शराब पीकर सेना का ट्रक चलाना बेहद गंभीर कदाचार, ऐसी अनुशासनहीनता बर्दाश्त योग्य नहीं : न्यायालय

Supreme Court

शीर्ष अदालत एक पीएसी चालक (अब मृत) की एक अपील पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें अनुशासनात्मक प्राधिकारी द्वारा पारित बर्खास्तगी के आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसने उसे शराब के प्रभाव में दुर्घटना के लिए दोषी ठहराया था।

नयी दिल्ली|  उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि प्रांतीय सशस्त्र बल (पीएसी) के जवानों को ले जा रहे ट्रक में शराब के नशे में गाड़ी चलाना एक बहुत ही गंभीर कदाचार है और इस तरह की अनुशासनहीनता को अनुशासित बल में बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है।

न्यायमूर्ति एम आर शाह और न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना की पीठ ने कहा कि केवल इसलिए कि कोई बड़ा नुकसान नहीं हुआ था और यह एक छोटी सी दुर्घटना थी,नरमी दिखाने का आधार नहीं हो सकता।

पीठ ने कहा, “यह संयोग की बात थी कि यह गंभीर दुर्घटना नहीं थी। यह दुर्घटना गंभीर हो सकती थी। जब कर्मचारी पीएसी कर्मियों को लेकर ट्रक चला रहा था, तो ट्रक में यात्रा कर रहे पीएसी कर्मियों की जिंदगी उसके हाथों में थी। इसलिए, यह कहा जा सकता है कि उसने उन पीएसी कर्मियों के जीवन के साथ खिलवाड़ किया, जो ड्यूटी पर थे और कुंभ मेला ड्यूटी पर फतेहपुर से इलाहाबाद की यात्रा कर रहे थे।”

शीर्ष अदालत एक पीएसी चालक (अब मृत) की एक अपील पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें अनुशासनात्मक प्राधिकारी द्वारा पारित बर्खास्तगी के आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसने उसे शराब के प्रभाव में दुर्घटना के लिए दोषी ठहराया था। शीर्ष अदालत ने आगे कहा कि वैसे भी शराब के नशे में वाहन चलाना न केवल कदाचार है बल्कि अपराध भी है।

पीठ ने कहा, “किसी को भी शराब के नशे में वाहन चलाने की अनुमति नहीं दी जा सकती है। शराब के नशे में वाहन चलाने और दूसरों के जीवन के साथ खेलने का ऐसा कदाचार एक बहुत ही गंभीर मामला है। कर्मचारी द्वारा पूर्व में भी कदाचार किए गए थे।” शीर्ष अदालत ने कहा कि कर्मचारी के इस बयान पर विचार करते हुए, कि उसने दुर्घटना के बाद डर को दबाने के उद्देश्य से शराब का सेवन किया था, बर्खास्तगी की सजा को बहुत कठोर कहा जा सकता है और इसे अनिवार्य सेवानिवृत्ति के तौर पर माना जा सकता है।

न्यायालय ने कहा कि इन तथ्यों और कारणों तथा परिस्थितियों के मद्देनजर कर्मचारी की बर्खास्तगी की सजा को बहुत कठोर कहा जा सकता है, बर्खास्तगी की सजा को अनिवार्य सेवानिवृत्ति में परिवर्तित करने का निर्देश दिया जाता है।”

न्यायालय ने कहा कि चूंकि कर्मचारी का निधन हो चुका है और बर्खास्तगी की उसकी सजा अनिवार्य सेवानिवृत्ति में तब्दील कर दी गयी है। इसलिए अनिवार्य सेवानिवृत्ति के तथ्य को ध्यान में रखते हुए मृतक कर्मचारी के उत्तराधिकारियों को कानूनी प्रावधानों के अनुसार निधन एवं सेवानिवृत्ति के लाभ और परिवार पेंशन के लाभ का भुगतान किया जाएगा।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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