बंगाल में अपने तेवर नरम नहीं होने देगी भाजपा, अहम होने जा रही स्मृति ईरानी की भूमिका

Smriti Irani
अंकित सिंह । Jun 14 2021 4:27PM

भाजपा नए प्रारूप के साथ एक बार फिर से बंगाल के लोगों को अपने साथ जोड़ने की कोशिश करेगी। यही कारण है कि तृणमूल से आए नेताओं की वापसी के बाद भी भाजपा चिंतित नजर नहीं आ रही है।

पश्चिम बंगाल में चुनावी हार के बाद भाजपा के तेवर नरम पड़ेंगे, इसकी उम्मीद कम ही है। भाजपा अब भी आक्रामक ढंग से बंगाल में ममता बनर्जी और उनकी पार्टी तृणमूल कांग्रेस का सामना करने के लिए नया प्रारूप तैयार कर रही है। इस प्रारूप में बड़े बदलाव के संकेत मिल रहे हैं। सूत्री यह दावा कर रहे हैं कि भाजपा के मिशन बंगाल की कमान इस बार केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी के हाथों में होगी। भले ही इस चुनाव में भाजपा ममता बनर्जी का किला नहीं भेद पाई, परंतु राज्य में अपनी जगह तो बना ली है। भाजपा नए प्रारूप के साथ एक बार फिर से बंगाल के लोगों को अपने साथ जोड़ने की कोशिश करेगी। यही कारण है कि तृणमूल से आए नेताओं की वापसी के बाद भी भाजपा चिंतित नजर नहीं आ रही है। 

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सूत्र यह दावा कर रहे हैं कि बंगाल के प्रभारी पद से कैलाश विजयवर्गीय को हटाकर किसी और को जिम्मेदारी दी जा सकती है। इसमें सबसे आगे नाम स्मृति ईरानी का चल रहा है। भाजपा बंगाल की लड़ाई को अब महिला बनाम महिला बनाने की कोशिश कर रही है। भाजपा उसी रणनीति के तहत आगे बढ़ना चाहती है जो रणनीति सोनिया गांधी के खिलाफ सुषमा स्वराज को उतारकर अपनाई गई थी। भाजपा का मानना है कि स्मृति ईरानी को आगे करके वह राज्य के महिला वोटर को साधने की कोशिश कर सकती है। ऐसा इसलिए क्योंकि इस बार के चुनाव में तृणमूल कांग्रेस के अच्छे प्रदर्शन के पीछे महिला वोटरों का हाथ बताया जा रहा है।

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पार्टी को यह भी लगता है कि ममता बनर्जी को लेकर जिस तरह से आक्रामक प्रचार हुआ उससे कहीं ना कहीं पार्टी को नुकसान का सामना करना पड़ा। कई बार तृणमूल कांग्रेस ने पार्टी की ओर से लगाए गए आरोपों को महिला विरोधी करार दिया। ऐसे में स्मृति ईरानी काट के तौर पर वहां पेश की जा सकती हैं। प्रधानमंत्री मोदी के बयान 'दीदी ओ दीदी' को भी महिला विरोधी बताया गया। ऐसे में वहां स्मृति ईरानी की जरूरत होने लगी है। फिलहाल भाजपा में सुषमा स्वराज के निधन के बाद कोई भी वैसी कद्दावर महिला नेता नहीं है जो ममता बनर्जी की चुनौती का सामना कर सके। ऐसे में स्मृति ईरानी की एक अलग राजनीतिक साख है। स्मृति ईरानी ने राहुल गांधी को पटखनी देकर यह तो बता ही दिया कि वह राजनीतिक तौर पर बहुत ही मजबूत हैं।

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पार्टी सूत्र यह भी दावा कर रहे हैं कि कैलाश विजयवर्गीय की ही तरह स्मृति ईरानी का भी बंगाल प्रभार का कार्यकाल लंबा रहेगा। स्मृति ईरानी को बंगाल प्रभार देने का एक वजह यह भी है कि वह अच्छा बंगला बोलती हैं। उनका राजनीतिक कद ऊंचा है। साथ ही साथ महिला वर्ग को अपने साथ जोड़ पाएंगी। चुनाव के दौरान स्मृति ईरानी ने प्रचार जरूर किया था। हालांकि अमित शाह और जेपी नड्डा की तुलना में उन्हें कम प्रचार कराया गया था। माना जा रहा है कि स्मृति ईरानी को अब अगले विधानसभा चुनाव तक प्रभारी बनाए रखा जा सकता है। स्मृति ईरानी हर महीने बंगाल का दौरा करेंगी। महिलाओं को अपने पक्ष में करने की तैयारी भी करेंगी।

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