बिहारः मदन साहनी के इस्तीफे के बीच विधायक का बयान, ट्रांसफर-पोस्टिंग में BJP के मंत्रियों ने लिया पैसा

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अंकित सिंह । Jul 2 2021 11:38AM

ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानू के इस आरोप में बिहार में विपक्ष को एक नया मसला दे दिया है। ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानू की माने तो उन्हें इसकी पक्की खबर है कि अफसरों का ट्रांसफर पैसे लेकर किया गया है।

बिहार में एनडीए के अंदर का राजनीतिक बवाल थमने का नाम नहीं ले रहा है। इन सबके बीच बिहार में बुधवार को ताबड़तोड़ तबादले किए गए तो वहीं दूसरी ओर सत्ताधारी दल के विधायक ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानू ने बड़ा आरोप लगाया है। ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानू ने भाजपा कोटे के मंत्रियों पर आरोप लगाया कि अफसरों और कर्मियों के तबादले के लिए उन लोगों ने जमकर घूस ली है। खास बात यह है कि ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानू ने यह आरोप अपनी ही पार्टी के मंत्रियों पर लगाया है। जानू ने तो यह तक कह दिया कि नीतीश कुमार के डर से जदयू कोटे से आने वाले मंत्रियों ने कम पैसे लिए हैं।

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ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानू के इस आरोप में बिहार में विपक्ष को एक नया मसला दे दिया है। ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानू की माने तो उन्हें इसकी पक्की खबर है कि अफसरों का ट्रांसफर पैसे लेकर किया गया है। उन्होंने कहा कि भाजपा के 80 फ़ीसदी मंत्रियों ने घूस लिया है और अफसरों को बुला बुलाकर उनसे पैसे की मांग की गई है। हालांकि, यह पहला मौका नहीं है जब ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानू अपनी ही पार्टी पर हमला कर रहे हैं। इससे पहले भी वह कई बार पार्टी पर सवाल उठा चुके हैं। मंत्री नहीं बनाए जाने से वह नाराज हो गए थे और कहा था कि जातीय समीकरणों का ख्याल नहीं रखा जा रहा है। 2015 में ज्ञानू जदयू छोड़कर भाजपा में शामिल हुए थे। लेकिन अब वे नीतीश कुमार के प्रति नरम रुख रख रहे हैं। ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानू का यह आरोप ऐसे समय में आया है जब सरकार अपने ही मंत्री के एक आरोप को लेकर बैकफुट पर है। 

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समाज कल्याण मंत्री और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जद (यू) के विधायक मदन सहनी ने अपने विभाग के अधिकारियों पर ‘‘तानाशाही’’ रवैया अपनाने का आरोप लगाते हुए कहा कि वह मंत्री पद से इस्तीफा देने जा रहे हैं। पटना स्थित अपने आवास पर पत्रकारों से बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि अधिकारियों की ‘‘तानाशाही’’ अब उन्हें बर्दाश्त नहीं हो रही है, इसलिए उन्होंने मंत्री पद से इस्तीफा दे देने का मन बना लिया है। उन्होंने कहा कि इस पद पर रहकर जब हम कोई काम नहीं कर सकते, किसी गरीब का भला नहीं कर सकते और कोई सुधार का काम नहीं कर सकते तो केवल सुविधाओं को भोगने के लिए मंत्री पद पर बने रहें, यह हमें कहीं से अब मुनासिब नहीं लगता इसलिए मंत्री पद से अपना इस्तीफा मुख्यमंत्री को सौंप देंगे। 

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