खतरनाक 'कार्बाइड गन' ने छीनी बच्चों की रोशनी, दिवाली पर Madhya Pradesh में फैला अंधापन

Madhya Pradesh
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ANI
एकता । Oct 23 2025 4:16PM

मध्य प्रदेश में 'कार्बाइड गन' नामक जानलेवा खिलौने ने दिवाली पर बच्चों की रोशनी छीन ली है, जहां तीन दिनों में 122 से अधिक बच्चों को गंभीर आंखों की चोटें आईं और 14 स्थायी रूप से अंधे हो गए हैं। डॉक्टर्स ने इसे तात्कालिक विस्फोटक बताते हुए माता-पिता को इस 'देसी पटाखा गन' से दूर रहने की सख्त चेतावनी दी है, क्योंकि यह रेटिना को जलाकर परमानेंट अंधापन पैदा कर सकती है।

इस साल दिवाली पर पटाखों का नया क्रेज जानलेवा साबित हुआ है। तथाकथित 'कार्बाइड गन' या 'देसी पटाखा गन', जिसे बच्चे दिवाली का मस्ट-हैव गैजेट बता रहे थे, अब पेरेंट्स और डॉक्टर्स के लिए सबसे बड़ी मुसीबत बन गई है।

मध्य प्रदेश में सिर्फ तीन दिनों के अंदर 122 से ज्यादा बच्चों को आंखों में गंभीर चोट लगने पर हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया है। दुख की बात यह है कि इनमें से 14 बच्चों की आंखों की रोशनी चली गई है। विदिशा जिला सबसे ज्यादा प्रभावित है, जहां 18 अक्टूबर को सरकारी बैन लगने के बावजूद, स्थानीय बाजारों में ये कच्ची 'कार्बाइड गन' खुलेआम बिक रही हैं।

सिर्फ 150 से 200 रुपये में बिकने वाले ये टेंपररी डिवाइसेज (अस्थायी उपकरण) खिलौनों की तरह बनाए और बेचे जा रहे हैं, लेकिन ये बम की तरह फटते हैं। हमीदिया अस्पताल में एडमिट सत्रह साल की नेहा ने, जो अब ठीक हो रही है, रोते हुए अपनी कहानी बताई, 'हमने एक घर पर बनी कार्बाइड गन खरीदी थी। जब ये फटी, तो मेरी एक आंख पूरी तरह जल गई। मुझे कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा।'

एक और पीड़ित, राज विश्वकर्मा ने बताया, 'मैंने सोशल मीडिया पर वीडियो देखे और घर पर पटाखा बंदूक बनाने की कोशिश की। ये मेरे चेहरे पर फट गई... और मेरी एक आंख चली गई।'

पुलिस एक्शन

विदिशा पुलिस ने अवैध रूप से ये डिवाइसेज बेचने के आरोप में छह लोगों को अरेस्ट किया है। इंस्पेक्टर आरके मिश्रा ने कहा, 'हमने तुरंत एक्शन लिया है। इन कार्बाइड गन्स को बेचने या प्रमोट करने वालों को कानूनी कार्रवाई झेलनी पड़ेगी।'

डॉक्टर्स की सीधी चेतावनी

भोपाल, इंदौर, जबलपुर और ग्वालियर के हॉस्पिटल्स में, नेत्र वार्ड इन गन्स से घायल हुए छोटे पेशेंट्स से भरे हुए हैं। अकेले भोपाल के हमीदिया अस्पताल में ही 72 घंटों में 26 बच्चे भर्ती हुए।

डॉक्टर्स साफ शब्दों में पेरेंट्स को वॉर्निंग दे रहे हैं, यह कोई खिलौना नहीं, बल्कि एक तात्कालिक विस्फोटक है। हमीदिया अस्पताल के सीएमएचओ डॉ. मनीष शर्मा ने कहा, 'ये चीज आंखों को सीधा डैमेज करती है। विस्फोट से मेटल के टुकड़े और कार्बाइड गैस निकलती है जो रेटिना को जला देती है। हम ऐसे कई केस देख रहे हैं जहां बच्चों की आंखों की पुतलियां फट गईं, जिससे परमानेंट अंधापन हो गया।'

ट्रेंड के पीछे इंस्टाग्राम और यूट्यूब

पुलिस के मुताबिक, स्थानीय मेलों और सड़क किनारे की दुकानों में बिना किसी सेफ्टी रूल के इन 'मिनी तोपों' को बेचा जा रहा है। लेकिन इस खतरनाक ट्रेंड के पीछे असली वजह इंस्टाग्राम रील्स और यूट्यूब शॉर्ट्स हैं। 'पटाखा गन चैलेंज' नाम से टैग किए गए वीडियो वायरल हो गए हैं, जिनमें टीनएजर (किशोर) लाइक और व्यूज के लिए इन गन्स को चलाते दिख रहे हैं।

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