कांग्रेस विधायक लक्ष्मण सिंह ने बताया कमलनाथ को मजबूर मुख्यमंत्री

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दिनेश शुक्ल । Nov 14 2019 3:52PM

कांग्रेस के अंदर सब कुछ ठीक-ठाक नहीं चल रहा है। सरकार की स्थिरता और अस्थिरता की बहस के बीच वह बात और है कि मन्त्री पीसी शर्मा, जीतू पटवारी, गोविंद सिंह भाजपा के विधायक अपने पाले में मिलाकर खड़े करने का दावा भले ही करते रहे हो। लेकिन अपनी ही पार्टी पर सवाल खड़ा करना लक्ष्मण सिंह ने मुख्यमंत्री कमलनाथ को यह सख्त संदेश दे रहे हैं जो एक नया विवाद पैदा कर सकता है।

भोपाल। मध्यप्रदेश में कांग्रेस विधायक और दिग्विजय सिंह के छोटे भाई लक्ष्मण सिंह ने कहा है कि कमलनाथ मजबूर नहीं, मजबूत मुख्यमंत्री बनकर काम करके दिखाएं। यह पहला मौका नहीं है जब  लक्ष्मण सिंह ने अपनी ही पार्टी की सरकार को कटघरे में खड़ा किया हो। इससे पहले वह मध्यप्रदेश के सुपर सीएम कहे जाने वाले अपने बड़े भाई दिग्विजय सिंह के बंगले पर अपने समर्थकों के साथ अपनी विधानसभा  चाचौड़ा को जिला बनाने की मांग को लेकर धरने पर बैठ गए थे। यही नहीं किसान कर्जमाफी को लेकर भी अपनी सरकार के खिलाफ बयान दे चुके है।

लक्ष्मण सिंह ने यह बात मुख्यमंत्री कमलनाथ तक अपना संदेश पहुंचाते हुए तब कहीं जब कांग्रेस अपनी सरकार के एक साल पूरा होने पर जश्न की तैयारी में जुटी है। लक्ष्मण सिंह ने कहा है कि अभी तक कमलनाथ सरकार बचाने के लिए काम कर रहे थे, अब चलाते हुए नजर आएं। हम तो चाहते हैं सरकार 5 साल चले। फिर भी सरकार रहे ना रहे, मनरेगा जैसी दूसरी योजनाओं का क्रियान्वयन जमीन पर जरूरी है। 

झाबुआ उपचुनाव जीत कर काँग्रेस ने सदन में जरूरी समर्थन भी हासिल कर लिया है। यह पहला मौका नहीं है जब लक्ष्मण सिंह ने अपनी ही सरकार की नीति और नीयत पर सवाल खड़े किए हैं। इससे पहले भी किसान कर्ज माफी को लेकर राहुल गांधी के 10 दिन के वादे पर लक्ष्मण सवाल खड़ा कर चुके हैं।

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जिसके बाद लक्ष्मण सिंह लगातार सुर्खियों में बने हुए हैं। चाहे फिर उनका अपने बड़े भाई और राज्यसभा सांसद, पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के यहां धरना देना हो या फिर पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा नेता शिवराज सिंह चौहान से उनके घर पर जाकर मुलाकात करना हो या फिर ट्वीट के जरिए समय-समय पर ज्वलंत मुद्दों पर अपना नजरिया सामने रखना हो। 

लक्ष्मण सिंह फिलहाल विधायक हैं वह सांसद भी रह चुके है। लेकिन उन्हें कमलनाथ ने मंत्रिमंडल गठन के साथ अपनी कैबिनेट में शामिल नहीं किया था। लक्ष्मण इससे पहले राहुल गांधी के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहते चार कार्यकारी अध्यक्षों की नियुक्ति का मशविरा देकर प्रदेश कांग्रेस और उसके वरिष्ठ नेताओं को संकट में डाल चुके हैं। ऐसे में लक्ष्मण का यह अंदाज और उनकी तल्ख टिप्पणी जिसमें मशविरा कम नसीहत ज्यादा नजर आ रही। 

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मुख्यमंत्री कमलनाथ को लक्ष्मण सिंह ने इस बार निशाने पर लिया है, जिसका मतलब कांग्रेस के अंदर सब कुछ ठीक-ठाक नहीं चल रहा है। सरकार की स्थिरता और अस्थिरता की बहस के बीच वह बात और है कि मन्त्री पीसी शर्मा, जीतू पटवारी, गोविंद सिंह भाजपा के विधायक अपने पाले में मिलाकर खड़े करने का दावा भले ही करते रहे हो। लेकिन अपनी ही पार्टी पर सवाल खड़ा करना लक्ष्मण सिंह  ने मुख्यमंत्री कमलनाथ को यह सख्त संदेश दे रहे हैं जो एक नया विवाद पैदा कर सकता है। 

दूसरी ओर लक्ष्मण सिंह ने अपना यह बयान तब दिया है जब विधानसभा का शीतकालीन सत्र नजदीक आ रहा। आखिर कमलनाथ को मजबूत साबित करने की बजाय मजबूर साबित करके वह किसे और क्या संदेश देना चाहते है। यह तो लाख टके का सवाल मुख्यमंत्री और प्रदेश अध्यक्ष रहते कमलनाथ को खुद साबित करना होगा कि  वह मजबूर है या मजबूत। मुख्यमंत्री कमलनाथ जिनके पास मध्यप्रदेश की सत्ता के साथ अभी भी संगठन की भी कमान है। लक्ष्मण सिंह की मानें तो कमलनाथ को साबित करना होगा कि वह एक मजबूत मुख्यमंत्री हैं। 

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लेकिन कांग्रेस के एक विधायक का अपने मुख्यमंत्री की नेतृत्व क्षमता पर सवाल खड़ा करना हो या फिर एक शुभचिंतक सहयोगी के तौर पर मुख्यमंत्री को जमीनी हकीकत से रूबरू कराना। लक्ष्मण सिंह की जो भी मंशा रही हो साबित कमलनाथ को ही करना है कि खुद लक्ष्मण अनुशासन की लक्ष्मण रेखा पार कर रहे हैं या फिर आरोपों में दम है। 

 

 

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