इस सरकार में ‘तुस्सी ग्रेट हो’ बोलने पर नियुक्ति, नहीं बोलने पर दंड: कांग्रेस

Congress said Appointment on ''Tussi Great Ho'' in this Government, penalties for not speaking
[email protected] । Apr 27 2018 7:45PM

उच्चतम न्यायालय में न्यायाधीश पद के लिए न्यायमूर्ति केएम जोसेफ के नाम को मंजूरी नहीं दिए जाने को लेकर कांग्रेस ने आज केन्द्र की भाजपा नीत सरकार पर फिर हमला बोला।

नयी दिल्ली। उच्चतम न्यायालय में न्यायाधीश पद के लिए न्यायमूर्ति केएम जोसेफ के नाम को मंजूरी नहीं दिए जाने को लेकर कांग्रेस ने आज केन्द्र की भाजपा नीत सरकार पर फिर हमला बोला। पार्टी ने आरोप लगाया कि इस सरकार में ‘तुस्सी ग्रेट हो’’ बोलने वालों को संस्थाओं में नियुक्ति मिलती है और ऐसा नहीं बोलने वालों को दंडित किया जाता है।’ पार्टी ने यह भी आरोप लगाया कि ‘सरकार न्यायपालिका को कमजोर करने का खेल रही है और अदालती फैसलों के हिसाब से न्यायाधीशों को पदोन्नति देने के बारे में फैसला कर रही है।’ पार्टी प्रवक्ता अभिषेक सिंघवी ने संवाददाताओं से कहा कि कोलेजियम को न्यायमूर्ति जोसेफ के नाम की फिर से अनुशंसा करनी चाहिए और सरकार को स्पष्ट संदेश देना चाहिए कि वह इस मामले में नहीं झुकेगी।उन्होंने कहा कि ‘सरकार की ओर से यह संदेश भेजा जा रहा है कि अगर हमसे आप सहमत नहीं हैं तो फिर आपको दंडित करेंगे।’

सिंघवी ने आरोप लगाया, ‘‘एक ऐसी सरकार है जिसको संवैधानिक मूल्यों से कोई सरोकार नहीं है। इसको सिर्फ यह संदेश देना है कि हम हर संस्था को नियंत्रित करेंगे और हर संस्था में उसको नियुक्त करेंगे जो बोलेंगे ‘ तुस्सी ग्रेट हो।’’ उन्होंने कहा, ‘‘अगर कोई ‘तुस्सी ग्रेट हो’ बोल दे तो उसे सेंसर बोर्ड में जगह मिल जाएगी या सूचना आयुक्त बना दिया जाएगा या किसी दूसरी संस्था में स्थान दे दिया जाएगा। लेकिन अगर आप तुस्सी ग्रेट हो नहीं बोलेगो तो वो आपको सबक सिखाएंगे।’कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा, 'पहली बार देश में न्यायपालिका पर इस तरह का हमला किया गया है। अदालत के फैसले के आधार पर हमले हो रहे हैं। सरकार कह रही है कि अगर कोई फैसले सरकार के मन मुताबिक नहीं है तो संबंधित न्यायाधीश को पदोन्नति नहीं मिलेगी।'उन्होंने कहा, 'जोसेफ को उच्चतम न्यायालय में न्यायाधीश नियुक्त नहीं करना निंदनीय है। उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन के मामले में संविधान के मुताबिक फैसला देने की वजह से सरकार ने उनकी नियुक्ति से जुड़ी कोलेजियम की अनुशंसा को स्वीकार नहीं किया। सरकार उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन के मामले में आये फैसले को पचा नहीं पाई है।"

सिंघवी ने कहा कि न्यायमूर्ति जोसेफ के नाम को स्वीकृति नहीं देने के लिए कानून मंत्री ने जो कारण दिए हैं, वो गलत हैं। उन्होंने कहा, ‘‘इस सरकार में ऐसा पहली बार नहीं हुआ है कि जब कोलेजियम ने दो या तीन नाम भेजे हों और उनके एक नाम को अलग कर दिया हो। गोपाल सुब्रमण्यम के समय भी ऐसा ही हुआ था और उस वक्त के प्रधान न्यायाधीश आर एम लोढ़ा ने कड़ी आपत्ति जताई थी। अब फिर से दो नामों में से एक को अलग कर दिया गया।’’ कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा,‘‘समय आ गया है कि कोलेजियम स्पष्ट रूप से कह दे कि उसने जिन नामों की अनुशंसा की जब तक उनकी नियुक्ति नहीं हो जाती तब तक वह दूसरे नामों की अनुशंसा नहीं करेगा। यह सिद्धांत का मामला है और एक संस्था की गरिमा का मामला है।’’ गौरतलब है कि मार्च, 2016 में उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लगाया था। कुछ दिनों बाद ही न्यायमूर्ति जोसेफ की अध्यक्षता वाली उच्च न्यायालय की पीठ ने इसे निरस्त कर दिया था। इस मामले में सिंघवी ने बतौर वकील उच्च न्यायालय में कांग्रेस की पैरवी की थी। सिंघवी ने कहा, ‘‘यह किसी एक पार्टी का मामला नहीं है। यह पूरे देश का मामला है। इस पर सभी लोगों को आवाज उठानी होगी।

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