भारतीय थलसेना में पुरुष नर्स का न होना लैंगिक भेदभाव है: हाई कोर्ट
[email protected] । Oct 9 2018 9:29AM
दिल्ली उच्च न्यायालय ने भारतीय थल सेना में नर्स पद पर सिर्फ महिलाओं की भर्तियों को ‘लैंगिक भेदभाव’ बताया है। मुख्य न्यायाधीश राजेंद्र मेनन और न्यायाीश वी के राव ने सेना के नर्सिंग ब्रांच में पुरुषों की भर्तियां नहीं होने के बारे में बताए जाने पर कहा, ‘यह एक लैंगिक भेदभाव है।''
नयी दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने भारतीय थल सेना में नर्स पद पर सिर्फ महिलाओं की भर्तियों को ‘लैंगिक भेदभाव’ बताया है। मुख्य न्यायाधीश राजेंद्र मेनन और न्यायाीश वी के राव ने सेना के नर्सिंग ब्रांच में पुरुषों की भर्तियां नहीं होने के बारे में बताए जाने पर कहा, ‘यह एक लैंगिक भेदभाव है।' अदालत ने केंद्र सरकार को इस मुद्दे पर निर्णय लेने के लिए दो महीने का समय दिया है और इस मामले की सुनवाई के लिए अगली तारीख 21 जनवरी, 2019 बताई है।
केंद्र सरकार के वकील ने इस मामले पर निर्णय लेने के लिए छह महीने का समय यह कहते हुए मांगा कि सेना के प्रत्येक शिविर से इस संबंध में संपर्क करना होगा और उनके विचार लिये जाएंगे। इस आग्रह को खारिज करते हुए अदालत ने कहा कि हम लोग डिजिटल दुनिया में रह रहे हैं। सभी को वीडिया कॉन्फ्रेंस पर लेकर निर्णय लें।'
We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:
अन्य न्यूज़