लक्षित हमले का सबूत मांगना अवैध, अनुचित: उज्ज्वल निकम

उज्ज्वल निकम ने कहा, ‘‘लक्षित हमले पर इस तरह के सबूत मांगना न केवल अवैध है बल्कि अनुचित भी है क्योंकि अगर वीडियो फुटेज या फोटोग्राफ के माध्यम से सबूत का खुलासा हो गया तो इससे भारतीय सेना और देश की सुरक्षा को खतरा पहुंचेगा।’’

मुम्बई। प्रख्यात विशेष लोक अभियोजक उज्ज्वल निकम ने कहा कि नियंत्रण रेखा के पार सेना के किसी भी लक्षित हमले का सबूत मांगना ‘‘अवैध और अनुचित’’ है। 26/11 के मुंबई आतंकवादी हमले के विशेष लोक अभियोजक रहे निकम ने कहा, ‘‘लक्षित हमले पर इस तरह के सबूत मांगना न केवल अवैध है बल्कि अनुचित भी है क्योंकि अगर वीडियो फुटेज या फोटोग्राफ के माध्यम से सबूत का खुलासा हो गया तो इससे भारतीय सेना और देश की सुरक्षा को खतरा पहुंचेगा।’’ निकम ने कहा, ‘‘इससे दुश्मन हम पर हमला कर भविष्य में प्रतिवादी कदम उठा सकता है।’’ वह सरकार के रूख पर जवाब दे रहे थे कि सरकार के पास सबूत है लेकिन वह इसका खुलासा नहीं करेगी। निकम ने कहा कि 26/11 के मुंबई आतंकवादी हमले की सुनवाई के समय सेना और आतंकवादियों के बीच हुए संघर्ष के साक्ष्य के खुलासे पर भी ऐसी स्थिति बनी थी। 

उन्होंने कहा कि विशेष अदालत जानना चाहती थी कि राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (एनएसजी) के कमांडो किस तरह पाकिस्तान से आए आतंकवादियों से लड़े। निकम ने कहा, ‘‘अदालत ने मुझसे कहा कि गवाह के रूप में एनएसजी कमांडो से पूछताछ की जाए ताकि पता चले कि उन्होंने आतंकवादी हमले से कैसे निपटा लेकिन मैंने ऐसा करने से इंकार कर दिया।’’ उन्होंने कहा कि इसके बाद महाराष्ट्र सरकार और एनएसजी ने विशेष अदालत के इस आदेश को (एनएसजी गार्ड से पूछताछ) बंबई उच्च न्यायालय में चुनौती दी जिसने फैसला दिया कि इस तरह के साक्ष्य यानी आतंकवादियों से लड़ने के लिए सशस्त्र गार्ड द्वारा अपनाई गई रणनीति का खुलासा जनहित में नहीं किया जा सकता।उन्होंने कहा कि कानून भी अधिकारियों को भारत द्वारा जम्मू-कश्मीर के आतंकवादी शिविरों पर लक्षित हमले के ब्यौरे का खुलासा करने से रोकता है।

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