Electoral Bonds: न्यायालय ने दानदाताओं के नाम गुप्त रखे जाने के संबंध में सरकार की दलील खारिज की

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प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने कहा कि शीर्ष अदालत ने भारत में चुनावी प्रक्रिया की शुचिता पर धन के हानिकारक प्रभाव की ओर लगातार इशारा किया है।

उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को केंद्र की इस जोरदार दलील को खारिज कर दिया कि चुनावी बॉंड योजना के तहत दानदाताओं के नाम गुप्त रखे जाते हैं क्योंकि उन्हें अक्सर अन्य राजनीतिक दलों से प्रतिशोध की आशंका होती है।

न्यायालय ने कहा कि उपाय पारदर्शिता में है, न कि गोपनीयता में। न्यायमूर्ति संजीव खन्ना ने मामले में अपने अलग फैसले में कहा कि किसी राजनीतिक दल को अपनी पसंद से दान देने वाले किसी भी दानकर्ता के खिलाफ प्रतिशोध या उसका उत्पीड़न कानून और शक्ति का दुरुपयोग है जिसे रोकने और दुरुस्त करने की आवश्यकता है और योजना को गुप्ता बनाने को सही नहीं ठहराया जा सकता।

उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को राजनीतिक वित्तपोषण की चुनावी बॉंड व्यवस्था को असंवैधानिक करार देते हुए कहा कि लोकतंत्र चुनावों के साथ शुरू और समाप्त नहीं होता और सरकार के लोकतांत्रिक स्वरूप को बनाये रखने के लिए चुनाव प्रक्रिया की शुचिता महत्वपूर्ण है।

प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने कहा कि शीर्ष अदालत ने भारत में चुनावी प्रक्रिया की शुचिता पर धन के हानिकारक प्रभाव की ओर लगातार इशारा किया है।

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