नवाब मालिक ने कैसे तय किया एक कबाड़ी वाले से राजनेता बनने तक का सफर

nawaab malik

1984 के लोकसभा चुनाव में नवाब मलिक ने संजय विचार मंच से अपना पहला चुनाव लड़ा था। मलिक उस समय केवल 25 साल के थे और उस चुनाव में उन्हें केवल 2620 वोट मिले थे। 1999 के विधानसभा चुनावमें नवाब मलिक सपा की टिकट पर लड़े और जीते। नवाब मलिक आवास राज्य मंत्री बने, सपा से हुए मनमुटाव के चलते मंत्री होते हुए भी मालिक एनसीपी में शामिल होने का फ़ैसला किया।

शाहरुख़ ख़ान के बेटे आर्यन ख़ान की ड्रग मामले में गिरफ़्तारी के बाद से ही नवाब मलिक खासे सक्रिय दिख रहे हैं। वह लगातार नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) मुंबई के डिविजनल डायरेक्टर समीर वानखेड़े और उनके परिवार पर आरोप लगाने के कारण चर्चा में भी हैं।

नवाब मालिक ने समीर वानखेड़े के जन्म से लेकर विवाह के तथ्यों और परिवार तक पर कई आरोप लगाए हैं जिसके चलते अब समीर वानखेड़े भी जांच के घेरे में है। पिछले एक महीने से नवाब मलिक सोशल मीडिया और मीडिया में दिए अपने बयानों से लगातार खबरों में हैं। आर्यन ख़ान की रिहाई के बाद मलिक के ट्वीट ' पिक्चर अभी बाक़ी है मेरे दोस्त' की खूब चर्चा हुई थी। 

मूल रूप से उत्तर प्रदेश के हैं नवाब मालिक

नवाब का जन्म 20 जून 1959 को उत्तर प्रदेश के बलरामपुर के उतरौला तालुका के एक गाँव में हुआ था।

उनके परिवार का अपना कारोबार था, परिवार आर्थिक रूप से संपन्न था। नवाब के जन्म के बाद परिवार मुम्बई  में रहने लगा था। नवाब के पिता का मुम्बई में एक होटल था साथ ही उनका कबाड़ के कारोबार भी था। 

 बीजेपी की आलोचनाओं के जवाब में नवाब  मालिक ने कहा था, "हां, मैं कबाड़ीवाला हूं। मेरे पिता मुंबई में कपड़े और कबाड़ का कारोबार करते थे।विधायक बनने तक मैंने भी कबाड़ का कारोबार भी किया। मेरा परिवार अब भी करता है. मुझे इस पर गर्व है"

 21 साल की उम्र में 1980 में नवाब ने महज़बीन से शादी हुई। उनके दो बेटे और दो बेटियां हैं।बेटों का नाम फ़राज़ और आमिर है जबकि बेटियों का नाम नीलोफ़र और सना है।

छात्र जीवन से ही राजनीत में सक्रिय

छात्र जीवन मे मुंबई यूनिवर्सिटी के कॉलेज की फीस बढ़ाने के खिलाफ आंदोलन में भाग लेकर नवाब मालिक ने अपना  राजनीतिक जीवन शुरू किया। नवाब कांग्रेस द्वारा आयोजित छोटी-बड़ी सभाओं में हिस्सा लेने लगे। 1984 के लोकसभा चुनाव में नवाब मलिक ने संजय विचार मंच से  अपना पहला चुनाव लड़ा था। मलिक उस समय केवल 25 साल के थे और उस चुनाव में उन्हें केवल 2620 वोट मिले थे। 1999 के विधानसभा चुनावमें नवाब मलिक सपा की टिकट पर लड़े और जीते। नवाब मलिक आवास राज्य मंत्री बने, सपा से हुए मनमुटाव के चलते मंत्री होते हुए भी मालिक एनसीपी में शामिल होने का फ़ैसला किया। बाद में एनसीपी के सदस्य के तौर पहर मलिक उच्च और तकनीकी शिक्षा और श्रम मंत्री बने। 2005-06 के दौरान मुख्यमंत्री विलासराव देशमुख की सरकार में भी नवाब मलिक मंत्री रहे।  वर्तमान की महाराष्ट्र की राजनीति में  नवाब मालिक सबसे महत्वपूर्ण चहरा हैं।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़