आपातकाल देश के लोकतांत्रिक इतिहास का बदनुमा दौर: मुख्तार अब्बास नकवी

Emergency Day of the country bad democratic history: Mukhtar Abbas Naqvi
केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने आपातकाल के 43 साल पूरे होने पर आज कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि यह देश के लोकतांत्रिक इतिहास में बदनुमा दौर था।

नयी दिल्ली। केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने आपातकाल के 43 साल पूरे होने पर आज कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि यह देश के लोकतांत्रिक इतिहास में बदनुमा दौर था। नकवी ने आज एक ब्लॉग में कहा, ‘‘स्वतंत्र हिन्दुस्तान में तीन बार आपातकाल लगा। पहली बार आपातकाल 1962 में भारत-चीन युद्ध के समय घोषित हुआ, दूसरी बार आपातकाल 1971 में भारत-पाकिस्तान जंग के दौरान लगा। तीसरी बार आपातकाल का प्रमुख कारण 12 जून 1975 को इलाहाबाद उच्च न्यायालय का एक ऐतिहासिक फैसला था। यह शुद्ध रुप से कांग्रेस एवं इंदिरा गांधी की सत्ता पर खतरे को टालने के लिए किया गया गुनाह था।’’

उन्होंने कहा, ‘‘आपातकाल लगाने के साथ ही कांग्रेस ने चुनाव संबधी नियम-कानूनों को अपनी निजी जरुरतों के हिसाब से संशोधित कर डाला, इंदिरा गांधी की अपील को उच्चतम न्यायालय में स्वीकार करवाया गया, ताकि इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा उनके रायबरेली संसदीय क्षेत्र से चुनाव रद्द किए जाने के फैसले को निष्प्रभावी किया जा सके।’’ नकवी ने कहा, ‘‘ साफ है कि आपातकाल की घोषणा केवल कांग्रेस की सत्ता बचाने के लिए ही नहीं, बल्कि इलाहबाद उच्च न्यायालय के फैसले और उच्चतम न्यायालय के अंतरिम फैसले को उलटने के लिए थी, इसलिए इन फैसलों को पलटने वाला कानून ही नहीं लाया गया बल्कि इसका अमल भी पूर्व काल से लागू कर दिया।’’ उन्होंने कहा, ‘‘कांग्रेस का आपातकाल देश के लोकतंत्र के इतिहास का ऐसा बदनुमा दौर था जब सैकड़ों लोगों की जेल में मौत हुई। तब बर्बरता और सरकारी आतंक-अराजकता चरम पर थी।’’

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