प्राकृतिक आपदा के चलते पानी की गुणवत्ता हुई थी खराब, राघव चड्ढा बोले- डीजेबी ने समस्या से पार पा लिया

Raghav Chadha

दिल्ली जल बोर्ड के उपाध्यक्ष राघव चड्ढा ने विस्तार से बताया कि पानी की गुणवत्ता नेफेलोमीट्रिक टर्बिडिटी यूनिट (एनटीयू) में मापी जाती है जिसके 100 के आसपास रहने की आस होती है लेकिन वह 8000 तक चली गयी थी।

नयी दिल्ली। दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) के उपाध्यक्ष राघव चड्ढा ने रविवार को घोषणा की कि बोर्ड ने उत्तराखंड की आकस्मिक बाढ़ के मद्देनजर शहर में उत्पन्न हुई जलापूर्ति की समस्या से पार पा लिया है। उन्होंने यहां मीडिया से कहा कि भागीरथी जलशोधन संयंत्र शत प्रतिशत क्षमता के साथ काम रहा है जबकि सोनिया विहार संयंत्र की जलशोधन क्षमता 80 फीसद है। उन्होंने कहा, ‘‘ मुरादनगर के उपरी गंगा नहर से आने वालेगंगा के कच्चे पानी का हम शोधन करते हैं और उसे दिल्ली के नागरिकों का प्रदान करते हैं। लेकिन उत्तराखंड की हाल की प्राकृतिक आपदा के चलते पानी की गुणवत्ता बिगड़ गयी थी। जो पानी हमें मिल रहा है जो बहुत खराब है क्योंकि उसमें बहुत गंदगी और अन्य कण हैं।’’ 

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उन्होंने विस्तार से बताया कि पानी की गुणवत्ता नेफेलोमीट्रिक टर्बिडिटी यूनिट (एनटीयू) में मापी जाती है जिसके 100 के आसपास रहने की आस होती है लेकिन वह 8000 तक चली गयी थी। उन्होंने कहा, ‘‘ इस स्थिति का मुकाबला करने के लिए हमने सोनिया विहार जलशोधन संयंत्र एवं भागीरथी जलशोधन संयंत्र को भी बंद कर दिया। ये दोनों संयंत्र रोजाना करीब 250 एमजीडीपानी देते हैं। ’’ सोनिया विहार जलशोधन संयंत्र एवं भागीरथी जलशोधन संयंत्र को बंद करने से दक्षिणी, पूर्वी और उत्तर-पूर्वी दिल्ली में आपूर्ति प्रभावित हुई।

चड्ढा ने कहा कि भागीरथी संयंत्र में एनटीयू 8000 से घटकर 960 तथा सोनिया विहार संयंत्र में एनटीयू 8200 से घटकर 1000 हो गयी। रविवार को उन्होंने कहा था कि उत्तराखंड के चमोली में आकस्मिक बाढ़ आने से दिल्ली में उपरी गंगा नहर से आने वाले पानी में गंदगी ‘अभूतपूर्व स्तर’ तक बढ़ गयी है जिससे राष्ट्रीय राजधानी कई हिस्सों में जलापूर्ति प्रभावित होने की आशंका है। सोमवार को उन्होंने कहा कि स्थिति का प्रबंधन करने के लिए पर्याप्त संख्या में पानी के टैंकरों का इंतजाम किया गया। 

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उन्होंने बोर्ड के अभियंताओं और अधिकारियों को श्रेय दिया और कहा कि उन्होंने पादी से गंदगी हटाने के लिए कठिन परिश्रम किया। उन्होंने कहा कि भागीरथी संयंत्र शतप्रतिशत शोधन क्षमता के साथ काम करेगा जबकि सोनिया विहार संयंत्र 80 फीसद क्षमता के साथ काम कर रहा है। चड्ढा ने कहा कि सोनिया विहार संयंत्र सोमवार राततक शत प्रतिशत क्षमता के साथ काम कर सकता है। उत्तराखंड के चमोली जिले में पिछले सप्ताह एक ग्लेशियर के फट जाने के बाद धौलीगंगा और अलकनंदा नदियों में आकस्मिक बाढ़ आ गयी थी और बड़ी तबाही हुई थी।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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