जाति आधारित जनगणना की मांग को लेकर PM मोदी के साथ CM नीतीश की बैठक खत्म, तेजस्वी भी रहे साथ

CM Nitish
अंकित सिंह । Aug 23 2021 11:50AM

तेजस्वी यादव ने कहा कि बिहार विधानसभा में दो बार जातीय जनगणना का प्रस्ताव पारित हुआ और आख़िरी जातीय जनगणना 1931 में हुई। इससे पहले 10-10 साल में जातीय जनगणना होती रही।

जाति आधारित जनगणना की मांगों को लेकर बिहार का एक प्रतिनिधिमंडल मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की। इस मुलाकात में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के अलावा नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव, पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी, शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी, खनन एवं भूतत्व मंत्री जनक राम, पशु एवं मत्स्य संसाधन मंत्री मुकेश सहनी, कांग्रेस विधायक दल के नेता अजीत शर्मा, सीपीआई के विधायक सूर्यकांता पासवान, सीपीएम के विधायक अजय कुमार, भाकपा माले के महबूब आलम और एआईएमआईएम के अख्तरुल इमान शामिल है। PM मोदी से मुलाकात के बाद नीतीश कुमार ने कहा कि प्रधानमंत्री ने राज्य में जाति जनगणना पर प्रतिनिधिमंडल के सभी सदस्यों की बात सुनी। हमने पीएम से इस पर उचित निर्णय लेने का आग्रह किया। हमने उन्हें बताया कि कैसे जाति जनगणना पर राज्य विधानसभा में दो बार प्रस्ताव पारित किया गया है। 

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तेजस्वी यादव ने कहा कि बिहार विधानसभा में दो बार जातीय जनगणना का प्रस्ताव पारित हुआ और आख़िरी जातीय जनगणना 1931 में हुई। इससे पहले 10-10 साल में जातीय जनगणना होती रही। जनगणना से सही आंकड़े सामने आएंगे जिससे हम लोगों के लिए बजट में योजना बना सकते हैं। वहीं, बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी जातिगत जनगणना कराने के लिए बिहार विधानसभा ने दो बार सर्वसम्मति से केंद्र सरकार के पास प्रस्ताव भेजा है। 1931 के बाद कोई जातिगत जनगणना नहीं हुई है। बिहार के सत्ता और विपक्ष सभी इस मुद्दे के लिए तैयार हैं। 

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जाति जनगणना की मांग पिछले महीने संसद में केंद्र के एक बयान से शुरू हुई थी कि जिसमें केवल अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) की आबादी की गणना का प्रस्ताव किया गया था। बिहार जैसे राज्यों में, जहां मंडल युग से ओबीसी का राजनीति में वर्चस्व रहा है, पिछड़े वर्गों को ध्यान में रखते हुए जातिगत जनगणना की जोरदार मांग हो रही है। मुख्यमंत्री कुमार बार-बार जातिगत जनगणना कराने की वकालत करते रहे हैं।

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