Shaurya Path: India-Pakistan, Arunachal, Israel-Hamas और Russia-Ukraine से जुड़े मुद्दों पर चर्चा

Shaurya Path
Prabhasakshi
अंकित सिंह । Apr 11 2024 6:02PM

रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर उन्होंने कहा कि अभी यह लंबा चलेगा। अमेरिका जहां भी युद्ध में रहा है, वह लंबा चला है। उन्होंने कहा कि यूक्रेन की स्थिति लगातार खराब होती दिखाई दे रही है। यूक्रेन एनर्जी का एक्सपोर्टर था लेकिन अब स्थिति ऐसी है कि उसे एनर्जी इंपोर्ट करना पड़ रहा है। रूस लगातार आगे बढ़ रहा है। खारकीव और डोनास्क में उसका हमला जारी है। ब्रिगेडियर त्रिपाठी ने कहा कि रूस ने खुद को हर जगह पर मजबूत किया है। ऐसे में वह पीछे हटेगा, इसकी कल्पना करना भी मुश्किल है।

प्रभासाक्षी के खास कार्यक्रम शौर्य पथ में इस बार भी हमने विश्व के अलग-अलग युद्धों और चुनौतियों पर चर्चा की है। हमेशा की तरह इस कार्यक्रम में मौजूद रहे ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी। हमने रूस-यूक्रेन लड़ाई को लेकर अमेरिका और यूरोपीय यूनियन में मची उथल-पुथल पर चर्चा की। तो साथ ही साथ इजरायल और हमास की लड़ाई में आए रोचक मोड़ पर भी ब्रिगेडियर त्रिपाठी से सवाल पूछा। हालांकि, इस सप्ताह गार्जियन अखबार में जो पाकिस्तान में 20 आतंकवादी के मारे जाने की खबर छपी, उस पर भी हमने ब्रिगेडियर साहब से सवाल पूछा और यह जानने की कोशिश की कि जिस तरीके से दावा किया गया है कि इसमें भारत का हाथ हो सकता है, इसमें कितनी सच्चाई है। चुनावी मौसम है, ऐसे में भारत और चीन के बीच लगातार लगातार वार-पलटवार का दौर देखने को मिल रहा है। चीन अरुणाचल प्रदेश के 30 जगहों का नाम बदल चुका है जबकि भारत इस पर आपत्ति जता रहा है। इसको लेकर भी हमने ब्रिगेडियर त्रिपाठी से सवाल पूछा। 

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1 अमेरिका और यूरोपीय यूनियन में रूस-यूक्रेन लड़ाई लेकर के एक उथल-पुथल मची हुई है और घबराहट भी है। रूस आगे बढ़ता जा रहा है पीछे हटने का या बातचीत के रास्ते पर आने का भी नाम नहीं ले रहा है। वह तो यूरोपीय यूनियन और अमेरिका को भी धमका रहा है। यूक्रेन को और सहायता देने पर अमेरिका के अंदर और यूरोपीय यूनियन के भी देश विभाजित है। अमेरिकी चुनाव में प्रयास लगाए जा रहे हैं कि अगर ट्रंप जीत गए तो जैसे वह कहते हैं कि एक दिन में ही लड़ाई खत्म कर देंगे। अगर ऐसी हालत हुई तो यूक्रेन को मजबूर होना पड़ेगा अपनी कुछ हिस्सा रूस को देने के लिए। क्या भारत और विश्व व्यवस्था में इसका फर्क पड़ेगा?

- रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर उन्होंने कहा कि अभी यह लंबा चलेगा। अमेरिका जहां भी युद्ध में रहा है, वह लंबा चला है। उन्होंने कहा कि यूक्रेन की स्थिति लगातार खराब होती दिखाई दे रही है। यूक्रेन एनर्जी का एक्सपोर्टर था लेकिन अब स्थिति ऐसी है कि उसे एनर्जी इंपोर्ट करना पड़ रहा है। रूस लगातार आगे बढ़ रहा है। खारकीव और डोनास्क में उसका हमला जारी है। ब्रिगेडियर त्रिपाठी ने कहा कि रूस ने खुद को हर जगह पर मजबूत किया है। ऐसे में वह पीछे हटेगा, इसकी कल्पना करना भी मुश्किल है। अब यूक्रेन को हथियारों के मामले में छोटी-मोटी मदद मिल रही है। यूक्रेन की चुनौतियां लगातार बढ़ती हुई दिखाई दे रही हैं। हालांकि, यूक्रेन भी अपने शर्तों के आधार पर बातचीत करना चाह रहा है जोकि रूस तैयार नहीं हो रहा है। 

ब्रिगेडियर त्रिपाठी ने कहा कि 50% यूक्रेन लगभग खत्म हो चुका है। उन्होंने कहा कि रूस का यूक्रेन से कोई लेना देना नहीं। यूक्रेन के जरिए रूस अमेरिका और नाटो को संदेश देने की कोशिश कर रहा है। रूस की नीति अमेरिका और नाटो को थकाने की है। साथ ही साथ रूस इन्हें धमकी भी देने की कोशिश में है। मिडिल ईस्ट में भी हम देख रहे हैं कि रूस किस तरीके से इंवॉल्व हो रहा है। इसका मतलब साफ है कि वह अमेरिका को हर जगह चुनौती पेश करने की कोशिश में है। रूस अपनी पकड़ को मजबूत कर रहा है। इतने बैन के बावजूद भी रूस पर कुछ खास असर नहीं पड़ा है। उन्होंने कहा कि रूस और यूक्रेन की लड़ाई से यह तो साफ हो गया कि पश्चिम कमजोर हुआ है। रूस इस तरह की लड़ाई 7 से 10 साल तक लड़ सकता है। रूस के सामने अमेरिका और नाटो फेल हुए हैं। यह लड़ाई को नहीं रोक पा रहे हैं जबकि रूस डर पैदा करने में कामयाब हुआ है। उन्होंने कहा कि नाटो का खर्च लगातार बढ़ रहा है। 

ट्रंप को लेकर पूछे गए सवाल पर ब्रिगेडियर त्रिपाठी ने कहा कि हां, हम सभी को पता है कि ट्रंप की नीति क्या हो सकती है। ट्रंप यूक्रेन को कुर्बान करने के लिए मजबूर कर सकते हैं। ऐसे में यह दुनिया के लिए गलत स्थिति को पैदा कर सकता है। उन्होंने कहा कि अब सिर्फ युद्ध ही नहीं होता बल्कि इकोनामी वॉरफेयर भी चलता है। रूस यूक्रेन लड़ाई में संयुक्त राष्ट्र और उसके जितने भी संघ है, वह भी पूरी तरीके से फेल हुए हैं। यही कारण है कि भारत लगातार आत्मनिर्भर होने की बात करता है। भारत को पता है की आत्मनिर्भरता आज के समय में कितनी जरूरी है। 

2 गार्जियन अखबार के एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि पाकिस्तान में पिछले कुछ समय में तकरीबन 20 आतंकवादी मारे गए हैं जिसमें भारत की खुफिया एजेंसी रॉ का हाथ है। हालांकि ऐसी कोई शिकायत पाकिस्तान ने अभी तक नहीं की है। क्या यह भारत की छवि खराब करने की एक चेष्टा मात्र है?

- इस सवाल पर ब्रिगेडियर त्रिपाठी ने कहा कि देश की जनता तो हमेशा से कह रही है कि घर में घुसकर मारने की जरूरत है। आज उन्हें देखने को मिल रहा है। लेकिन गार्जियन में जिस तरीके का रिपोर्ट छपा है, उस पर कई सवाल भी उठ रहे हैं। आखिर उन्हें यह जानकारी कहां से मिली, किसने इसे वेरीफाई किया है। इलेक्शन के समय ही इसे क्यों लाया गया है। उन्होंने कहा कि यह बात सही है कि पुलवामा के बाद भारत की नीति में बदलाव हुआ है। भारत आक्रामक तौर पर आतंकवादियों को जवाब देने की कोशिश में लगा हुआ है। भारत को अगर इस तरह के की चीज करनी होगी तो वह कभी ऐसा बोलेगा नहीं। उन्होंने कहा कि जैसा की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि गल्फ देश के जरिए इस घटना को अंजाम दिया गया है तो ऐसे में भारत का कहां रोल है। सवाल तो गल्फ देश से होनी चाहिए थी। इस तरीके के दावे को लेकर सबूत पेश करने होंगे। हालांकि गार्जियन ने यह बात स्वीकार किया है कि वह सभी 20 आतंकवादी थे। इसका मतलब साफ है कि वह भी मान रहा है कि पाकिस्तान में आतंकवादी रहते हैं। उन्होंने कहा कि अगर यह रिपोर्ट सही है तो यह भारत के लिए अच्छी खबर है। भारत की ताकत दुनिया को दिखाई पड़ रही है। 

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3. चीन बार-बार अरुणाचल प्रदेश को अपना हिस्सा बताता रहा है और अभी हाल में उसने 30 जगहों के नाम मंडारिन में कर दिया है। इसके क्या मायने निकलते हैं और भारत को क्या करना चाहिए। क्या यह भी विश्व व्यवस्था पर असर डालेगा।

- उन्होंने कहा कि अरुणाचल का मुद्दा चीन लगातार उठता रहता है। लेकिन इलेक्शन टाइम पर लगातार उसकी ओर से ऐसा किया जा रहा है, ऐसे में कई तरह के सवाल भी उठ रहे हैं। ब्रिगेडियर त्रिपाठी ने कहा कि अरूणाचल के लिए चीन कई प्लान तैयार कर रहा है जिसे हमें समय-समय पर डिकोड करना होगा और इसके लिए तैयारी भी करनी होगी। उन्होंने कहा कि भारत और चीन के बॉर्डर पर कई जगह अपने-अपने दावे हैं। ऐसे में बातचीत के जरिए इसे हल निकालने की कोशिश करनी चाहिए। हालांकि चीन बातचीत के मंच पर कुछ और कहता है लेकिन उसकी करने कुछ और होती है। उन्होंने कहा कि अरुणाचल को लेकर चीन कुछ भी नया नहीं कर रहा है। वह बार-बार इस तरीके की बातें को रिपीट करता है। लेकिन इस बार लगातार कर रहा है। उन्होंने कहा कि कई देशों के साथ मसल पावर का इस्तेमाल कर चीन ने बॉर्डर का मुद्दा सुलझाया है। लेकिन भारत और भूटान के साथ वह अब तक ऐसा नहीं कर सका है। चीन अब मानचित्र की लड़ाई कर रहा है। ऐसे में चीन की चाल को भारत भी समझ रहा है। यही कारण है कि चीन को गलवान और डोथलाम में भारत की ओर से जबरदस्त तरीके से जवाब दिया गया है। आज के समय में डिप्लोमेसी विद मिलिट्री की बहुत ज्यादा जरूरत है। उन्होंने कहा कि अरुणाचल को लेकर चीन आग को सुलगाए रखना चाहता है। लेकिन चीन पर कोई भरोसा नहीं कर सकता। उन्होंने कहा कि भारत भी इंफ्रास्ट्रक्चर के मामले में आगे बढ़ रहा है। चीन की चुनौतियों के लिए तैयार हो रहा है। 

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4. इजराइल और हमास की लड़ाई में भी रोचक मोड़ आ रहा है। अमेरिका और कई देश नेतन्याहू के खिलाफ हो गए हैं खासकर गाजा में मानव त्रासदी को लेकर। जो बिडेन ने नेतन्याहू को वार्निंग भी दे दी है कि वह अपना इरादा बदलें और युद्ध विराम की प्रक्रिया तेज करें। इसे कैसे देखते हैं आप।

- इजराइल और हमास की लड़ाई अब पूरे विश्व को प्रभावित कर रहा है। इसमें कोई दो राय नहीं है। ब्रिगेडियर त्रिपाठी ने कहा कि नेतन्याहू राफा को लेकर अपनी अलग सोच रखते हैं। लेकिन कहीं ना कहीं उन्हें अब विरोध का भी सामना करना पड़ रहा है। इजराइल के लोग ही अब चुनाव की मांग कर रहे हैं। लेकिन नेतन्याहू भी यह समझते हैं कि अगर वह इस युद्ध को रोकते हैं तो उनके लिए मुश्किलें और भी बढ़ सकती हैं। इजराइल होस्टेस को लेकर भी कुछ समाधान अब तक ढूंढने में नाकाम रहा है। जिस तरीके से इजराइल के हमले में मानव त्रासदी हुई है, उसकी वजह से अमेरिका भी अब उसके खिलाफ होता दिखाई दे रहा है। तभी तो अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन ने नेतन्याहू को खड़े शब्दों में चेतावनी दे दी है। इजराइल पर अब पूरी तरीके से सीजफायर करने का प्रेशर बना रहा है। इजराइल-हमास लड़ाई को लेकर पूरी दुनिया अलग-अलग हिस्सों में बटती हुई दिखाई दे रही है। 

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