Shaurya Path: Ajit Doval Israel Visit, Israel-Hamas Conflict, Russia-Ukraine War, China, Maldives-Turkiye संबंधी मुद्दों पर Brigadier Tripathi से वार्ता

Brigadier DS Tripathi
Prabhasakshi

ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने एक सवाल के जवाब में कहा कि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने तो यह तक ऐलान कर दिया है कि अगर उनके देश की संप्रभुता या स्वतंत्रता को कोई खतरा होता है तो वह परमाणु हथियारों का इस्तेमाल करने के लिए तैयार है।

प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क के खास कार्यक्रम शौर्य पथ में इस सप्ताह एनएसए अजित डोभाल की इजराइल यात्रा, इजराइल-हमास संघर्ष, रूस-यूक्रेन युद्ध के ताजा हालात, चीन में चल रही उठापटक और मालदीव की नयी पैंतरेबाजी से जुड़े मुद्दों पर ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) के साथ चर्चा की गयी। पेश है विस्तृत साक्षात्कार- 

प्रश्न-1. एनएसए अजित डोभाल इजराइल होकर आये, क्या आपको लगता है कि संघर्षविराम कराने के प्रयासों में भारत भी शामिल है? अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडन ने भी जल्द ही इजराइल और हमास के बीच संघर्षविराम कराने के संकेत दिये हैं। इसे कैसे देखते हैं आप?

उत्तर- राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल का इजराइल दौरा काफी महत्वपूर्ण था और इसकी भूमिका काफी समय से बनाई जा रही थी। उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने कई मोर्चों पर काम संभाला हुआ है। विदेश मंत्री एस. जयशंकर यूएई, ईरान, मिस्र तथा कई अन्य देशों की यात्रा पर होकर आये और इजराइल-हमास संघर्ष से उपजी परिस्थितियों पर चर्चा कर मुद्दे के समाधान के उपाय तलाशे। इसके अलावा अजित डोभाल को इजराइल भेजना एक तरह से प्रधानमंत्री के दूत को भेजना है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी और इजराइली प्रधानमंत्री की दोस्ती जगजाहिर है। 7 अक्टूबर को युद्ध शुरू होने के बाद से दोनों नेताओं के बीच कई बार बातचीत भी हो चुकी है। हमास के हमले की प्रधानमंत्री मोदी ने निंदा करते हुए उसे आतंकवादी कृत्य बताया था। भारत सरकार कहती रही है कि इस समस्या का समाधान दो-राष्ट्र के सिद्धांत से ही संभव है। उन्होंने कहा कि अजित डोभाल ने आतंकवाद के प्रति भारत की कतई बर्दाश्त नहीं करने की नीति के परिणामों से इजराइल को अवगत कराया होगा साथ ही उन्होंने गाजा के हालात को लेकर भी अपनी चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि यह तो समाचारों में आया भी है कि डोभाल ने इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू से मुलाकात कर भीषण खाद्य संकट से जूझ रहे गाजा में मानवीय सहायता की आपूर्ति की समस्या को सुलझाने की तत्काल आवश्यकता और क्षेत्रीय घटनाक्रम पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि आप देखिये कि डोभाल के इजराइल दौरे के बाद गाजा में मानवीय सहायता वाले ट्रकों को प्रवेश की अनुमति मिलने लगी है। रमजान के दिनों में तो यह और भी नेक काम माना जाएगा। 

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ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि इस मुलाकात के बाद इजराइल के प्रधानमंत्री के आधिकारिक हैंडल से की गई पोस्ट में लिखा गया है कि प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने भारतीय राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल से आज मुलाकात की और उन्हें गाजा पट्टी में जारी युद्ध से जुड़े हालिया घटनाक्रम की जानकारी दी। पोस्ट में कहा गया है कि दोनों पक्षों ने बंधकों को छुड़ाने के प्रयास और मानवीय सहायता के मुद्दे पर भी चर्चा की। उन्होंने कहा कि इजराइल-हमास संघर्ष के कारण पैदा हुआ मानवीय संकट लगातार गहराता जा रहा है। संयुक्त राष्ट्र ने भी कहा है कि गाजा पट्टी में कम से कम 5,76,000 लोग यानी कुल आबादी का एक-चौथाई हिस्सा खाद्य संकट से जूझ रहा है। उन्होंने कहा कि डोभाल ने अपने इजराइली समकक्ष तजाखी हानेग्बी से भी मुलाकात की, जो नेतन्याहू के साथ उनकी बैठक के दौरान भी मौजूद थे।

ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी संयुक्त अरब अमीरात, कतर, सऊदी अरब, मिस्र और जॉर्डन जैसे क्षेत्र के महत्वपूर्ण देशों के नेताओं के साथ लगातार संपर्क में बने हुए हैं और क्षेत्र में शांति एवं स्थिरता को बढ़ावा देने के लिए चर्चा में सक्रिय रूप से शामिल हैं। उन्होंने कहा कि भारत ने गाजा में फलस्तीनी आबादी को जरूरी वस्तुओं की खेप भेजकर आवश्यक मानवीय सहायता प्रदान करने के प्रयासों में मदद की है। उन्होंने कहा कि हमास के नेतृत्व वाले आतंकवादियों ने दक्षिणी इजराइल पर सात अक्टूबर, 2023 को हमला कर दिया था जिसमें करीब 1,200 लोगों की मौत हो गई थी और उसने 250 लोगों को बंधक बना लिया था। हमास की कैद में अब भी करीब 100 बंधकों के होने का अनुमान है। उन्होंने कहा कि हमास के हमले के बाद इजराइल ने भी जवाबी कार्रवाई की जिसके कारण युद्ध शुरू हो गया। गाजा में इजराइल के हमलों में 30,000 से अधिक फलस्तीनियों के मारे जाने का अनुमान है। उन्होंने कहा कि समय आ गया है जब यह संघर्ष रुकना चाहिए लेकिन इसके आसार नहीं दिख रहे हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति और कई अन्य पश्चिमी देश ऐलान तो बड़े-बड़े कर रहे हैं लेकिन घरेलू राजनीति में फंसे होने के कारण कोई इस समस्या का समाधान नहीं निकाल पा रहा है। उन्होंने कहा कि फिलहाल राहत की बात यह है कि कुछ सहायता सामग्री से भरे ट्रकों को गाजा में प्रवेश दिया जा रहा है।

प्रश्न-2. रमजान में इजराइल ने अल अक्सा मस्जिद तक जाने पर रोकटोक लगाई है क्या इसका विपरीत असर हो सकता है? लेबनान से हिज्बुल्ला ने भी इजराइल पर हमले बढ़ा दिये हैं। इसे कैसे देखते हैं आप?

उत्तर- इजराइल के सामने मुश्किल यह है कि जब तक बंधक संकट का हल नहीं हो जाता तब तक वह फिलस्तीनियों को कोई भी रियायत देगा तो उसको अपने यहां विरोध प्रदर्शनों का सामना करना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि लेकिन अल अक्सा मस्जिद मुसलमानों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। यदि उनको वहां जाने से रोका जाता है तो इसका विपरीत असर हो सकता है और मुस्लिम देशों में इजराइल के प्रति और नाराजगी बढ़ सकती है। उन्होंने कहा कि जहां तक हिज्बुल्ला की बात है तो वह इस समय वही करता दिख रहा है जो उसे ईरान की ओर से कहा जा रहा है। उन्होंने कहा कि इजराइल की ओर से हिज्बुल्ला के हर वार पर करारा पलटवार किया जा रहा है इसलिए उसे किसी चुनौती के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए।

प्रश्न-3. रूस-यूक्रेन युद्ध के ताजा हालात क्या हैं? क्या रूसी राष्ट्रपति चुनाव में व्लादिमीर पुतिन की एक और शानदार जीत यूक्रेन पर अत्याचार बढ़ायेगी?

उत्तर- यूक्रेन युद्ध में लगातार पिछड़ता जा रहा है। खासकर रूसी चुनाव के दौरान जिस तरह यूक्रेन के कब्जाये गये इलाकों में भी चुनाव कराये गये वह सरासर अंतरराष्ट्रीय नियमों का उल्लंघन है। लेकिन अपने इस कदम से पुतिन ने दुनिया को संदेश दे दिया है कि वह रुकने या झुकने वाले नहीं हैं और अपने लक्ष्य को हासिल करके रहेंगे।

ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि यही नहीं रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने तो यह तक ऐलान कर दिया है कि अगर उनके देश की संप्रभुता या स्वतंत्रता को कोई खतरा होता है तो वह परमाणु हथियारों का इस्तेमाल करने के लिए तैयार है। उन्होंने कहा कि पुतिन ने कहा है कि उन्हें उम्मीद है कि अमेरिका किसी भी ऐसे तनाव से बचेगा जो परमाणु युद्ध को जन्म दे सकता है, लेकिन उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि रूस के परमाणु बल इसके लिए तैयार हैं। उन्होंने कहा कि जब एक साक्षात्कार में पुतिन से पूछा गया कि क्या कभी उन्होंने यूक्रेन में युद्धक्षेत्र में परमाणु हथियारों का उपयोग करने पर विचार किया है, पुतिन ने जवाब दिया कि इसकी कोई आवश्यकता नहीं पड़ी। उन्होंने कहा कि इस साक्षात्कार में पुतिन ने यह विश्वास भी जताया कि मॉस्को यूक्रेन में अपने लक्ष्यों को हासिल करेगा और उन्होंने बातचीत के लिए दरवाजे खुले होने की बात कही, साथ ही उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि किसी भी समझौते के लिए पश्चिम से पक्की गारंटी की आवश्यकता होगी।

ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि इसके अलावा जहां तक युद्धक्षेत्र की बात है तो ताजा अपडेट यह है कि रूसी रक्षा मंत्रालय ने टेलीग्राम मैसेजिंग ऐप पर कहा कि उसने गुरुवार को बेलगोरोड में घुसपैठ के एक और प्रयास को विफल कर दिया, लेकिन फ्रीडम ऑफ रशिया लीजन ने कहा कि हमले तब तक जारी रहेंगे जब तक कि क्षेत्र "पुतिन शासन के सैनिकों से पूरी तरह से मुक्त नहीं हो जाता।" उन्होंने कहा कि एक आवासीय क्षेत्र पर रूसी मिसाइल हमले के बाद ओडेसा के दक्षिणी यूक्रेन में मरने वालों की संख्या बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि इस हमले में अब तक 20 से ज्यादा लोगों के मरने की खबर आ चुकी है। उन्होंने कहा कि इसके अलावा, कीव की वायु सेना ने दावा किया है कि यूक्रेन ने भी शुक्रवार सुबह राजधानी सहित देश भर के सात क्षेत्रों में 27 ईरानी निर्मित ड्रोनों को मार गिराया।

प्रश्न-4. चीन के शीर्ष जनरल ने चीनी सेना में फर्जी युद्ध क्षमताओं पर कार्रवाई की अपील की है, इसके अलावा चीनी संसद ने प्रधानमंत्री के अधिकारों को कम कर दिया है। इसे कैसे देखते हैं आप?

उत्तर- यह काफी महत्वपूर्ण है कि चीन के एक शीर्ष सैन्य अधिकारी ने ‘जन मुक्ति सेना’ (पीएलए) की बहु-प्रचारित ‘वास्तविक युद्ध अभ्यास’ की ‘फर्जी युद्ध क्षमताओं’ पर ऐसे समय में आशंका जताई है, जब राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने इसे युद्ध जीतने के लिए ‘समुद्री सैन्य संघर्ष’ के वास्ते तैयार होने का आदेश दिया है। उन्होंने कहा कि चीन के शक्तिशाली केंद्रीय सैन्य आयोग (सीएमसी) के उपाध्यक्ष जनरल हे वेइदोंग की यह टिप्पणी पीएलए के एक प्रतिनिधिमंडल के साथ चर्चा के दौरान आई। उन्होंने कहा कि सीएमसी, शी जिनपिंग के नेतृत्व वाले तीनों सशस्त्र बलों का संपूर्ण उच्च कमान है। उन्होंने कहा कि जनरल हे ने सेना की ‘फर्जी युद्ध क्षमताओं’ पर कार्रवाई करने की अपील की है। उन्होंने कहा कि सैन्य विश्लेषकों का कहना है कि शी जिनपिंग द्वारा हाल में की गई कार्रवाई की पृष्ठभूमि में एक शीर्ष अधिकारी की टिप्पणी, इस अभ्यास की प्रमाणिकता पर सवाल उठाती है।

ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि हांगकांग से प्रकाशित होने वाले ‘साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट’ अखबार ने अपनी खबर में कहा है कि 2012-13 में सत्ता संभालने के बाद से शी ने ‘रियल टाइम’ युद्ध अभ्यासों और उपकरणों की गुणवत्ता पर जोर दिया था। उन्होंने याद दिलाया कि शी ने पिछले साल रक्षा मंत्री ली शांगफु को बर्खास्त कर दिया था। उनके अलावा सेना के नौ अन्य वरिष्ठ जनरल को हटाया गया था जिनमें से कई मुख्य रॉकेट फोर्स से थे जो देश की मिसाइलों का संचालन करता है। उन्होंने कहा कि शी जिनपिंग ने जब से सत्ता संभाली है, चीन की सेना सभी स्तरों पर अपने युद्ध कौशल का परीक्षण करने के लिए सेनाओं को दो समूहों में विभाजित कर एक साथ दोनों का अभ्यास करा रही है। उन्होंने कहा कि विश्लेषकों का कहना है कि चीन में तीसरे नंबर के सैन्य अधिकारी जनरल हे का संदेश ‘संक्षिप्त और अस्पष्ट’ है, लेकिन इसका संबंध त्रुटिपूर्ण उपकरणों की खरीद से भी हो सकता है।

ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि ताइवान, विवादित दक्षिण चीन सागर क्षेत्र के साथ-साथ भारत से लगी सीमा पर तनाव और अमेरिका के साथ बढ़ती प्रतिद्वंद्विता के बीच, अपनी सेना के बड़े पैमाने पर आधुनिकीकरण को जारी रखते हुए चीन की सरकार ने इस सप्ताह की शुरुआत में रक्षा बजट को 7.2 प्रतिशत बढ़ाकर 232 अरब अमेरिकी डॉलर कर दिया था। उन्होंने कहा कि जहां तक चीनी सैन्य अधिकारी के बयान की बात है तो ऐसा लगता है कि वह आंशिक रूप से त्रुटिपूर्ण हथियारों की खरीद का जिक्र कर रहे हैं, जो सेना की युद्ध क्षमताओं को प्रभावित कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि हथियार और उपकरण तकनीकी मानकों के अनुरूप होने चाहिए। इसलिए, जालसाजी का उनके कार्य करने के तरीके पर निश्चित रूप से प्रभाव पड़ेगा। उन्होंने कहा कि अपनी ओर से, शी ने सशस्त्र बलों के उच्च प्रौद्योगिकी एकीकरण की अपील की है, जो संयुक्त अभियानों के लिए महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि सरकारी समाचार एजेंसी शिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, शी ने पीएलए को ‘‘समुद्री सैन्य संघर्ष’’ के लिए तैयार रहने और समुद्री अधिकारों की रक्षा करने का भी आदेश दिया है।

ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि जहां तक प्रधानमंत्री के अधिकार कम करके उन अधिकारों को पार्टी को दिये जाने की बात है तो यह सीधे-सीधे शी जिनपिंग की शक्तियों को बढ़ाने जैसा है क्योंकि कम्युनिस्ट पार्टी के मुखिया भी वही हैं। 

प्रश्न-5. मालदीव ने भारत के असैन्य बल को वापस भेजने के निर्णय के बाद चीन के साथ नये रक्षा करार कर लिये हैं और समुद्री क्षेत्र में गश्त के लिए तुर्किये से ड्रोन खरीदे हैं इसे कैसे देखते हैं आप?

उत्तर- मालदीव ने देश के समुद्री क्षेत्र में गश्त करने के लिए तुर्किये से ड्रोन खरीदे हैं। उन्होंने कहा कि यह जानकारी ऐसे समय में सामने आई है जब चीन ने मालदीव के साथ द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ावा देने के लिए मुफ्त सैन्य सहायता प्रदान करने के वास्ते मालदीव के साथ कुछ दिन पहले ही एक रक्षा सहयोग समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। उन्होंने कहा कि रिपोर्ट में कहा गया है कि खरीदे गए ड्रोन की सही संख्या स्पष्ट नहीं है और न ही मालदीव के रक्षा मंत्रालय या विदेश मंत्रालय की ओर से इस संबंध में कोई आधिकारिक पुष्टि की गई है। उन्होंने कहा कि बताया जा रहा है कि ड्रोन फिलहाल नूनू माफारू अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर हैं।

ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि चीन के साथ ही तुर्किये की ओर झुक रहा मालदीव दरअसल भारत को यह दर्शा रहा है कि वह उससे दूर जा रहा है। उन्होंने कहा कि तुर्किये का भारत के प्रति रुख जगजाहिर है। ऐसे में हाल के वर्षों में यह देखने को मिला है कि जब भी तुर्किये को ऐसा लगता है कि किसी देश के संबंध भारत के साथ खराब हो रहे हैं या तनावपूर्ण चल रहे हैं तो वह उसको लुभाने का प्रयास करता रहता है। भारत से नाराज चल रहे देश को तुर्किये मदद का ऑफर करता है या कोई अन्य लोक लुभावन प्रस्ताव देता है ताकि वह भारत से और दूर हो। उन्होंने कहा कि भारत यह सब समझता है इसलिए हमेशा सतर्क रहता है।

ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि इसके अलावा एक और महत्वपूर्ण बात यह है कि मालदीव के रक्षा बल ने कहा है कि भारत द्वारा दिए गए हेलीकॉप्टर और उसका परिचालन करने वाले असैन्य चालक दल पर मालदीव का संचालन अधिकार होगा। उन्होंने कहा कि मालदीव राष्ट्रीय रक्षा बल (एमएनडीएफ) के लिए योजना, नीति और संसाधन प्रबंधन के प्रधान निदेशक कर्नल अहमद मुजुथाबा मोहम्मद ने कहा है कि कि मालदीव से भारतीय सैनिकों की वापसी कराना सरकार की बड़ी सफलता है। उन्होंने कहा कि एक तरह से देखें तो राष्ट्रपति मुइज्जू ने अपना चुनावी वादा निभा कर देश की राजनीति में अपना रुतबा तो बढ़ा लिया है लेकिन उनके अड़ियल रुख और चीन के करीब जाने के दुष्परिणाम मालदीव में दिखने लगे हैं। उन्होंने कहा कि जिस तरह माले के मेयर चुनाव में राष्ट्रपति की पार्टी को करारा झटका लगा वह दर्शाता है कि जनता के मन में नाराजगी बढ़ती जा रही है।

ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि इसके अलावा भारतीय विदेश मंत्रालय ने जानकारी दी है कि मालदीव में भारतीय कर्मियों के पहले बैच को तकनीकी कर्मियों से बदल दिया गया है। उन्होंने कहा कि विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जयसवाल ने साप्ताहिक ब्रीफिंग में बताया है कि एएलएच हेलीकॉप्टर का संचालन करने वाले कर्मियों की पहली टीम का बदलाव पूरा हो चुका है। इसलिए, जिस पहले बैच को बदला जाना था वह पूरा हो गया है।

ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि लेकिन भारत को नाराज करना अब मालदीव को भारी पड़ने लगा है। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ महीनों में द्वीप देश में आने वाले भारतीय पर्यटकों की संख्या में काफी गिरावट आई है। भारतीय पर्यटक, जो मालदीव में आते थे, अब द्वीप राष्ट्र से दूर जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि भारत 2023 में पर्यटक संख्या में शीर्ष पर रहने की तुलना में 2024 में छठे स्थान पर खिसक गया है। उन्होंने कहा कि स्थानीय पर्यटन उद्योग इस स्थिति के लिए सत्तारुढ़ सरकार को जिम्मेदार ठहरा रहा है। उन्होंने कहा कि अभी तो यह साल शुरू ही हुआ है जल्द ही भारतीयों की दूरी का असर वहां की अर्थव्यवस्था पर दिखने लगेगा जिससे वहां की सरकार अपने आप दबाव में आ जायेगी। उन्होंने कहा कि हमें मालदीव के विपक्ष को कमजोर नहीं समझना चाहिए और चूंकि वह भारत समर्थक हैं इसलिए उम्मीद की जा सकती है कि वहां जल्द ही हालात बदलेंगे।

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