समलैंगिकों का करंट से इलाज करने का दावा करने वाले डॉक्टर को कोर्ट ने किया तलब
करंट लगाकर समलैंगिक लोगों के इलाज का दावा करने वाले एक चिकित्सक को एक अदालत ने नियमों के उल्लंघन के आरोप में अपने समक्ष हाजिर होने का आदेश दिया है।
नयी दिल्ली। करंट लगाकर समलैंगिक लोगों के इलाज का दावा करने वाले एक चिकित्सक को एक अदालत ने नियमों के उल्लंघन के आरोप में अपने समक्ष हाजिर होने का आदेश दिया है। यह डॉक्टर दावा करता है कि समलैंगिकता एक ‘आनुवांशिक मानसिक विकृति’ है और समलैंगिक स्त्री-पुरुषों को बिजली का झटका देकर इसे ठीक किया जा सकता है। दिल्ली चिकित्सा परिषद (डीएमसी) ने डा. पीके गुप्ता के प्रैक्टिस करने पर रोक लगा दी थी, लेकिन वह अब भी इस अजीबोगरीब तरीके को अंजाम देता है। मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट अभिलाष मल्होत्रा ने कहा कि यह डॉक्टर जो तरीका इस्तेमाल कर रहा है, उसका कोई ब्योरा चिकित्सा विज्ञान में या स्वीकृत तौर तरीकों में नहीं है।
इसे भी पढ़ें: टेक महिंद्रा ने समलैंगिक के साथ भेदभाव करने वाले अधिकारी को हटाया
भारतीय चिकित्सा परिषद अधिनियम के तहत उसे एक साल की सजा हो सकती है। अदालत ने यह भी कहा कि यह भी स्पष्ट हो रहा है कि गुप्ता के प्रैक्टिस पर रोक लगने के बाद भी वह बाज नहीं आ रहा। अदालत ने डीएमसी द्वारा गुप्ता के खिलाफ उस शिकायत पर भी ध्यान दिया, जिसमें दावा किया गया है कि वह उपचार प्रदान करने के लिए हार्मोनल और झटके वाली थेरेपी का उपयोग कर रहा है। अदालत ने अपने समन में समलैंगिकता पर उच्चतम न्यायालय के उस फैसले का भी जिक्र किया है जिसमें उसने दो वयस्कों के निजी रूप से आपसी सहमति से यौन संबंध बनाने को अपराध नहीं माना है।
इसे भी पढ़ें: धारा 377 मामले में न्यायाधीश ने सरकार की आलोचना की
अदालत के अनुसार गुप्ता 15 मिनट की काउंसलिंग के लिए 4,500 रुपये वसूलता है और उसके बाद ही वह हार्मोन या मनोवैज्ञानिक तरीके से इलाज करता है। जब डीएमसी ने इस डॉक्टर को नोटिस जारी किया तो उसने कहा कि वह इस परिषद से पंजीकृत नहीं है, लिहाजा वह इसका जवाब देने के लिए जिम्मेदार नहीं है।
अन्य न्यूज़