बादल परिवार की गलती के चलते पंजाब में बड़े भाई की भूमिका में भाजपा ! शिअद को निपटाने की बनाई रणनीति

Gajendra Singh Shekhawat
प्रतिरूप फोटो

राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि पंजाब कांग्रेस के कई बड़े चेहरे अपने पूर्व कप्तान के पास जाना चाहते हैं। वहीं, सुखदेव सिंह ढींडसा की पार्टी सिख प्रभावित सीटों पर बादल परिवार को काफी नुकसान पहुंचा सकती है। यह नया गठबंधन पंजाब में पहली बार बना है, जिसमें भाजपा बड़ी पार्टी बनकर उभरी है।

चंडीगढ़। पंजाब में अगले साल विधानसभा चुनाव होने वाला है। ऐसे तमाम राजनीतिक दल अपनी-अपनी रणनीतियां बना रहे हैं लेकिन भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने प्रदेश में खुद का मजबूत करने का रास्ता तैयार कर लिया है। माना जा रहा है कि भाजपा के साथ पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और सुखदेव सिंह ढींडसा के शिरोमणि अकाली दल (संयुक्त) के आने के बाद पार्टी की ताकत बढ़ी है। इतना ही नहीं अमरिंदर सिंह और सुखदेव सिंह ढींडसा ने अपने पुराने दल के साथियों को अपने साथ लाने का काम भी शुरू कर दिया है। 

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केंद्रीय कृषि कानूनों की वजह से शिरोमणि अकाली दल (शिअद) ने भाजपा के साथ अपना सालों से चला आ रहा गठबंधन समाप्त कर दिया। इसके बाद केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने जब कृषि कानूनों को वापस ले लिया, इसके बाद भी पुराना साथी वापस आने के लिए तैयार नहीं था। ऐसे में भाजपा ने दूसरी रणनीति तैयार की और बादल परिवार के बिना ही चुनाव में बड़ा दांव लगाने के लिए तैयार हो गई।

बड़ी पार्टी बनकर उभरी भाजपा !

राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि पंजाब कांग्रेस के कई बड़े चेहरे अपने पूर्व कप्तान के पास जाना चाहते हैं। वहीं, सुखदेव सिंह ढींडसा की पार्टी सिख प्रभावित सीटों पर बादल परिवार को काफी नुकसान पहुंचा सकती है। यह नया गठबंधन पंजाब में पहली बार बना है, जिसमें भाजपा बड़ी पार्टी बनकर उभरी है। वरना भाजपा छोटे भाई की भूमिका में रहती थी। 

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भाजपा ने शिरोमणि अकाली दल (बादल) को आंतरिक रूप से समाप्त करने की योजना तैयार कर ली है। सूत्रों के मुताबिक सिख बहुल राज्य पर भाजपा की लंबे समय से नजर थी लेकिन पार्टी ज्यादा कुछ खास कर नहीं पाती थी। इस बार अकाली दल के साथ नहीं होने के बावजूद भाजपा चुनावी मोर्चा संभालने के लिए तैयार है।

वहीं दूसरी तरफ बिक्रम सिंह मजीठिया और ड्रग्स मामले के चलते बादल परिवार को नुकसान उठाना पड़ सकता है। इसके अलावा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह पंजाब कांग्रेस और नवजोत सिंह सिद्धू को घेरने की हरमुमकिन कोशिश करेंगे। अमरिंदर सिंह ने तो पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि वो किसी भी हाल में सिद्धू को चुनाव जीतने नहीं देंगे। इसके साथ ही उन्होंने सिद्धू की पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान और बाजवा की मुलाकात का मुद्दा भी बनाया था। हालांकि कांग्रेस के लिए खुद सिद्धू एक समस्या ही हैं। क्योंकि उन्होंने अपनी ही सरकार को घेरने का काम किया है। पहले उन्होंने अमरिंदर सरकार को और फिर चरणजीत सिंह चन्नी सरकार को निशाने पर लिया था। 

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सीट बंटवारे पर जल्द होगी चर्चा

प्राप्त जानकारी के मुताबिक भाजपा, अमरिंदर सिंह और शिरोमणि अकाली दल (संयुक्त) के बीच में सीट बंटवारे को लेकर जल्द ही चर्चा हो सकती है। पंजाब भाजपा प्रभारी गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा था कि सीट बंटवारे को अंतिम रूप देने के लिए एक संयुक्त समिति का गठन किया जाएगा। इतना ही नहीं गठबंधन के बाद तीनों दलों को संयुक्त घोषणापत्र होगा। तीनों दल गठबंधन राजनीति के तहत नहीं बल्कि सीट बंटवारों को लेकर चुनाव लड़ रहे हैं।

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