धान खरीदी को लेकर भूपेश सरकार की नियत में खोट, किसानों को हो रही परेशानी

Bhupesh government's fix due to paddy purchase
दिनेश शुक्ल । Nov 8 2020 6:49PM

नेता प्रतिपक्ष कौशिक ने कहा कि शासन को पूर्व में ही कम बारदानों की प्रदाय की जानकारी प्राप्त हो गई थी तो विकल्प का तलाश न करना शासन की उदासीनता है। सरकार को वास्तव में धान खरीदना है तो इतने बारदाने अभी भी हैं कि उनसे आराम से धान खरीदी जा सकती है

रायपुर। छत्तीसगढ़ के नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने कहा कि सरकार ने किसानों के साथ लगातार धोखा कर रही है, इससे पहले सरकार ने कहा कि 2500 रूपये प्रति क्विंटल धान खरीद लेंगे, लेकिन आज तक पूरी राशि का भुगतान नही किया गया है। अब तक चौथी किस्त का भुगतान किया जाना शेष है। इस वर्ष की भांति पिछले बार भी सरकार ने एक दिसंबर से धान की खरीदी प्रारंभ की थी, जिसके कारण किसानों में भारी रोष था और किसानों के द्वारा गांव-गांव में इसका विरोध हुआ था। 

 

इसे भी पढ़ें: इंदौर में कम्प्यूटर बाबा के आश्रम पर चला बुल्डोजर, पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने की निंदा

उन्होंने कहा कि पूरे प्रदेश सहित कवर्धा-जबलपुर, धमतरी-कांकेर, पखांजूर-भानुप्रतापपुर आदि प्रायः सभी हाईवे को किसानों के द्वारा जाम किया गया था तथा इन हाईवे पर लंबे-लंबे जाम लगे थे। इसके बाद भी सरकार द्वारा इससे कोई सबक नही लिया गया और इस बार भी सरकार किसानों के अहित में फैसला लेने के लिए अडिग है। मंडियों में धान की बंफर आवक बनी हुई है और सिर्फ राजनंदगांव मंडी में ही रोजाना 20 से 22 सौ कट्ठा धान की आवक हो रही है तथा इस मंडी में 1100 से लेकर 1500 तक धान का मूल्य मिल रहा है, अर्थात किसानों को लगभग 1000 से 1400 रूपये प्रति क्विंटल हानि हो रही है। पूरे प्रदेश में पिछले बर्ष पंजीयन के पश्चात लगभग   एक लाख एकड़ रकबा कम किया गया है अर्थात 15 लाख क्विंटल धान सरकार जानबूझकर नहीं लिया। इस पूरे प्रक्रिया से किसानों को भारी नुकसान हो रहा है। वहीं साथ ही ओटीपी जनरेट सहित कई तकनीकी त्रुटियां हो रही हैं जिससे किसान हताश व निराश हैं।

इसे भी पढ़ें: छत्तीसगढ़ के नेता प्रतिपक्ष ने कांग्रेस को बताया राष्ट्र में विश्वासघात की एकमात्र संस्था

उन्होंने कहा कि धान खरीदी विलम्ब से करने के लिए सरकार बारदानों का बहाना बनाकर किसानों को भ्रमित कर रही है, लेकिन प्राप्त जानकारी के अनुसार प्रदेश सरकार के द्वारा 2.60 लाख बारदानों की गठान का क्रय आदेश दिया था, तथा जूट कमिश्नर बंगाल ने काफी पहले ही सरकार को जानकारी दे दी थी कि उनकी एजेंसी कोरोना संकट के कारण लगभग एक लाख पचास हजार बारदानों की गठान ही दे पायेगा। इस सम्बन्ध में राज्य सरकार के अधिकारियों ने इस पत्र पर कोई कार्रवाई नही की तथा अन्य स्थान से बारदानों के क्रय हेतु कोई विकल्प नही खोजा और अब केंद्र सरकार के ऊपर दोष लगा रहे है। जबकि इसमें केंद्र सरकार की कहीं कोई भूमिका नही है। बारदानें हेतु एजेंसी को राज्य सरकार राशि देती है और उसके एवज में बारदाना का प्रदाय सम्बंधित जूट एजेंसी द्वारा किया जाता है। इस प्रकार बारदाना सम्बंधी प्रक्रिया सामान्य रूप से एक उपक्रम से क्रय विक्रय की प्रक्रिया है। इसमें केन्द्र सरकार कही भी शामिल नही हैं। 

इसे भी पढ़ें: बालाघाट में पुलिस और हॉक फोर्स ने महिला नक्सीली शारदा को मार गिराया, 8 लाख का था ईनाम घोषित

नेता प्रतिपक्ष कौशिक ने कहा  कि शासन को पूर्व में ही कम बारदानों की प्रदाय की जानकारी प्राप्त हो गई थी तो विकल्प का तलाश न करना शासन की उदासीनता है। सरकार को वास्तव में धान खरीदना है तो इतने बारदाने अभी भी हैं कि उनसे आराम से धान खरीदी जा सकती है, क्योंकि पिछले वर्ष जो बारदानें खरीदे हैं और जिनमें एक बार ही धान की पलटी हुई है। उन बारदानों का भी उपयोग किया जा सकता है, जो लगभग तीन लाख गठान के आसपास हैं।उन्होंने कहा कि सरकार के मन में नियत में खोट है वह किसानों के धान 2500 रू. में खरीदना नहीं चाहती है और इसीलिए झूठ पर झूठ बोल कर किसानों को भ्रमित कर रही है। सरकार को चाहिए कि जो बारदाने हैं वह धान खरीदी प्रारम्भ करने पर्याप्त है तथा धीरे-धीरे बारदानें की व्यवस्था सरकार करे व समय रहते जिन अधिकारियों की लापरवाही के कारण यह स्थिति उत्पन्न हुई है उन पर भी कार्यवाही की जाए।

We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़