परिसीमन आयोग की रिपोर्ट पर विपक्ष ने की कड़ी प्रतिक्रिया, जम्मू को कश्मीर के बराबर दर्जा देने का है प्रस्ताव

कांग्रेस की जम्मू-कश्मीर इकाई के मुख्य प्रवक्ता रविंदर शर्मा ने मसौदा प्रस्ताव के बारे में खबरों पर कहा, ऐसा लगता है कि मानदंडों, जमीनी हकीकत और लोगों की आकांक्षाओं को निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन में नजरअंदाज कर दिया गया है।
जम्मू। कांग्रेस और नेशनल पैंथर्स पार्टी (एनपीपी) ने शनिवार को परिसीमन आयोग के दूसरे मसौदा प्रस्ताव पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की, जिसमें जम्मू कश्मीर में नए निर्वाचन क्षेत्रों के गठन और अन्य के पुनर्निर्धारण का सुझाव दिया गया है। परिसीमन आयोग ने अपने पांच सहयोगी सदस्यों - नेशनल कॉन्फ्रेंस (नेकां) के तीन सांसदों और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के दो सांसदों को उनके सुझावों के लिए मसौदा रिपोर्ट सौंपी है। कांग्रेस की जम्मू-कश्मीर इकाई के मुख्य प्रवक्ता रविंदर शर्मा ने मसौदा प्रस्ताव के बारे में खबरों पर कहा, ऐसा लगता है कि मानदंडों, जमीनी हकीकत और लोगों की आकांक्षाओं को निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन में नजरअंदाज कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि लोग कुछ क्षेत्रों के विभाजन, जमीनी हकीकत को नजरअंदाज करने और लोगों को बड़ी मुश्किलों में डालने पर हैरान हैं।
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शर्मा ने कहा, ‘‘यह निश्चित रूप से लोगों की जरूरतों, इच्छाओं और आकांक्षाओं के अनुरूप नहीं है। उन्होंने कहा कि औपचारिक मसौदा आने के बाद कांग्रेस इस प्रस्ताव पर चर्चा करेगी। सहयोगी सदस्यों की आपत्तियों के साथ आधिकारिक राजपत्र में परिसीमन रिपोर्ट के मसौदे के प्रकाशन की मांग करते हुए, एनपीपी के अध्यक्ष और जम्मू-कश्मीर के पूर्व मंत्री हर्ष देव सिंह ने कहा कि यह एक अनिवार्य आवश्यकता है। परिसीमन अधिनियम की धारा 9(2)(ए) का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि मसौदा रिपोर्ट तैयार करने के बाद, आयोग को आधिकारिक राजपत्र में सहयोगी सदस्यों के असहमति वाले प्रस्तावों या आपत्तियों, यदि कोई हो, के साथ निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन के लिए अपने प्रस्तावों को प्रकाशित करना आवश्यक है। उन्होंने जम्मू-कश्मीर में एक वैध, निर्वाचित सरकार का गठन सुनिश्चित करने के लिए परिसीमन प्रक्रिया को समयबद्ध ढंग से पूरा करने और विधानसभा चुनाव तत्काल कराने की मांग की।
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