दावा सेरिंग बने तिब्बती संसद के प्रोटेम स्पीकर, दिलाई गई पद एवं गोपनियता की शपथ

Dawa Tsering

तिब्बती संसद के वरिष्ठ सदस्य दावा सेरिंग का जन्म 1954 में हुआ। बाद में भारत आकर उन्होंने सीएसटी डल्हौजी शिमला में हासिल की व बाद में सामाजिक कार्यकर्ता के तौर पर उन्होंने तिब्बती समाज में अपनी अलग पहचान बनाई इस समय दावा सेरिंग मैकलोडगंज में योंगलिंग स्कूल के निदेशक पद पर हैं।

धर्मशाला। तिब्बत की निर्वासित सरकार के गठन के लिये एक कदम ओर आगे बढते हुये आज निर्वासित ससंद के प्रो टेम स्पीकर के तौर पर दावा सेरिंग को धर्मशाला के पास तिब्बती मुख्यालय में आयोजित समारोह में पद एवं गोपनियता की शपथ दिलाई गई इसी के साथ निर्वासित तिब्बती संसद व मंत्रिमंडल के गठन की प्रक्रिया शुरू हो गई है। तिब्बतन सुप्रीम जस्टिस कमीशन के चीफ जस्टिस सोनम नोरबू दागपो ने समारोह की अध्यक्षता करते हुये उावा सेरिंग को शपथ दिलाई कोविड महामारी के चलते लगाये गये प्रतिबंधों की वजह से समारोह में चुनिंदा लोगों को ही बुलाया गया था।   तिब्बती संसद के वरिष्ठ सदस्य दावा सेरिंग का जन्म 1954 में हुआ। बाद में भारत आकर उन्होंने सीएसटी डल्हौजी शिमला में हासिल की व बाद में सामाजिक कार्यकर्ता के तौर पर उन्होंने तिब्बती समाज में अपनी अलग पहचान बनाई इस समय दावा सेरिंग मैकलोडगंज में योंगलिंग स्कूल के निदेशक पद पर हैं।

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वर्तमान संसद के निर्वाचित सांसद दावा सेंरग इससे पहले भी सांसद रहे हैं उसके बाद कल्याण अधिकारी के तौर पर भी उन्होंने काम किया। उन्हें तीन बार दलाई लामा की ओर से भी संसद सदस्य मनोनीत किया जा चुका है। हाल ही में दो चरणों में हुये मतदान में तिब्बतीयों ने पेंपा सेरिंग को प्रधानमंत्री चुना था। पहले चरण में मतदान के दौरान चार चेहरे मैदान में थे, लेकिन कम मत मिलने के कारण इनमें से दो लोग बाहर हो गए और दूसरे चरण में मुख्य मुकाबला पेंपा सेरिंग व केलसंग दोरजे के बीच रहा। पहले चरण में पेंपा सेरिंग को 24488 जबकि केलसंग दोरजे को 14544 मत मिले थे। दूसरे दौर का मतदान पूरा होने व चुनाव परिणाम के बाद पेंपा सेरिंग ने जीत हासिल की । मतदान में भारत सहित ऑस्ट्लिया, न्यूजीलैंड, ऑस्ट्रिया, बेलिज्यम, डेनमार्क, फ्रांस, जर्मनी, आयरलैंड, इटली, नीदरलैंड, नॉर्वे, पोलैंड, स्वीडन, स्पेन, स्विट्जरलैंड, यूके, जापान, नेपाल, अमेरिका, रूस व ताइवान में रहने वाले तिब्बतियों ने भाग लिया। इसके बाद पेंपा सेरिग को विजयी घोषित किया गया था अब निर्वासित सरकार के गठन के लिये प्रो टेम स्पीकर की नियुक्ति की गई है उन्हीं की देखरेख में नये स्पीकर का चयन व सांसदों को षपथ दिलाई जायेगी उसके बाद पेंपा सेरिंग अपने मंत्रिमंडल का गठन करेंगे। पेंपा सेरिंग के सामने बतौर प्रधानमंत्री कई तरह की चुनौतियां हैं। 

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सबसे बड़ी चुनौती होगा चीन के साथ रूकी हुई बातचीत के सिलसिले को आगे बढ़ाना। वहीं, तिब्बत के मुद्दे को जोर-शोर के साथ यूनाइटेड नेशंस में रखना भी उनके लिए बड़ी चुनौती साबित होगी। वहीं, भारत सरकार के शीर्ष नेतृत्व से भी अच्छा संबंध बनाना पेंपा सेरिंग के लिए बेहद जरूरी होगा। हालांकि, पिछले साल अमेरिका ने तिब्बतियन नीति एवं समर्थन अधिनियम 2020 को पास कर चीन को बड़ा झटका देते हुए तिब्बत के मुद्दे को फिर से हवा दी थी लेकिन पेंपा सेरिंग के लिए ये संघर्ष आसान नहीं होने वाला है। तिब्बत को लेकर जैसे ही एक बार फिर से राजनीति सक्रिय हुई, ठीक वैसे ही चीन ने फिर से तिब्बत पर और शिकंजा कर दिया है। ल्हासा में रहने वाले तिब्बतियों के लिए नया निर्देश जारी करते हुए चीन ने कई धार्मकि आयोजन मनाने पर रोक लगा दी है। चीन ये फैसला तब लिया है जब तिब्बत में पवित्र महीना ’सागा दवा’ शुरू होने वाला है। ल्हासा सिटी बुद्धिस्ट एसोसिएशन के द्वारा ये नोटिफिकेशन जारी किया गया है।  चीन ने तिब्बतियों की धार्मिक आजादी पर एक और चोट किया है। धार्मिक आयोजनों के इस रोक के पीछे कोरोना वायरस का हवाला दिया गया है।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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