सपा मामले पर चुनाव आयोग में सुनवाई पूरी, फैसला सुरक्षित
चुनाव आयोग ने मुलायम सिंह यादव और उनके बेटे अखिलेश यादव के बीच समाजवादी पार्टी के चुनाव चिह्न को लेकर जारी जंग पर आज सुनवाई पूरी करने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया।
चुनाव आयोग ने समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव और उनके बेटे अखिलेश यादव के बीच पार्टी के चुनाव चिह्न को लेकर जारी जंग पर आज सुनवाई पूरी करने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया। सुनवाई साढ़े पांच घंटे तक चली। सुनवाई के बाद अखिलेश खेमे के वकील कपिल सिब्बल ने संवाददाताओं को बताया कि चुनाव आयोग ने दोनों पक्षों की बातें सुनी हैं और इस संबंध में जो भी फैसला आयोग की ओर से लिया जायेगा वह हमें मंजूर होगा।
उन्होंने बताया कि सुनवाई के दौरान अखिलेश यादव पक्ष ने यह दावा करते हुए अपने तर्क पेश किए कि ज्यादातर विधायक उनके साथ हैं। सुनवाई के प्रथम हिस्से के दौरान अखिलेश के खेमे का प्रतिनिधित्व करते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने दलील दी कि ज्यादातर सांसद, विधायक और विधान परिषद के सदस्यों के साथ ही सपा के प्रतिनिधि अखिलेश के साथ हैं।
सुनवाई दोबारा शुरू होने पर मुलायम खेमे ने अपने तर्क प्रस्तुत करते हुए कहा कि जिस सम्मेलन में अखिलेश को पार्टी प्रमुख नियुक्त किया गया था, वह सम्मेलन सपा के संविधान के खिलाफ था। कुछ मीडिया रिपोर्टों में यह दावा किया गया है कि मुलायम गुट चुनाव आयोग के सामने सुनवाई के दौरान झुक गया। सूत्रों से मिली खबर के अनुसार मुलायम सिंह यादव ने चुनाव आयोग से कहा कि यह हमारा अंदरूनी मामला है और मैं अब पार्टी का मार्गदर्शक हूँ।
अब चुनाव आयोग यदि 17 जनवरी से पहले इस मामले पर निर्णय करने में असमर्थ रहता है तो वह एक अंतरिम आदेश दे सकता है क्योंकि यूपी चुनावों के प्रथम चरण के लिए नामांकन पत्र दाखिल करने की प्रक्रिया उसी दिन शुरू होगी।
पिछले सप्ताह पार्टी के भीतर दो फाड़ होने के बाद मुलायम की अगुवाई और उनके बेटे अखिलेश की अगुवाई वाले खेमों ने चुनाव आयोग से संपर्क कर इस पार्टी और इसके चुनाव चिह्न पर दावा किया था। दोनों ही पक्षों ने अपने दावों के समर्थन में कुछ दस्तावेज भी सौंपे थे और आयोग ने पार्टी के नाम और चिह्न पर नियंत्रण के दावे के लिए विधायकों और पदाधिकारियों के हस्ताक्षर वाले हलफनामे उपलब्ध कराने के लिए के लिए सोमवार तक का समय दिया था। जिस भी पक्ष के पास ज्यादातर 50 प्रतिशत से अधिक सांसदों, विधायकों, विधान परिषद के सदस्यों और प्रतिनिधियों का समर्थन होगा, वह 25 वर्ष पहले स्थापित इस पार्टी पर नियंत्रण की लड़ाई में मजबूत स्थिति में होगा। यूपी में पहले चरण का चुनाव 11 फरवरी को है।
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