किसान नेताओं दीप सिद्धू के सिर फोड़ा हिंसा का ठीकरा, एक्टर ने किया पलटवार

 Deep Sidhu

विवादों में घिरे सिद्धू ने किसान नेताओं को आगाह किया, ‘‘आप इतने अहंकार और ईष्या से भरे हो कि आप किसी की भी नहीं सुन रहे। जो निर्णय किया गया, उसे सभी को स्वीकार करना चाहिए।’’

चंडीगढ।  गणतंत्र दिवस को किसानों की ट्रैक्टर परेड के दौरान लाल किले पर धार्मिक झंडा लगाए जाने की घटना के बाद आलोचना का सामना कर रहे अभिनेता तथा कार्यकर्ता दीप सिद्धू ने किसान नेताओं द्वारा लगाए गए आरोपों पर पलटवार किया है। विवादों में घिरे सिद्धू ने किसान नेताओं को आगाह किया, ‘‘आप इतने अहंकार और ईष्या से भरे हो कि आप किसी की भी नहीं सुन रहे। जो निर्णय किया गया, उसे सभी को स्वीकार करना चाहिए।’’

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उसने कहा, ‘‘यदि मैं गहरे भेद खोल दूंगा तो (किसान नेताओं के पास) भागने के लिए के लिए कोई रास्ता नहीं होगा।’’ सिद्धू (36) ने दावा किया कि ट्रैक्टर परेड के दौरान युवा उस रास्ते पर जाने के लिये राजी नहीं थे, जिस पर किसान नेता और दिल्ली पुलिस के बीच सहमति बनी थी। उसने दावा किया कि 26 जनवरी को लोग खुद ही लाल किले की ओर निकल पड़े और अनेक लोगों ने वह रास्ता नहीं पकड़ा जो किसान नेताओं ने तय किया था।

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सिद्धू ने भाजपा तथा आरएसएस का आदमी होने के किसान नेताओं के आरोपों पर पलटवार करते हुए कहा कि आरएसएस या भाजपा को कोई आदमी लाल किले पर निशान साहिब लगाएगा?, कम से कम इतना तो सोचना चाहिये। गौरतलब है कि जिस समय लाल किले पर धार्मिक और किसान झंडे लगाए गए तब सिद्धू वहीं पर मौजूद था। इस घटना के बाद जबदस्त आक्रोश फैल गया था। सिद्धू नेउन किसान नेताओं के दावों को खारिज कर दिया, जिन्होंने उस पर प्रदर्शनकारियों को उकसाने और लाल किले की ओर ले जाने का आरोप लगाया था। सिद्धू ने फेसबुक पर अपलोड किये गए अपने ताजा वीडियो में कहा, मैं इस दुष्प्रचार और मेरे खिलाफ फैलाई जा रही घृणा को देख रहा हूं।

सिद्धू ने 25 जनवरी की रात क्या हुआ था, उसकी जानकारी देते हुए कहा कि युवकों और कई अन्य लोगों ने किसान नेताओं को बताया था कि उन्होंने (किसान नेताओं) ने उन्हें (युवकों को) 26 जनवरी को दिल्ली में प्रदर्शन करने के लिये बुलाया था और अब उन्होंने अंतिम समय में अपने रुख में बदलाव किया है। सिद्धू ने कहा कि वह लालकिले का दरवाजा तोड़े जाने के बाद वहां पहुंचे थे। उन्होंने कहा कि वहां हजारों लोग पहुंच चुके थे, लेकिन कोई किसान नेता वहां नहीं था।

सिद्धू ने दावा किया इस दौरान किसी ने न तो हिंसा की और न ही सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाया। सिद्धू ने कहा कि उन्होंने अपना विरोध जताने के लिये निशान साहिब और किसानों का झंडा लगाया था। उन्होंने कहा, अगर आप कह रहे हैं कि ऐसा करके मैं गद्दार बन गया हूं तो उस समय वहां मौजूद सभी लोग गद्दार हुए। सिद्धू ने कहा, अगर आप उन सभी चीजों को ठीकरा एक आदमी के सिर फोड़ रहे हैं और मुझे गद्दार करार दे रहे हैं तो आपको खुद पर शर्म आनी चाहिये। गौरतलब है कि बुधवार को किसान नेताओं ने सिद्धू को गद्दार बताते हुए राज्य में उसके बहिष्कार का आह्वान किया था। किसान नेताओं ने उसे सरकार का एजेंट करार दिया था।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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