पालघर में भीड़ हत्या की घटना को सांप्रदायिक रंग देना अमानवीय: शिवसेना

Shiv Sena

पार्टी के मुखपत्र ‘सामना’ में छपे संपादकीय में कहा गया कि पालघर जिले के गढ़चिंचले गांव के निवासियों ने दो साधुओं को चोर होने के शक में मार डाला था। ऐसी अफवाह थी कि लॉकडाउन के बहाने साधुओं के वेश में चोर गांव में घुस आए हैं।

मुंबई।  पालघर जिले में भीड़ द्वारा की गई साधुओं की हत्या की निंदा करते हुए शिवसेना ने मंगलवार को कहा कि यह कृत्य महाराष्ट्र की छवि खराब करने के उद्देश्य से किया गया है और इसे सांप्रदायिक रंग देना अमानवीय है। पार्टी के मुखपत्र ‘सामना’ में छपे संपादकीय में कहा गया कि पालघर जिले के गढ़चिंचले गांव के निवासियों ने दो साधुओं को चोर होने के शक में मार डाला था। ऐसी अफवाह थी कि लॉकडाउन के बहाने साधुओं के वेश में चोर गांव में घुस आए हैं। संपादकीय में कहा गया कि मृतक लॉकडाउन के दौरान राज्य की सीमा पार कर गुजरात जाना चाहते थे। आलेख में कहा गया, “भगवा वस्त्र पहने हुए साधुओं को देखकर भी स्थानीय प्रशासन ने उन्हें वापस भेज दिया। यदि उन्हें वहीं रोक लिया गया होता और राज्य सरकार सूचना दी गई होती तो मामला सुलझ गया होता।” राज्य के गृह मंत्री अनिल देशमुख के समर्थन में आलेख में कहा गया पुलिस ने त्वरित कार्रवाई की और कहा कि मृतक और आरोपी दोनों एक ही धर्म के थे इसलिए यह कोई सांप्रदायिक मामला नहीं था। 

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आलेख में कहा गया कि सोशल मीडिया पर मामले को सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश की गई लेकिन महाराष्ट्र शांतिपूर्ण बना रहा। सामना के संपादकीय में कहा गया, “कुछ लोगों ने इस पर चिंता जताई थी कि हिंदू ह्रदय सम्राट बालासाहेब ठाकरे के राज्य में साधुओं की हत्या कैसे की जा सकती है। लेकिन ऐसी चिंताओं का कारण अलग है।” विपक्ष के नेता देवेंद्र फडणवीस की आलोचना करते हुए सामना में कहा गया कि पूर्व मुख्यमंत्री ने घटना पर सोशल मीडिया में घड़ियाली आंसू बहाए।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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