कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद की अग्रिम जमानत याचिका खारिज, धार्मिक भावनाएं भड़काने का है आरोप

Congress MLA Arif Masood's anticipatory bail
दिनेश शुक्ल । Nov 7 2020 9:29PM

न्यायाधीश ने लिखा कि आरोपियों ने कलेक्टर की बिना अनुमति के प्रदर्शन कर रहे आरिफ मसूद और 2000 लोगों पर कोविड–19 के संक्रमण से बचाव में जारी गाइड लाइन के तहत जारी आदेशों का उल्लंघन किया है। वहीं, दूसरा अपराध उन्मादी भाषण देकर दो संप्रदायों के मध्य आक्रोश पैदा किए जाने के संबंध में है।

भोपाल। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के इकबाल मैदान में फ्रांस के राष्ट्रपति के खिलाफ रैली निकालकर प्रदर्शन करने वाले कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद की अग्रिम जमानत याचिका कोर्ट ने नामंजूर कर दी है। कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद पर धार्मिक भावनाएं भड़काने का आरोप है। आरिफ मसूद राजधानी भोपाल की भोपाल मध्य से कांग्रेस विधायक है। शनिवार को विशेष न्यायाधीश प्रवेन्द्र कुमार सिंह ने मामले की गंभीरता को देखते हुए आरिफ मसूद की अग्रिम जमानत अर्जी नामंजूर कर दी।

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सांसद-विधायकों के प्रकरणों की सुनवाई करने वाले न्यायाधीश प्रवेन्द्र कुमार सिंह की विशेष अदालत में शनिवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सुनवाई हुई। आरिफ मसूद के वकील अजय गुप्ता ने बहस में कहा कि तलैया पुलिस ने धार्मिक प्रदर्शन के मामले में आरिफ मसूद और उनके समर्थकों के खिलाफ एक ही अपराध में दो केस दर्ज किए हैं, जबकि ऐसा नहीं हो सकता। पहली बार आरिफ मसूद और समर्थकों पर 29 सिंतबर को तलैया पुलिस ने धारा 188, 269, 279 का अपराध दर्ज किया था, जिसमें आरोपी जमानत पर है।

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मसूद पर आरोप है कि उन्होंने इकबाल मैदान में हजारों की भीड़ इकट्ठा की और धार्मिक भावनाएं भड़काने वाला भाषण दिया। तलैया थाना प्रभारी डीपी सिंह ने बताया कि मसूद और उनके समर्थकों के खिलाफ तलैया थाने में दो अलग-अलग मामले दर्ज हैं। इनमें से एक मामले में मसूद थाने से ही जमानत पर रिहा हो चुके हैं। दूसरे मामले में मसूद पर धार्मिक भावनाएं भड़काने की गैर जमानती धारा 153 में केस दर्ज है। सुनवाई में मसूद के वकील ने कहा कि एक ही मामले में दो एफआईआर दर्ज नहीं हो सकतीं। वहीं, इस अपराध में 4 अक्टूबर को दूसरी एफआईआर दर्ज करते हुए आरिफ मसूद व उनके 7 समर्थकों पर धारा 153-ए के तहत एफआईआर दर्ज कर ली गई। वकील अजय गुप्ता ने कहा कि वर्तमान में आरिफ मसूद कांग्रेस के चुनाव प्रचार में बिहार गए हुए हैं और अब तक भोपाल नहीं लौटे हैं।

जिसके बाद विशेष न्यायाधीश प्रवेन्द्र कुमार सिंह ने लिखा कि केस डायरी से पता चलता है कि आरोपी आरिफ मसूद के नेतृत्व हजारों लोगों ने प्रदर्शन कर फ्रांस के राष्ट्रपति का पुतला दहन किया और उसी दौरान मसूद ने उन्मादी भाषण दिया। कोर्ट ने कहा कि आरोपी ने कहा कि फ्रांस के राष्ट्रपति के कार्य को भारत में बैठी हिन्दूवादी सरकार सहमति दे रही हैं। मध्य प्रदेश में बैठी हिन्दूवादी सरकार मुस्लिम वर्ग के अपमान को शह दे रहीं है। हिन्दुस्तान की केंद्र व राज्य सरकार कान खोलकर सुन ले, यदि फ्रांस के इस कृत्य का विरोध नहीं किया गया, तो हिंदुस्तान में भी ईंट से ईंट बजा देंगे, जिससे हिंदू धर्म में आक्रोश है।

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न्यायाधीश ने लिखा कि आरोपियों ने कलेक्टर की बिना अनुमति के प्रदर्शन कर रहे आरिफ मसूद और 2000 लोगों पर कोविड–19 के संक्रमण से बचाव में जारी गाइड लाइन के तहत जारी आदेशों का उल्लंघन किया है। वहीं, दूसरा अपराध उन्मादी भाषण देकर दो संप्रदायों के मध्य आक्रोश पैदा किए जाने के संबंध में है। दोनों अपराध अलग-अलग हैं। आरोपी आरिफ मसूद द्वारा किए गए गंभीर कृत्य को देखते हुए उसे अग्रिम जमानत दिया जाना उचित नहीं है।

वही दो दिन पहले पुलिस और प्रशासन ने बड़े तालाब के कैचमेंट एरिया में बने मसूद के कॉलेज पर बुलडोजर चलाकर अतिक्रमण जमींदोज कर दिया था। इस दौरान पक्का निर्माण समेत अस्थायी हिस्से को गिराया गया था, हालांकि कॉलेज बिल्डिंग का मामला हाईकोर्ट में होने के कारण उस पर कार्रवाई नहीं की गई। जिसको लेकर उनके समर्थकों ने भारी हंगामा किया था। लेकिन प्रशासन ने अवैध अतिक्रमण को तोड़ दिया था। वही कांग्रेस ने इसे भाजपा की बौखलाहट बताया था। 

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