रोहिणी के दर्द पर चिराग पासवान हुए भावुक, बोले- मैं भी इस मुश्किल दौर से गुजरा हूँ

Chirag Paswan
ANI
अंकित सिंह । Nov 17 2025 1:50PM

पासवान ने कहा कि मैं नहीं मानता कि शादी के बाद, बेटी के लिए ससुराल ही एकमात्र घर होता है। मैं इस रूढ़िवादी सोच का समर्थन नहीं करता। कल जब उन्होंने यह सब कहा, तो मैं उस दर्द को समझ सकता था और मैं प्रार्थना करता हूँ कि यह सब जल्द ही सुलझ जाए।

राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद के परिवार में बढ़ते विवाद के बीच, केंद्रीय मंत्री और लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के प्रमुख चिराग पासवान ने कहा कि वह रोहिणी द्वारा बताई गई भावनात्मक दरार को समझते हैं और प्रार्थना करते हैं कि उनके आंतरिक विवाद जल्द ही सुलझ जाएँ। पासवान ने संवाददाताओं से कहा कि राजनीतिक मतभेद एक बात है, लेकिन वह मेरा परिवार भी हैं। जब किसी परिवार में तनाव होता है, तो मैं समझ सकता हूँ कि यह कितना बेचैन करने वाला हो सकता है। 

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पासवान ने कहा कि मैं नहीं मानता कि शादी के बाद, बेटी के लिए ससुराल ही एकमात्र घर होता है। मैं इस रूढ़िवादी सोच का समर्थन नहीं करता। कल जब उन्होंने यह सब कहा, तो मैं उस दर्द को समझ सकता था और मैं प्रार्थना करता हूँ कि यह सब जल्द ही सुलझ जाए। पासवान ने कहा कि मैं इस पर कोई टिप्पणी नहीं करूँगा क्योंकि मैं समझ सकता हूँ कि जब कोई परिवार ऐसी मुश्किल परिस्थिति से गुज़रता है तो उसकी मानसिक स्थिति कैसी होती है। मैं भी इससे गुज़रा हूँ। हमारे बीच राजनीतिक मतभेद रहे होंगे, लेकिन मैंने लालू जी के परिवार को हमेशा अपना माना है। 

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि चाहे तेजस्वी हों, तेज हों, मीसा हों या रोहिणी, मैंने उन्हें अपना भाई-बहन माना है। इसलिए मैं प्रार्थना करता हूँ कि यह पारिवारिक विवाद जल्द से जल्द सुलझ जाए। अगर परिवार में एकता है, तो व्यक्ति बाहर भी मुश्किल परिस्थितियों से लड़ सकता है... परिवार ज़रूर मुश्किल हालात से गुज़र रहा होगा। उनकी यह टिप्पणी रोहिणी आचार्य द्वारा "राजनीति छोड़ने" और अपने परिवार से "अलगाव" की घोषणा के एक दिन बाद आई है।

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रोहिणी आचार्य ने अपने विस्फोटक सोशल मीडिया पोस्ट से खलबली मचा दी थी, जिसमें उन्होंने बहिष्कृत किए जाने, खुद को बेकार महसूस कराए जाने और अपने ऊपर लगे बोझ के दर्द को बयां किया था। उन्होंने लिखा, "कल एक बेटी, एक बहन, एक विवाहिता, एक माँ को अपमानित किया गया, गालियाँ दी गईं, मारने के लिए जूते उठाए गए... मैंने अपने स्वाभिमान से समझौता नहीं किया, सत्य का साथ नहीं छोड़ा... बस इसी वजह से मुझे अपमान सहना पड़ा। कल एक बेटी लाचारी में अपने रोते-बिलखते माता-पिता और भाई-बहनों को छोड़कर चली गई... उसे अपना मायका छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा... उसे अनाथ बना दिया गया... मैं प्रार्थना करती हूँ कि आपमें से किसी को भी मेरे रास्ते पर न चलना पड़े, और किसी घर में रोहिणी जैसी बेटी-बहन न हो।"

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