रक्षा मंत्रालय बेंगलुरू में 3-5 फरवरी के बीच करेगा एयरो इंडिया का आयोजन, रक्षा क्षेत्र की बड़ी कंपनियां लेंगी हिस्सा

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सूत्रों ने बताया, ‘‘कोरोना वायरस महामारी से बचाव के सभी उपायों को ध्यान में रखते हुए और सभी सावधानियों को बरतते हुए इस आयोजन का फैसला हुआ है।’’

नयी दिल्ली। रक्षा मंत्रालय ने एयरो इंडिया का अगला सत्र कोरोना वायरस महामारी के बावजूद अगले वर्ष बेंगलुरु में तीन से पांच फरवरी के बीच आयोजित करने का सैद्धांतिक निर्णय लिया है। सूत्रों के मुताबिक पारम्परिक तरीके से बेंगलुरू में होने वाला इस द्विवार्षिकी कार्यक्रम का आयोजन मंत्रालय ने घरेलू रक्षा उद्योग और प्रमुख वैश्विक ऐयरोस्पेस जगत से चर्चा के बाद निर्धारित समय के अनुसार करने का फैसला किया है। यह आयोजन एशिया की सबसे बड़ी एयरोस्पेस प्रदर्शनी है, सूत्रों का कहना है कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस आयोजन के सिलसिले में कई आंतिरक बैठकें भी की हैं। 

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सूत्रों ने बताया, ‘‘कोरोना वायरस महामारी से बचाव के सभी उपायों को ध्यान में रखते हुए और सभी सावधानियों को बरतते हुए इस आयोजन का फैसला हुआ है।’’ एयरो इंडिया प्रदर्शनी की शुरूआत 1996 में हुई थी और तब से ही यह बेंगलुरू में आयोजित हो रही है। सूत्रों ने बताया कि एयरोस्पेस उद्योग में विश्व की रक्षा क्षेत्र की बड़ी कंपनियां और प्रमुख निवेशक हिस्सा लेंगे। इनके अलावा कई देशों के आधिकारिक प्रतिनिधियों के भी इसमें शिरकत करने की संभावना है। रक्षा मंत्रालय की योजना इस आयोजन के जरिए भारत के रक्षा उत्पादन की पहल से दुनिया को अवगत कराना है। घरेलू रक्षा उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने पिछले कुछ महीनों में कई नीतिगत पहल की है।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने नौ अगस्त को घरेलू रक्षा उद्योग को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वपूर्ण पहल करते हुए 101 हथियारों और सैन्य उपकरणों के आयात पर 2024 तक के लिए रोक लगाने की घोषणा की थी। इन उपकरणों में हल्के लड़ाकू हेलीकॉप्टर, मालवाहक विमान, पारंपरिक पनडुब्बियां और क्रूज मिसाइल शामिल हैं। इसके पीछे मकसद घरेलू रक्षा उद्योग को प्रोत्साहन देना है। ऐसे ही एक अन्य घटनाक्रम में रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने सोमवार को घरेलू उद्योग के डिजाइन, विकास और निर्माण के लिए नेविगेशन राडार, टैंक ट्रांसपोर्टर जैसी 108 सैन्य प्रणालियों और उप-प्रणालियों की पहचान की थी। 

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डीआरडीओ ने कहा कि वह आवश्यकता के आधार पर इन प्रणालियों के डिजाइन, विकास और परीक्षण के लिए उद्योगों को सहायता प्रदान करेगा। भारत शीर्ष वैश्विक रक्षा कंपनियों के लिये सबसे आकर्षक बाजारों में से एक है। भारत पिछले आठ वर्षों से सैन्य साजोसामान के शीर्ष तीन आयातकों में शामिल है। अनुमान के मुताबिक, भारतीय सशस्त्र बल अगले पांच वर्षों में 130 अरब डॉलर की खरीद करने वाले हैं। मंत्रालय ने रक्षा विनिर्माण क्षेत्र में अगले पांच साल में 25 अरब डॉलर (1.75 लाख करोड़ रुपये) के कारोबार का लक्ष्य रखा है। इसमें 5 अरब डॉलर (35,000 करोड़ रुपये) मूल्य के सैन्य साजोसामान का निर्यात शामिल है।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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