भगत सिंह पर विचारों की जानबूझकर गलत व्याख्याः लेखक

विवादों के केन्द्र में आई एक पुस्तक के लेखकों ने महान स्वतंत्रता सेनानी पर इतिहासकार बिपिन चन्द्र के विचारों की ‘जानबूझकर गलत व्याख्या’ किए जाने का आरोप लगाया है।

भगत सिंह को एक ‘क्रांतिकारी आतंकी’ के तौर पर बताने के लिए विवादों के केन्द्र में आई एक पुस्तक के लेखकों ने इस स्वतंत्रता सेनानी पर इतिहासकार बिपिन चन्द्र के विचारों की ‘जानबूझकर गलत व्याख्या’ किए जाने का आरोप लगाया है। बिपिन चन्द्र ने मृदला मुखर्जी, आदित्य मुखर्जी, केएन पणिक्कर और सुचेता महाजन के साथ मिलकर ‘इंडियाज स्ट्रगल फॉर फ्रीडम’ पुस्तक लिखी थी, जिसे 1988 में प्रकाशित किया गया और यह दिल्ली विश्वविद्यालय के इतिहास के पाठ्यक्रम का हिस्सा बनी।

इन लेखकों द्वारा जारी एक संयुक्त बयान में कहा गया है, ''शहीद भगत सिंह पर बिपिन चन्द्र के विचारों को जानबूझकर गलत ढंग से यह कहते हुए पेश किया जा रहा है कि उन्होंने भगत सिंह को नीचा दिखाने के लिए ‘क्रांतिकारी आतंकी’ शब्द का इस्तेमाल किया।’’ बयान के अनुसार ''क्रांतिकारी आंदोलन पर दो अध्याय लिखने वाले चन्द्रा ने स्पष्ट कहा कि यह ‘एक शब्द है जिसका उपयोग हम बिना किसी निंदापूर्ण अर्थ के करते हैं। ऐसे समय में जब वह इस दुनिया में नहीं हैं, एक महान विद्वान पर यह हमला एक बड़ी साजिश का हिस्सा प्रतीत होता है।’’

उल्लेखनीय है कि भगत सिंह के परिजन ने मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी को पत्र लिखकर इस मामले में हस्तक्षेप करने और इस पाठ्य पुस्तक में उचित बदलाव करने की मांग की है। किताब के 20वें अध्याय में भगत सिंह, चंद्र शेखर आजाद, सूर्य सेन तथा अन्य को ‘‘क्रांतिकारी आतंकी’’ कहा गया है। इसमें चटगांव आंदोलन को आतंकी कृत्य कहा गया और ब्रिटिश पुलिस अधिकारी जान सांडर्स की हत्या को आतंकी कार्रवाई बताया गया है।

दिल्ली विश्वविद्यालय के अधिकारियों ने इस बात की पुष्टि की है कि मंत्रालय ने इस किताब के संबंधित अध्याय के संदर्भ में विचार करने को कहा है। उन्होंने बताया कि यह पाठ्य पुस्तक नहीं बल्कि संदर्भ पुस्तक है। पुस्तक के प्रकाशक पेंगुइन ने एक बयान में कहा है कि वह किताब का संशोधित संस्करण लाने के लिए लेखकों के साथ काम कर रहा है।

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