भाजपा ने हार के डर से पेट्रोल के दामों में की थोड़ी कटौती, किसी के साथ गठबंधन नहीं करेगी बसपा: मायावती

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बसपा ने स्पष्ट कर दिया कि वो किसी भी प्रकार का चुनावी समझौता नहीं करने वाले हैं। मायावती ने कहा कि बसपा किसी भी दूसरी पार्टी के साथ किसी भी प्रकार का कोई चुनावी समझौता नहीं करेगी। बसपा अकेले अपने दम पर विधानसभा का चुनाव लड़ेगी।

लखनऊ। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की अध्यक्ष मायावती ने मंगलवार को भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि चुनाव तक केंद्र और प्रदेश की भाजपा सरकार आधे-अधूरे कार्यों का उद्घाटन और परियोजनाओं की घोषणा करती रहेगी। उन्होंने कहा कि जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहे हैं भाजपा और अन्य प्रतिद्वंद्वी दलों ने लोगों को लुभाने का नाटक शुरू कर दिया है।

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हार के डर से कम किए दाम

समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक बसपा अध्यक्ष मायावती ने कहा कि पिछले दिनों जिस प्रकार से हर दिन रिकॉर्ड तोड़ पेट्रोल और डीज़ल की कीमतें बढ़ी हैं और जिस प्रकार से देश में मंहगाई भी बढ़ी है, यह सब जनता आसानी से भुलाने वाली नहीं है। उन्होंने कहा कि अब ज़ल्दी ही कई राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव में अपनी हार के डर से इनकी कीमतों में जो इन्होंने थोड़ी कमी की है तो इसकी भी भरपाई यह पार्टी (भाजपा) चुनाव के बाद जनता से ब्याज़ सहित वसूल कर लेगी। इसे भी जनता को ज़रूर ध्यान में रखकर चलना चाहिए।

आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश में अगले साल विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। इसको लेकर राजनीतिक दलों ने अपनी-अपनी रणनीतियों पर काम करना शुरू कर दिया है। लेकिन बसपा ने स्पष्ट कर दिया कि वो किसी भी प्रकार का चुनावी समझौता नहीं करने वाले हैं। मायावती ने कहा कि बसपा किसी भी दूसरी पार्टी के साथ किसी भी प्रकार का कोई चुनावी समझौता नहीं करेगी। बसपा अकेले अपने दम पर विधानसभा का चुनाव लड़ेगी।

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उन्होंने कहा कि हम सपा और भाजपा में कोई फर्क नहीं समझते है। ये दोनों पार्टी एक ही सिक्के के दो पहलू है। ये दोनों पार्टी चुनाव को हिंदू-मुस्लिम करना चाहती है। जैसे 2007 में हमें पूर्ण बहुमत मिला था, वैसे ही बहुमत हमें इस बार भी मिलने वाला है।

इसी बीच मायावती ने कहा कि राज्य के लोग सपा की तरह कांग्रेस पार्टी द्वारा किए गए कई चुनावी वादों पर आसानी से विश्वास नहीं करने वाले हैं। अगर कांग्रेस ने अपने चुनावी वादों का 50 फीसदी भी पूरा किया होता तो वे केंद्र, उत्तर प्रदेश और देश के अधिकांश राज्यों में सत्ता से बाहर नहीं होते। 

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