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कांग्रेस ने असम में पांच दलों के गठबंधन के साथ चुनाव लड़ने का किया फैसला
- प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क
- जनवरी 19, 2021 20:04
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प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष रिपुन बोरा ने कहा कि कई दलों के साथ बातचीत के बाद यह फैसला किया गया है कि कांग्रेस इस चुनाव में ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (एआईयूडीएफ), भाकपा, माकपा, भाकपा (माले) और आंचलिक गण मोर्चा के साथ गठबंधन करेगी।
गुवाहाटी। असम की कांग्रेस इकाई ने मंगलवार को कहा कि वह कुछ महीने बाद होने जा रहे विधानसभा चुनाव में पांच दलों के साथ गठबंधन करके उतरेगी ताकि भाजपा को सत्ता से बाहर किया जा सके। प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष रिपुन बोरा ने कहा कि कई दलों के साथ बातचीत के बाद यह फैसला किया गया है कि कांग्रेस इस चुनाव में ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (एआईयूडीएफ), भाकपा, माकपा, भाकपा (माले) और आंचलिक गण मोर्चा के साथ गठबंधन करेगी।
उन्होंने कहा, ‘‘भाजपा विरोधी दलों के लिए हमारे दरवाजे खुले हुए हैं और हम क्षेत्रीय दलों को आमंत्रित करते हैं कि वे सत्तारूढ़ पार्टी को सत्ता से हटाने की लड़ाई में हमारा साथ दें।’’ बोरा ने कहा कि कांग्रेस देश हित में सांप्रदायिक शक्तियों को सत्ता से बाहर करने के लिए अग्रणी भूमिका में है।Congress says it will contest 2021 Assam assembly polls in alliance with AIUDF, CPI, CPI(M), CPI(ML) and Anchalik Gana Morcha
— Press Trust of India (@PTI_News) January 19, 2021
भाजपा में शामिल हुए सुशांत पॉल, शुभेंदु अधिकारी के सामने कान पकड़कर मांगी माफी, जानिए इसका असल कारण
- अनुराग गुप्ता
- मार्च 4, 2021 14:09
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पश्चिमी मेदिनीपुर में रैली के बीच में भाजपा की सदस्यता लेने के बाद सुशांत पॉल ने शुभेंदु अधिकारी के सामने कान-पकड़कर उठक बैठक लगाई और सार्वजनिक मंच से माफी मांगी।
कोलकाता। पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव के मद्देनजर नेताओं का आवागमन जारी है। इसी बीच पश्चिमी मेदिनीपुर में बुधवार को तृणमूल से भाजपा में आए शुभेंदु अधिकारी के रैली में एक ऐसा वाक्या हुआ जो ममता दीदी के लिए किसी तमाचे से कम नहीं है। दरअसल, शुभेंदु अधिकारी की रैली में तृणमूल के नेता सुशांत पॉल भाजपा में शामिल हुए। हालांकि यह कोई बड़ा मुद्दा नहीं है क्योंकि चुनावी मौसम में नेताओं का एक पार्टी से दूसरी पार्टी में जाना कोई बड़ा मुद्दा नहीं है लेकिन सुशांत पॉल ने जो कुछ कहा वह अपने आप में काफी बड़ा है।
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रैली के बीच में भाजपा की सदस्यता लेने के बाद सुशांत पॉल ने शुभेंदु अधिकारी के सामने कान-पकड़कर उठक बैठक लगाई और सार्वजनिक मंच से तृणमूल में जाने के लिए माफी मांगी। आपको बता दें कि सुशांत पॉल ने फिर से भाजपा की सदस्यता ली है। इससे पहले वह साल 1998 में भाजपा में शामिल हुए थे लेकिन फिर 2005 में वह ममता दीदी के पास चले गए।
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उल्लेखनीय है कि पश्चिम बंगाल में आठ चरणों में विधानसभा चुनाव के लिए मतदान होंगे। 27 मार्च को पहले चरण के लिए मतदाता अपने मताधिकार का इस्तेमाल करेंगे। वहीं आखिरी चरण के लिए 29 अप्रैल को वोट डाले जाएंगे। जबकि उम्मीदवारों के किस्मत का फैसला 2 मई को होगा।
यौन शक्ति बढ़ाने के चक्कर में अचानक काटकर खाने लगे लोग, संकट में आ गया गधा
- अभिनय आकाश
- मार्च 4, 2021 14:00
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आंध्र प्रदेश के लोगों को लगता है कि गधे का मांस खाने से कई तरह की समस्या दूर हो सकती है। इसके साथ ही उन्हें विश्वास है कि गधे का मांस खाने से यौन क्षमता भी बढ़ती है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार गधों का मांस करीब 600 रुपये किलों बिक रहा है।
"पहली बार कोई आपको गधा कहे तो बिल्कुल बुरा मत मानिएगा। बल्कि उसे थैक्यू बोलियेगा। गधा कोई गाली नहीं तारीफ की थाली है।" ये विज्ञापन तो आपको बखूबी याद होगा। गधे उसी अर्थ में गधे रहते हैं जिस अर्थ में होते आए हैं, लेकिन अखिलेश यादव ने उसे नया अर्थ दिया। गधा होने का मानी कभी इस तरह से नहीं गूंजा। फिर तो पूरे उत्तर प्रदेश के चुनाव में सिर्फ गधा ही गधा चलता रहा। खेल खलिहानों और धोबी के घाटों से उठकर सियासी मंच पर बठ गया था गधा। उनका ये कहना भर था कि मैं सदी के महानायक से हाथ जोड़कर विनती करूंगा कि आप गुजरात के गधों का प्रचार मत करिए। गधे को लेकर आपके दिल में जो भी हो लेकिन उत्तर प्रदेश के सीएम रहते हुए अखिलेश यादव ने सियासत में गधों को जगह दी। लेकिन देश में गधों को विलुप्त होने वाले जानवरों की लिस्ट में रखा गया है और अगर जल्द ही गधों की जनसंख्या में बढ़ोतरी नहीं हुई तो कई राज्यों से यह जानवर पूरी तरह से गायब हो सकता है। वहीं भारत के एक राज्य आंध्र प्रदेश जहां गधों को मारकर उनके अवशेषों को नहरों में फेंका जा रहा है। इसकी वजह से यहां जानवर विलुप्त होने की कगार पर पहुंच गए हैं।
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यौन क्षमता बढ़ाने के लिए खाया जा रहा मांस
आंध्र प्रदेश के लोगों को लगता है कि गधे का मांस खाने से कई तरह की समस्या दूर हो सकती है। इसके साथ ही उन्हें विश्वास है कि गधे का मांस खाने से यौन क्षमता भी बढ़ती है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार गधों का मांस करीब 600 रुपये किलों बिक रहा है। जबकि मीट बेटने वाला एक गधा खरीदने के लिए 15 से 20 हजार रुपये तक दे रहा है।
पांच वर्षों के अंदर 54 प्रतिशत की गिरावट
आंध्र प्रदेश के पशपालन विभाग में सहायक निदेशक के पद पर तैनात डॉ, धनलक्ष्मी ने समाचार एजेंसी एएनआई को कहा कि राज्य में गधों की अवैध रूप से हत्या की जा रही है। साल 2012 में गधों की संख्या 10161 थी जो साल 2019 में घटकर 4678 हो गई। उन्होंने कहा कि सरकार पांच साल के अंतराल पर पशुधन की गणना करती है। 2019 के सर्वेक्षण में केवल पांच वर्षों के अंदर 54 प्रतिशत की गिरावट की बात सामने आई।
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- अनुराग गुप्ता
- मार्च 4, 2021 13:27
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मुख्यमंत्री ममता बनर्जी 11 मार्च को अपना नामांकन दाखिल कर सकती हैं और उन्होंने यह दिन इसलिए चुना है क्योंकि 11 तारीख को महाशिवरात्रि है।
कोलकाता। पश्चिम बंगाल की राजनीति में ट्विट और टर्न्स देखे जा रहे हैं और अब मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भगवान श्री राम को चुनौती के तौर पर स्वीकार करते हुए सॉफ्ट हिन्दुत्व की राह अख्तियार कर ली है। कहा जा रहा है कि भाजपा के श्री राम के सामने अब ममता के शिव होंगे। दरअसल, भाजपा 'श्री राम' के नाम पर लगातार ममता दीदी को घेरने की कोशिश करती आई है और यह दिखाने का प्रयास किया है कि वह श्री राम के खिलाफ हैं। हालांकि, भाजपा ने कई बार ममता दीदी और तृणमूल से सवाल भी पूछा है कि आखिर 'जय श्री राम' के नारे से उन्हें दिक्कत क्या है ?
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श्री राम बनाम शिव का नारा
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक ममता बनर्जी 11 मार्च को अपना नामांकन दाखिल कर सकती हैं और उन्होंने यह दिन इसलिए चुना है क्योंकि 11 तारीख को महाशिवरात्रि है। भाजपा की तरफ 'राम द्रोही' करार दी जा चुकी ममता बनर्जी ने भोलेनाथ से सहारा मांगा है और भोलेनाथ यानि शिव का हाथ पकड़कर अब वह बंगाल की राजनीति में अपना पासा चलने वाली हैं।
बागी को ही दी चुनौती !
ममता बनर्जी के नंदीग्राम से 11 मार्च को नामांकन दाखिल करने की तैयारियां लगभग पूरी हो चुकी हैं। इसके साथ ही नंदीग्राम में तृणमूल कांग्रेस का चुनावी कार्यालय बनाया जा रहा है। वहीं, चुनाव प्रचार की रणनीति तैयार की जा चुकी है और ममता बागियों को मजा चखाने के लिए पैदल चुनावी यात्रा करेंगी।
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दरअसल, नंदीग्राम तृणमूल कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हुए शुभेंदु अधिकारी की सीट है। राजनीति में हमने यह जरूर देखा है कि चाहे प्रधानमंत्री हों या फिर मुख्यमंत्री, उनकी पारम्परिक सीट पर उन्हें चुनौती तो मिलती ही है। लेकिन ऐसा पहली बार देखा जा रहा है, जब कोई मुख्यमंत्री अपने बागी नेता की चुनौती पर उसी से गढ़ में कूदा हो और बागी को ही चुनौती दी हो।
दूसरी तरफ शुभेंदु अधिकारी ने भी ऐलान किया है कि उनकी पार्टी भाजपा उन्हें नंदीग्राम से टिकट दे या फिर न दे, लेकिन वह ममता बनर्ती को यहां से हराने की जिम्मेदारी लेते हैं। सियासी गलियारों में चर्चा है कि भाजपा शुभेंदु अधिकारी को नंदीग्राम से टिकट दे सकती है।

