मध्य प्रदेश में मंत्रिमंडल विस्तार गुरूवार सुबह, सत्ता और संगठन में सबकुछ ठीक नहीं

Cabinet expansion
दिनेश शुक्ल । Jul 1 2020 11:58PM

वही अगर केंद्रीय नेतृत्व और संगठन की मंशा के मुताबिक़ नये चेहरों को मौका दिया जाता है तो भाजपा के कई बड़े नेता मंत्री नहीं बन पायेंगे। ऐसी स्थिति में गोपाल भार्गव, विजय शाह, सुरेंद्र पटवा, रामपाल सिंह, राजेंद्र शुक्ला, जगदीश देवड़ा, पारस जैन, नागेंद्र सिंह, करण सिंह वर्मा, गौरीशंकर बिसेन, अजय विश्नोई, भूपेंद्र सिंह जैसे नेताओं को बाहर बैठना पड़ सकता है।

भोपाल। मध्य प्रदेश में भाजपा की शिवराज सरकार दूसरा मंत्रिमंडल विस्तर गुरूवार 02 जून को होने जा रहा है। पिछले तीन दिनों से मची राजनीतिक गहमा-गहमी के बीच भाजपा के केन्द्रीय नेतृत्व की तरफ से प्रदेश प्रभारी विनय सहस्त्रबुद्धे बुधवार को भोपाल पहुँच गए है। बताया जा रहा है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा और प्रदेश संगठन महामंत्री सुहास भगत के दिल्ली दौरे को दौरान हुई मंत्रणा के बाद भाजपा के केन्द्रीय नेतृत्व ने कैबिनेट के नाम तय किए है। जिसमें मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और भाजपा संगठन के अलावा कांग्रेस से बागी ज्योतिरादित्य सिंधिया समर्थकों के नाम शामिल माने जा रहे है। 

प्रदेश भाजपा कार्यालय पहुँचे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने गुरूवार को मंत्रिमंडल विस्तार की बात कही। इस दौरान उन्होनें कहा कि आज महामहिम राज्यपाल शपथ ग्रहण करेगें कल मंत्रिमंडल शपथ ले लेगा। वही जब मुख्यमंत्री से यह सवाल किया गया कि मंथन से क्या निकलेगा तो उन्होनें कहा कि मंथन से अमृत ही निकलता है विष तो शिव ही पी जाते है। इससे पहले उन्होनें एक ट्वीट भी किया था। ऐसा माना जा रहा है कि गुरूवार शपथ लेने वाला मंत्रिमंडल पूरी तरह मुख्यमंत्री की मंशा के अनुरूप नहीं है, जिसको लेकर उन्होनें यह नाराजगी जाहिर की है। 

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वही राजनीतिक सूत्रों की माने तो ज्योतिरादित्य सिंधिया के दबाव की वजह से भाजपा के अंदर मुश्किलें पैदा हो रही हैं। सिंधिया अपने 12 समर्थकों को मंत्री बनवाना चाहते है जिसके चलते भाजपा के पास अपने विधायकों को देने के लिये पद कम पड़ रहे हैं। वही माना जा रहा है कि भाजपा में वरिष्ठ विधायकों की कमी नहीं है, ऐसे में उन्हें स्थान नहीं दिया जाता तो पार्टी के अंदर असंतोष पनप सकता है। जबकि आगामी दिनों में मध्य प्रदेश में 24 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने हैं, इसलिये इस तरह का असंतोष पार्टी के लिये मुश्किल पैदा कर सकता है। प्रदेश में होने वाले 24 सीटों के उपचुनाव के परिणाम ही इस सरकार का भविष्य तय करेंगे। जिसमें 22 सीटें वह हैं जिन पर कांग्रेस विधायकों ने सिंधिया के समर्थन में बगावत करके इस्तीफा देकर भाजपा में आये हैं। जबकि 2 सीटें विधायकों के देहांत हो जाने के चलते खाली हुई हैं। वर्तमान में 230 सदस्यों वाली मध्य प्रदेश विधानसभा में भाजपा के 107 विधायक हैं जबकि काग्रेंस के पास 92 विधायक हैं। दो बसपा और एक सपा सहित चार निर्दलीय विधायकों को मिलाकर 7 विधायक जो पहले कांग्रेस के साथ थे अब वे भाजपा के खेमे में शामिल हो चुके हैं।

शिवराज मंत्रिमंडल में अभी मुख्यमंत्री को मिलाकर 6 मंत्री शामिल है। शिवराज सिंह चौहान 23 मार्च को शपथ ग्रहण करने के 29 दिन बाद पहले मंत्रिमंडल में  पाँच मंत्रियों को अपनी कैबिनेट में शामिल किया था। जिसमे डॉ. नरोत्तम मिश्रा, कमल पटेल और सुश्री मीना सिंह सहित सिंधिया समर्थक तुलसी सिलावट और गोविंद सिंह राजपूत को शामिल किया गया था। वही अब यह अटकले लगाई जा रही है कि गुरूवार को होने वाले मंत्रिमंडल विस्तार में दो उप मुख्यमंत्री भी शपथ ले सकते है। जिसमें डॉ. नरोत्तम मिश्रा और तुलसी सिलावट का नाम उप मुख्यमंत्री के रूप में चल रहा है। जबकि कैबिनेट विस्तार में संगठन की तरफ से नए चेहरों को तबज्जों दिए जाने की बात भी सामने आ रही है। वही भाजपा की पिछली शिवराज सरकार में मंत्री रहे वरिष्ठ भाजपा नेता भी मंत्री बनने की आस सजोए हुए है। जिसमें प्रमुख रूप से पूर्व नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव, मुख्यमंत्री के करीबी पूर्व मंत्री भूपेन्द्र सिंह, राजेन्द्र शुक्ल और रामपाल सिंह प्रमुख है। तो वही गौरीशंकर बिसेन और विजय शाह भी कैबिनेट में शामिल होने की जुगत में लगे है। 

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वही अगर केंद्रीय नेतृत्व और संगठन की मंशा के मुताबिक़ नये चेहरों को मौका दिया जाता है तो भाजपा के कई बड़े नेता मंत्री नहीं बन पायेंगे। ऐसी स्थिति में गोपाल भार्गव, विजय शाह, सुरेंद्र पटवा, रामपाल सिंह, राजेंद्र शुक्ला, जगदीश देवड़ा, पारस जैन, नागेंद्र सिंह, करण सिंह वर्मा, गौरीशंकर बिसेन, अजय विश्नोई, भूपेंद्र सिंह जैसे नेताओं को बाहर बैठना पड़ सकता है। इस तरह की परिस्थियां बनने पर पूर्व नेता प्रतिपक्ष और आठ बार के विधायक गोपाल भार्गव ने कहा है कि, "पार्टी को वरिष्ठ नेताओं की मदद लेनी चाहिये। वह ग़लती नही की जानी चाहिये जो काग्रेंस ने की थी।" कांग्रेस की कमलनाथ सरकार ने भी अपने कई वरिष्ठ नेताओं को मंत्रिमंडल में जगह नहीं दी थी जिससे पार्टी के अंदर ही असंतोष उभरा। जिसे सरकार गिरने की एक वजह माना जा सकता है। बहरहाल गुरूवार को होने वाले शिवराज मंत्रिमंडल विस्तार के बाद ही पता चलेगा कि भाजपा के केन्द्रीय नेतृत्व ने किसे इन और किसे आउट किया है। जबकि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के बयान और ट्वीट से यह तो साफ हो गया है कि सत्ता और संगठन के बीच सब कुछ सही नहीं चल रहा है और मंत्रिमंडल में शामिल किए जाने वाले नामों को लेकर मुख्यमंत्री की पूरी तरह नहीं चली है जो पिछले 13 सालों के उनके कार्यकाल में चलती आ रही थी। 

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