पुरुष ही नहीं महिला कांवड़ियों में भी दिखी शिव की भक्ति, 100 साल की ये बुजुर्ग 100 किलोमीटर चली पैदल...

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निधि अविनाश । Jul 25 2022 5:17PM

मेरठ के मवाना की ओंकारी देवी 30 सालों से कांवड़ लेकर जा रही हैं। 100 साल की उम्र में वह 100 किलोमीटर पैदल चली। ओंकारी को बाबा से कुछ नहीं चाहिए, उन्हें शिव जी ने सबकुछ दिया और यहीं कारण है कि आज वह परिवार की चौथी पीढ़ी भी देख पा रही हैं।

सावन के मौसम में कांवड़ियों की पैदल यात्रा देखने में अलग ही मजा आता है। भगवान भोले को याद करते हुए शिवभक्त कांवड़िया दशाश्वमेघ घाट पहुंच रहे है। इन्हीं में से एक आरा से वंदना वाराणसी पहुंच रही है। वदंना भगवान भोले को याद करते हुए पैदल गुप्ताधाम पहुंच रही है। इसमें अनोखी बात यह है कि वदंना जली हुई है और दिव्यांग भी है लेकिन एक अच्छी नौकरी के लिए भगवान भोले के द्वार पहुंच रही है। कांवड़ियों की पैदल यात्रा में आमतौर पर पुरुष ज्यादा देखने को मिलते है लेकिन ऐसा नहीं है दशाश्वमेघ घाट पर 15 महिला कांवड़िया देखने को मिली। अपनी मनोकामनाओं को पूरा करने के लिए यह महिलाएं शिव जी के द्वार पहुंची है।

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100 किलोमीटर पैदल चलकर भोले के द्वार पहुंचने वाली ये महिलाएं अपनी मनोकामनाएं पूरी करने की इच्छा से पहुंची है। किसी महिला को बेटे की कामना है तो कोई गूंगी बेटी की आवाज वापस लाने की इच्छा लेकर भक्त पहुंच रहे हैं। इन्हीं में से एक महिला जिसका नाम रीता सरोज है, जौनपुर से वह पहली बार कांवड़ लेकर वाराणसी से 80 किलोमीटर दूर जौनपुर के नौपेड़वा के साईंनाथ मंदिर जा रही हैं। पति मुंबई में होने के कारण वह खुद ही कांवड़ उठा कर मंदिर जा रही है। रीता ने बताया कि उसके पति ने 4 बार कांवड़ उठाया है। छोटी बेटी के गूंगी है और इसलिए रीता इस बार कांवड़ लेकर भगवान भोले के पास पहुंच गई है। रीता को भरोसा है कि भगवान भोले उसकी मनोकामना जरूर पूरी करेंगे और उसकी बेटी की आवाज वापस आ जाएगी।

9 साल की उम्र से उठा रही कांवड़
इन सबके बीच 12 साल की मैना चौधरी अपनी जिंदगी में तीसरी बार कांवड़ लेकर जा रही हैं। मैना भोले बाबा से केवल एक चीज ही मांगना चाहती है और वो है पढ़ाई। मैना ने कहा कि, भोलेनाथ मुझे क्लास टॉपर बना दे। वहीं एक कांवड़ 12वीं क्लास की छात्रा भी है जो अपने पिता के साथ 130 किलोमीटर चलकर बाबा के पास पहुंच रही है। इसका नाम महिमा तिवारी है और उसे शिव जी पर पूरा भरोसा है और बिना कोई थकान महसूस किए महिमा ने अगले साल दोबोरा कांवड़ में जाने का फैसला किया है।

100 साल की ओंकारी 100 किलोमीटर पैदल चली
मेरठ के मवाना की ओंकारी देवी 30 सालों से कांवड़ लेकर जा रही हैं। 100 साल की उम्र में वह 100 किलोमीटर पैदल चली। ओंकारी को बाबा से कुछ नहीं चाहिए, उन्हें शिव जी ने सबकुछ दिया और यहीं कारण है कि आज वह परिवार की चौथी पीढ़ी भी देख पा रही हैं।

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