डीयू ने कार्यक्रमों में गुलदस्ते, स्मृति चिह्न दिए जाने पर रोक लगाई; अंगवस्त्रम, फलों की टोकरी की अनुमति दी

अधिसूचना में कहा गया है कि यह कदम डीयू के उस प्रयास का हिस्सा है, जिससे किसी भी स्मृति कार्यक्रम, सेमिनार, सम्मेलनों सहित शैक्षणिक आयोजनों के बाद संसाधनों की बचत हो सके।
दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) ने अपने कॉलेजों के विभिन्न कार्यक्रमों के लिए एक नया प्रोटोकॉल शुरू करते हुए फूलों के गुलदस्ते, स्मृति चिह्न और उपहार में दी जाने वाली अन्य वस्तुओं के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा दिया है। अनावश्यक व्यय पर अंकुश लगाने के लिए विश्वविद्यालय ने सुझाव दिया है कि आयोजक समारोह के दौरान केवल फूलों की माला, अंगवस्त्रम (स्टोल) या फलों की टोकरी ही भेंट करें।
यह अधिसूचना 26 सितंबर को जारी की गई। इसमें यह भी अनिवार्य किया गया है कि ऐसे आयोजनों में दिए जाने वाले फल सरकारी स्कूलों या अनाथालयों में वंचित बच्चों के बीच वितरित किए जाएं।
अधिसूचना के अनुसार, किसी गणमान्य/अतिथि के स्वागत या अभिनंदन के लिए फूलों के गुलदस्ते, स्मृति चिह्न या उपहार के तौर पर किसी अन्य वस्तु का उपयोग नहीं किया जाएगा।
आयोजक ऐसे अवसर पर गणमान्य/अतिथि के स्वागत या अभिनंदन के लिए फूलों की माला, अंगवस्त्रम और/या फलों की टोकरी का इस्तेमाल कर सकते हैं। इसमें कहा गया, आयोजकों की यह जिम्मेदारी होगी कि वे कार्यक्रम के बाद उपहार में दिए गए फलों को आस-पास के क्षेत्र के वंचित बच्चों में मुख्यत: किसी अनाथालय या सरकारी स्कूल में वितरित करें।
अधिसूचना में कहा गया है कि यह कदम डीयू के उस प्रयास का हिस्सा है, जिससे किसी भी स्मृति कार्यक्रम, सेमिनार, सम्मेलनों सहित शैक्षणिक आयोजनों के बाद संसाधनों की बचत हो सके। सभी विश्वविद्यालय, कॉलेजों और संबद्ध संस्थानों द्वारा इन उपायों को तत्काल लागू किया जाना है।
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