भाजपा ने मध्यप्रदेश में सवर्ण वर्ग के आरक्षण लागू करने की मांग की
इससे सवर्णों को भटकाया जा रहा है। अंत में पक्ष विपक्ष का हंगामा बढ़ता देख विधानसभा अध्यक्ष एनपी प्रजापति ने व्यवस्था दी कि दोनों पक्षों के सदस्य उनके कक्ष में आकर इस मुद्दे पर विचार विमर्श कर लें।
भोपाल। मध्यप्रदेश विधानसभा में शून्यकाल के दौरान भाजपा ने प्रदेश के सवर्ण वर्ग के गरीबों को 10 फीसदी आरक्षण देने की मांग जोर शोर से उठाई । इस पर मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा कि इसे लेकर मंत्रिमंडल की सब कमेटी बनाई जा रही है जो देखेगी कि इसे कैसे क्रियान्वित करना है। नेता प्रतिपक्ष भाजपा के वरिष्ठ विधायक गोपाल भार्गव ने शून्यकाल में यह मुद्दा उठाते हुए कहा कि केंद्र सरकार ने संविधान संशोधन के जरिए गरीब सवर्णों को 10 प्रतिशत आरक्षण देने की व्यवस्था की है। देश के गुजरात, असम और हिमाचल प्रदेश सहित कई राज्य से इसे लागू कर चुके हैं, लेकिन मध्य प्रदेश में अभी तक इसे लागू नहीं किया गया है। इस पर मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा कि कांग्रेस की इस मुद्दे पर सैद्धांतिक तौर पर सहमति है और हमारे घोषणा पत्र में सवर्ण वर्ग के गरीबों को आरक्षण देने की बात कही गई है। उन्होंने कहा ‘‘हम इसको लेकर मंत्रिमंडल की कमेटी बनाकर इसके स्वरुप पर निर्णय लेंगे।’’
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विपक्ष सरकार के जवाब से संतुष्ट नहीं हुआ और भार्गव ने कहा ‘‘मुझे दुख है कि यह सरकर सामान्य वर्ग को उनका आरक्षण नहीं दे रही है। मैं मुख्यमंत्री से आग्रह करता हूं कि वे इस आरक्षण को मध्य प्रदेश में लागू करें।| सरकार की ओर से अभी जो जवाब दिया गया है, उसमें कहा जा रहा है कि मामला विचाराधीन है। जब सब स्थिति स्पष्ट है तो इसे लागू कर दिया जाना चाहिए। ’’भाजपा के वरिष्ठ विधायक, पूर्व संसदीय कार्य मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि इस मामले में सरकार का समिति बनाने का बयान आपत्तिजनक है। इससे विषय टल जायेगा। यदि सरकार इस मामले में गंभीर है तो हमारी मांग है कि समिति की समय सीमा हमें बता दें। इसके बाद पक्ष विपक्ष के सदस्यों के बीच नोंकझोंक होने लगी।
वित्त मंत्री तरुण भानोत ने कहा कि हम घोषणाओं में विश्वास नहीं करते । काम करने में विश्वास करते हैं। इसके बाद सहकारिता मंत्री गोविंद सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री ने सहमति जताई है। कांग्रेस के घोषणा पत्र में भी यह मुद्दा शामिल है और हम इस मामले में अलग नहीं है। इस पर मिश्रा ने कहा कि समय सीमा तय कर दें। यह मामले को भटकाने की कोशिश है। इससे सवर्णों को भटकाया जा रहा है। अंत में पक्ष विपक्ष का हंगामा बढ़ता देख विधानसभा अध्यक्ष एनपी प्रजापति ने व्यवस्था दी कि दोनों पक्षों के सदस्य उनके कक्ष में आकर इस मुद्दे पर विचार विमर्श कर लें।
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