केंद्रीय शैक्षणिक संस्था में शिक्षकों के आरक्षण संबंधी विधेयक संसद से पारित
शिवसेना के अनिल देसाई ने जहां देश में कई शिक्षकों की स्थिति को चिंताजनक बताया वहीं आम आदमी पार्टी के सुशील कुमार गुप्ता ने उनकी पार्टी द्वारा दिल्ली के कालेजों के सुधार के लिए उठाये गये कदमों का उल्लेख किया।
नयी दिल्ली। संसद ने बुधवार को केंद्रीय शैक्षणिक संस्था (शिक्षक के कॉडर में आरक्षण) विधेयक 2019 को पारित कर दिया। विधेयक में केंद्रीय शैक्षणिक संस्थाओं और शिक्षकों के काडर में अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों, सामाजिक एवं शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों तथा आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लोगों की सीधी भर्ती द्वारा नियुक्तियों में पदों के आरक्षण का प्रावधान है। राज्यसभा में मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि इस विधेयक से यह बात प्रमाणित हो गई कि नरेंद्र मोदी सरकार को कतार में खड़े अंतिम व्यक्ति की चिंता है। उन्होंने कहा कि सरकार अनुसूचित जाति, जनजाति एवं अन्य पिछड़ा वर्ग के हितों की रक्षा की पूरी तरह से पक्षधर है। निशंक के जवाब के बाद उच्च सदन ने इस विधेयक को ध्वनिमत से पारित कर दिया। साथही इस विधेयक के विभिन्न प्रस्तावों और इससे संबंधित अध्यादेश को निरस्त करने संबंधी विपक्ष के विभिन्न सदस्यों द्वारा लाये गये प्रस्तावों एवं संशोधनों को सदन ने ध्वनिमत से खारिज कर दिया। लोकसभा इस विधेयक को सोमवार को ही पारित कर चुकी थी। इससे पहले चर्चा का जवाब देते हुए निशंक ने उन परिस्थितियों का सिलसिलेवार ब्यौरा दिया जिसके तहत यह विधेयक लाने की आवश्यकता उत्पन्न हुई। उन्होंने विपक्ष के इन आरोपों को गलत बताया कि सरकार इससे संबंधित जो अध्यादेश लायी वह चुनाव को ध्यान में रखते हुए लायी। उन्होंने इन आरोपों को निराधार बताया कि उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद सरकार हाथों पर हाथ धरे बैठी रही।
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उन्होंने कहा कि इससे संबंधित मामले में 29 फरवरी को उच्चतम न्यायालय का आदेश आया। उसके बाद सात मार्च को राष्ट्रपति ने अध्यादेश जारी कर दिया। ऐसे में स्पष्ट है कि सरकार अजा, अजजा और ओबीसी वर्ग के आरक्षण के लिए पूरी तरह गंभीर है। निशंक ने कहा कि पहले विश्वविद्यालय को इकाई मानकर ही शिक्षकों के पदों पर आरक्षण का प्रावधान था लेकिन बाद में एक याचिका पर इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के दिशानिर्देश को अमान्य करार कर दिया।
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