबंधों पर बर्फ जमी हुई है।


भारतीय विदेश मंत्रालय का बयान

विस्तार से बात करें तो आपको बता दें कि भारत और चीन ने शेष मुद्दों का समाधान करने और पूर्वी लद्दाख में सैनिकों को पूर्णत: पीछे हटाने के प्रस्तावों पर "रचनात्मक" कूटनीतिक वार्ता की है लेकिन इसमें कोई बड़ी सफलता प्राप्त होने का कोई स्पष्ट संकेत नहीं मिला है। भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा है कि दोनों पक्षों ने "उद्देश्य" हासिल करने के लिए वरिष्ठ कमांडरों की बैठक का अगला दौर जल्द आयोजित करने का फैसला किया और जमीन पर स्थिर स्थिति सुनिश्चित करने तथा किसी भी तरह की अप्रिय घटना से बचने की आवश्यकता पर सहमति व्यक्त की। भारतीय विदेश मंत्रालय के बयान में कहा गया है कि दोनों पक्षों ने स्थिति की समीक्षा की और शेष मुद्दों का समाधान करने एवं पूर्वी लद्दाख में सैनिकों को पूर्णत: पीछे हटाने संबंधी प्रस्तावों पर "खुली, रचनात्मक और गहन" चर्चा की। हम आपको बता दें कि यह वार्ता डिजिटल तरीके से भारत-चीन सीमा मामलों (डब्ल्यूएमसीसी) पर परामर्श एवं समन्वय के लिए कार्य तंत्र ढांचे के तहत हुई। भारतीय विदेश मंत्रालय में संयुक्त सचिव (पूर्वी एशिया) गौरांगलाल दास ने भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया। चीनी दल का नेतृत्व चीन के विदेश मंत्रालय में सीमा एवं समुद्री मामलों के महानिदेशक ने किया।

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विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘‘दोनों पक्षों ने भारत-चीन सीमा क्षेत्रों के पश्चिमी सेक्टर में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) से लगे क्षेत्र में स्थिति की समीक्षा की और शेष मुद्दों का समाधान करने एवं पूर्वी लद्दाख में सैनिकों को पूर्णत: पीछे हटाने के प्रस्तावों पर खुली, रचनात्मक और गहन चर्चा की।’’ बयान में कहा गया है, ‘‘दोनों पक्ष सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति बनाए रखने, जमीन पर स्थिर स्थिति सुनिश्चित करने और किसी भी अप्रिय घटना से बचने की आवश्यकता पर सहमत हुए।’’ विदेश मंत्रालय ने कहा, ‘‘दोनों पक्ष सैन्य और कूटनीतिक वार्ता जारी रखने और उपरोक्त उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए वरिष्ठ कमांडरों की बैठक का अगला दौर जल्द आयोजित करने पर सहमत हुए।’’ 

हम आपको यह भी याद दिला दें कि गत अक्टूबर में हुई सैन्य वार्ता में, भारतीय पक्ष ने देपसांग और डेमचोक में लंबित मुद्दों के समाधान पर जोर दिया था। भारत और चीन के सैनिकों के बीच पूर्वी लद्दाख में कुछ टकराव वाले बिंदुओं पर तीन साल से अधिक समय से गतिरोध की स्थिति है। हालांकि, दोनों पक्षों ने व्यापक कूटनीतिक और सैन्य वार्ता के बाद कई क्षेत्रों से सैनिकों की वापसी पूरी कर ली है। भारत का कहना है कि जब तक सीमावर्ती इलाकों में शांति बहाल नहीं होगी, तब तक चीन के साथ उसके संबंध सामान्य नहीं हो सकते। उल्लेखनीय है कि पैंगोंग झील क्षेत्र में हिंसक झड़प के बाद 5 मई, 2020 को पूर्वी लद्दाख सीमा पर गतिरोध पैदा हो गया था।

चीन के बयान पर एक नजर

दूसरी ओर, चीन के रक्षा मंत्रालय ने कहा है कि इसकी फौज भारतीय सेना के साथ अपने संबंधों को महत्व देती है तथा पूर्वी लद्दाख में गतिरोध के बीच कोर कमांडर स्तर की 20 दौर की वार्ताओं से तनाव घटाने में मदद मिली है। चीन के राष्ट्रीय रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता वरिष्ठ कर्नल वु छियान ने पूर्वी लद्दाख में लंबे समय से जारी गतिरोध पर एक सवाल का जवाब देते हुए कहा कि भारत-चीन सीमा पर मौजूदा स्थिति स्थिर बनी हुई है। उन्होंने कहा कि शीर्ष नेताओं के मार्गदर्शन के तहत, दोनों पक्षों ने राजनयिक और सैन्य माध्यमों के जरिये प्रभावी संवाद कायम रखा है तथा ‘वेस्टर्न सेक्टर’ में शेष मुद्दों का हल करने में क्रमिक प्रगति की है।

गतिरोध का समाधान करने के लिए अब तक हुई कोर कमांडर स्तर की 20 दौर की वार्ताओं में हुई प्रगति का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि सीमा नियंत्रण के लिए वार्ता एक महत्वपूर्ण मंच बन गया है तथा इसने गलवान घाटी, पैंगोंग झील और हॉट स्प्रिंग्स सहित चार क्षेत्रों में सैनिकों को पीछे हटाने में भूमिका निभाई है। कर्नल वु छियान ने कहा, ‘‘चीन, भारत-चीन सैन्य संबंध को महत्व देता है। हम उम्मीद करते हैं कि भारतीय पक्ष परस्पर विश्वास बहाल करने, उपयुक्त तरीके से मतभेदों को दूर करने और सीमाओं पर शांति एवं स्थिरता के लक्ष्य पर पहुंचने के लिए हमारे साथ काम करेगा।’’ हम आपको याद दिला दें कि कोर कमांडर स्तर की पिछली वार्ता, वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के भारतीय सीमा की ओर चुशुल-मोल्दो सीमा बैठक स्थल पर नौ-10 दिसंबर को हुई थी। हालांकि, कर्नल वु छियान ने अगले दौर की वार्ता के बारे में कुछ नहीं कहा। उन्होंने कहा, ‘‘कोर कमांडर स्तर की अगली बैठक के लिए हम आने वाले समय में सूचना देंगे।’’

बहरहाल, यहां सवाल उठता है कि चीन के रक्षा मंत्रालय ने भारतीय सेना के प्रति जो प्यार और सम्मान के भाव का प्रदर्शन किया है वह कहीं ड्रैगन की कोई नई चाल तो नहीं है? चीन जिस तरह समय-समय पर नये दांव चल कर मनोवैज्ञानिक आधार पर खेल खेलता है। उसको देखते हुए भारत को और सतर्कता बरतने की जरूरत है।

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