समाज में संघर्ष, वैचारिक मतभेद बढ़ रहे हैं: राष्ट्रपति

देश के अंदर कई मुद्दों को लेकर हो रहे विरोध-प्रदर्शन के परिप्रेक्ष्य में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने समाज में ‘‘बढ़ते संघर्ष और मतभेद’’ पर चिंता जताई जतायी।

दानतन। देश के अंदर कई मुद्दों को लेकर हो रहे विरोध-प्रदर्शन के परिप्रेक्ष्य में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने समाज में ‘‘बढ़ते संघर्ष और मतभेद’’ पर चिंता जताई जतायी और कहा कि परस्पर सम्मान बढ़ाने की सख्त जरूरत है। 28वें दानतन ग्रामीण मेला का यहां उद्घाटन करने के बाद मुखर्जी ने कहा, ‘‘इन दिनों आप जब भी अखबार पढ़ते हैं और टीवी देखते हैं तो नियमित हिंसा की खबर मिलती है। मैं अंतरराष्ट्रीय हिंसा की बात नहीं कर रहा हूं बल्कि हमारे दिमाग, हमारे अवचेतन में हिंसा और हमारी आत्मा में चलने वाले संघर्ष की बात कर रहा हूं।’’ दानतन पश्मि बंगाल के मेदिनापुर जिले में एक छोटा सा कस्बा है।

उन्होंने पश्चिम बंगाल के भांगड़ में हाल के प्रदर्शनों और तमिलनाडु में जल्लीकट्टू को लेकर चलने वाले प्रदर्शन के परिप्रेक्ष्य में कहा, ‘‘मैं रोजाना की छोटी घटनाओं की बात कर रहा हूं न कि अंतरराष्ट्रीय हिंसा की। पहले भी संघर्ष और वैचारिक मतभेद थे। लेकिन इस तरह की स्थिति दिन- ब- दिन बढ़ती जा रही है।’’ मुखर्जी ने कहा कि पहले इस तरह के संघर्ष को स्थानीय स्तर पर रोक दिया जाता था लेकिन अब ‘‘यह बढ़ता जा रहा है।’’ राष्ट्रपति ने दुनिया के ज्यादा हिंसक होने पर चिंता जताते हुए कहा, ‘‘यह मानव समाज का आम रूख नहीं है। लोग एक दूसरे को प्यार करते थे, एक दूसरे को स्वीकार करते थे न कि खारिज करते थे। मानवीय सोच एक दूसरे से प्यार करने की है न कि घृणा फैलाने की।’’ उन्होंने कहा कि वर्तमान स्थिति में परस्पर सम्मान बढ़ाने की काफी जरूरत है। उन्होंने कहा कि पहले लोगों को हिंसा की घटनाओं के बारे में पता नहीं चलता था लेकिन अब उन्हें मीडिया के कारण पता चलता है।

दानतन ग्रामीण मेले के बारे में मुखर्जी ने कहा कि इस तरह के ग्रामीण मेले लोगों के बीच भाईचारा, सौहार्द और शांतिपूर्ण सह..अस्तित्व लाते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘आप इस तरह के मेले शहरी इलाकों में नहीं देख सकते। हमेशा काफी भीड़ होती है। इस तरह के मेले ग्रामीण इलाकों की शाश्वत भावना को प्रदर्शित करते हैं।’’ इस तरह के मेले समाज के विभिन्न तबकों के बीच व्यक्तिगत संपर्क को बढ़ावा देते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘वैश्विक संदर्भ में यह काफी महत्वपूर्ण है।’’ राष्ट्रपति ने मशहूर बंगाली लेखक ताराशंकर बंदोपाध्याय की कुछ पंक्तियों को उद्धृत किया जिसका भाव है , ‘‘मैं कब उस मेले में जाउंगा? पता क्या है? जहां गाने लगातार बजते हैं और जहां हमेशा रोशनी होती है।’’ उन्होंने कहा कि दानतन को ‘‘दंडाभुक्ति’’ के रूप में भी जाना जाता है जो पुरी में जगन्नाथ मंदिर के रास्ते में है। उन्होंने कहा कि कहा जाता है कि इस रास्ते से 16वीं सदी में चैतन्य महाप्रभु गुजरे थे। कई संस्कृतियों और इतिहास का गवाह रहा दानतन अब भी साहित्य और संस्कृति से समृद्ध है।

दानतन पश्चिम मिदनापुर जिले का एक छोटा शहर है। समारोह में पश्चिम बंगाल के राज्यपाल केशरीनाथ त्रिपाठी, राज्य भाजपा के अध्यक्ष दिलीप घोष, दानतन ग्रामीण मेला समिति के अध्यक्ष आलोक नंदी मौजूद थे।

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