फुस्स हुईं बिहार पुलिस की बंदूकें, देखते रह गए नीतीश कुमार

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अंकित सिंह । Aug 22 2019 3:30PM

इसके बाद बिहार पुलिस एक बार फिर सुर्खियों में आ गई है। इस मामले को लेकर बिहार पुलिस के साथ-साथ नीतीश कुमार की भी खूब आलोचना हो रही है।

बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्र की बुधवार को पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंत्येष्टि कर दी गई। पूर्व मुख्यमंत्री मिश्र की अंत्येष्टि सुपौल जिले के वीरपुर अनुमण्डल अंतर्गत बलुआ बाजार में की गई। मिश्र के बड़े पुत्र संजीव मिश्र ने वैदिक मंत्रोच्चार और जवानों की सलामी के बीच उन्हें मुखाग्नि दी। मिश्र के अंतिम संस्कार के समय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार उपस्थित थे। इस अवसर पर उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी, बिहार विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार चौधरी, स्वास्थ्य मंत्री मंगल पाण्डेय सहित अनेक राजनेता, जनप्रतिनिधिगण, अधिकारीगण, गणमान्य व्यक्ति आदि उपस्थित रहे। इस दौरान राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को उस समय शर्मसार होना पड़ा जब दिवंगत नेता को गार्ड ऑफ ऑनर दिये जाने के दौरान 22 में से एक भी राइफल नहीं चली। इसके बाद बिहार पुलिस एक बार फिर सुर्खियों में आ गई है। इस मामले को लेकर बिहार पुलिस के साथ-साथ नीतीश कुमार की भी खूब आलोचना हो रही है। 

मामला बढ़ने पर बिहार पुलिस हरकत में आ गई। लेकिन हुआ वहीं जो हमेशा से होता रहा है। पुलिस मुख्यालय से प्राप्त जानकारी के मुताबिक गार्ड ऑफ ऑनर के दौरान पुलिस की एक भी राइफल नहीं चलने के मामले में सुपौल के पुलिस अधीक्षक मृत्युंजय चौधरी द्वारा लापरवाही बरतने पर उनसे स्पष्टीकरण मांगा गया है। बिहार पुलिस सैन्य बल के महानिदेशक से इसकी जांच कराए जाने पर यह बात सामने आयी है कि राजकीय सम्मान के साथ मिश्र की अंत्येष्टि के समय गार्ड ऑफ ऑनर देने में इस्तेमाल किये जाने वाले उक्त कारतूस (ब्लैंक कार्टज) जो कि केवल धमाके के लिए इस्तेमाल होते हैं, जिला पुलिस द्वारा उपलब्ध कराये गये थे। इस घटना का वीडियो भी खूब वायरल हो रहा है। 

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अब हम आपको पूरा का पूरा घटनाक्रम बताते है। बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. जगन्नाथ मिश्र का सोमवार को नई दिल्ली में दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया था। उनके निधन राज्य सरकार ने 3 दिन के राजकीय शोक की घोषणा की थी। बुधवार को मिश्र का अंतिम संस्कार राजकीय सम्मान के साथ किया जा रहा था और उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर दी जानी थी। गार्ड ऑफ ऑनर के लिए पुलिस की 22 राइफल्स जैसे ही आसमान की तरफ उठीं, उनमें से किसी में से भी गोली नहीं निकली। यानी कि 22 की 22 राइफल्स फिसड्डी साबित हुईं। सीएम के सामने ही राज्य की पुलिस की पोल खुलने पर अधिकारियों की बेचैनी बढ़ गई। वो एक दूसरे की ओर झांकने लगे। वहीं मौके पर मौजूद नीतीश ने आईजी की तरफ इशारा करके पूछा ये क्या हो रहा है। यह घटना नीतीश ने उस दांवे का पोल खोलता है जिसमें वह बार-बार कहते हैं कि पुलिस को जिस भी संसाधन की जरूरत हो वो दी जाएगी पर उन्हें रिजल्ट चाहिए। 

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वर्तमान की बात करें तो बिहार में कानून व्यवस्था लगातार गिरती जा रही है। मंगलवार को ही सारण जिला के मढ़ौरा थाना अंतर्गत मुख्य बाजार स्थित बस स्टैंड के पास देर शाम को अपराधियों द्वारा पुलिस टीम पर की गयी अंधाधुंध गोलीबारी में एक अवर निरीक्षक सहित दो पुलिसकर्मी शहीद हो गये जबकि एक अन्य सिपाही जख्मी हो गये। जब पुलिस के पास ऐसे हथियार रहेंगे तो इससे ना वो खुद की सुरक्षा कर पाएंगे और ना ही लोगों की। इस घटना पर राजनीति तेज हो गई है और विपक्ष नीतीश सरकार पर हमला कर रहा है। भले ही पुलिस की तरफ से यह कहा जा रहा हो कि मामले की जांच की जा रही है लेकिन हकिकत यही है कि जांच के नाम पर अबतक कई मामले ठंडे बस्ते में डाले जा चुके हैं। इस मामले की ना सिर्फ उच्चस्तरीय जांच हो बल्कि दोषियों के खिलाफ कार्यवाई भी हो।  

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